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कविता

तोर बोली कोयली जइसन हे

तोर बोली कोयली जइसन हे। रेंगना डिट्टो मोना जइसन हे। का बताँव मोर मयारू, तोर आँखी मिरगीन जइसन हे। बेनी गथाय करिया करिया, दिखत घटा बादर जइसन हे। तोर गाल हा मोर जोहि, सिरतो गुलगुल भजिया जइसन हे। तोर ओंठ के लाली हा गोरी, लाल गुलाब जइसन हे। तोर कतका करँव बखान जँवारा, रूप हा […]

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गीत

छत्‍तीसगढ़ी प्रेम गीत

काबर तै मारे नयना बान, गोरी तै मारे नयना बान। जीव ह मोर धक ले करथे, नई बाचे अब परान। काबर तै मारे……….. अँतस के भीतरी म, आके जमाये डेरा। अब्बड़ तोर सुरता आथे, दीन रात सबो बेरा। नई देखव तोला त जोहि, तरस जथे मोर चोला। काबर तै मारे नयना…… आजा मोर संगवारी , […]

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कविता

जेठ के कुहर

जेठ के महीना आगे, कुहर अब्बड़ जनावत हे। घाम के मारे मझनिया कून, पसीना बड़ चूचवावत हे। सुरूज नरायन अब्बड़ टेड़े, रुख राई घलों सुखावत हे, येसो के कूहर में संगी, जीव ताला बेली होवत हे। सरसर सरसर हवा चलत हे, उमस के अबड़ बड़हत हे। तरिया नरूआ सुख्खा परगे, चिरई चिरगुन ह ढलगत हे। […]

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कविता

अकती तिहार

चलव दीदी चलव भईया, अकती तिहार मनबोन ग। पुतरी पुतरा के बिहाव करबो, मड़वा ल गडीयाबोन ग। कोनो लाबो डारा पाना, कोनो तोरन बनाबोन ग। चलव लीपव अंगना परछी, अकती तिहार मनाबोन ग। चलव सजाबो दूल्हा दुल्हीन, सुरघर महेंदी लगाबोन ग। दुदुंग दुदूंग बजही बाजा, दूल्हा दुल्हीन ल नचवाबोन ग। अकती के दिन सबले बढ़िया, […]

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कविता

पानी हे जिंदगानी

कोनो तो समझ, का चीज ये पानी । जिए के एक ठन चीज, किथे ओला पानी। गांव गली सड़क नाला, झन बोहावव पानी ल। जिए पिए के काम आहि, ओ दीन मांगहू पानी ल। पानी बिना हे बन ह सुन्ना, चिरई चिरगुन उन्ना जी। पानी बचाबोन नई बोहावन, छोड़बो करनी जुन्ना जी। एक दिन अईसे […]

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कविता

बेटी ल बचाबो

जग म आए के पहली , झन मारव कोनो बेटी ला। दुख म सुख म काम आते, झन धुतकारव बेटी ला। बेटी बिना हे जग ह सुन्ना, अऊ सुन्ना घर दुआर परछी ग। झन डालव कोनो गोड म बेड़ी, उड़ान दे बनके पनछी ग। पढ़न लिखन दे मन के ओला, करव झन कोनो सोसन ग। […]

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गीत

बुढ़वा लइका पांव पखारत हे तोर

सज गे तोर दरबार दाई, जल गे जोत हजार । चैत नवत्रत आगे दाई, मनावन जवरा तिहार। जय होवय डोंगड़गढ़हीन, कइथे तोला सब बमलाई। रतनपुर म बइठे हावय, दुःख हरइया महमाई। नव दीन के नवरात हे, जोत जवारा बोवाथे वो। सेउक तोर सेवा करत हे, मनवांछित फल पाथे वो। नव दीन ले तै रईथस माई, […]

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कविता

प्रेम रंग

प्रेम रंग में अइसे रंगाहु तोला प्रेम रंग में। कभू झन निकले गोरी। मोर मया के रंग ह वो।। मया बढ़ाये रइबे। झन छूटे संग ह वो।। एसो के होली म गोरी। रंग गजब लागहु वो।। आके तोर पारा म गोरी। रंग तोला लागहु वो।। झन छूटे मया ह गोरी। एसो के होली म वो।। […]

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कविता

जय छत्तीसगढ़ महतारी

मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा मा । बसे जम्मो परानी हे।। दाई बबा सुनाए रीहिस। मोला येखर कहानी हे।। तोर भुइया म वो दाई । खेत खार लहरावत हे।। तभे तो दाई ये भुइया ह दाई। धान कटोरा कहावत हे।। महतारी के कोरा बरोबर । सब मनखे ल राखे हस।। सबो परानी सेवा करे तोर […]

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कविता

अतेक झन तरसा रे बदरा।

अतेक झन तरसा रे बदरा। बने तै बरस जा रे।। उमड़त घुमड़त के आथस तै। कते मेर लुका जथस रे।। किसान सबो तोर रद्दा जोहत। बइठे मेड़ पारे म ।। अतेक झन तरसा बादरा…. दू बरस ले तै कहा लुकाय। ये बरस तो दरस दिखा जा रे।। अब्बड़ सुने रेहेंव तोर सोर। गरज गरज बरसते […]