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कविता

मया करबे त करले अउ आन कविता : सोनु नेताम “माया”

अजब गजब के अब्बड़ नखरा
तैंय ह झन देखा न वो
अंतस भितर म तोर का हे
ओला तैय बने बता न वो

काबर तैंय मुहुं फुलाथस
तोर बिचार ल सुना न वो
रहि रहि के भरमात रथस
अपन संग मोला रेंगा न वो

मया करे बर कुछु सोचत होबे
पांव म पांव मिलाके चल न वो
दुसर के देखा देखी म आके तैंय
छल कपट झन करे कर न वो

झगरा लड़ई म काहि नईहे
मया पिरित ह टुटथे वो
बईरी जईसन मन ह
अईसन बेरा म दिखत रहिथे वो

मोला कोनो अखरय नहि
मया करबे त करले वो
पहिली तोर हिरदय म
मया पिरित के नाता भर ले वो!!!

छत्तीसगढ़ के तिज तिहार

छत्तीसगढ़ के तिज तिहार
हरियर हरेली तिहार मनागे
आरी पारी सबहो परंपरा
जम्मो तिहार अब आगे
हरेली के बाद राखी तिहार
बहिनी मन म खुशी छागे
भाई बहिनी के मया पिरित
रक्षाबंधन डोरी सुंत बंधागे
राखी तिहार बाद कमरछठ
लईका बर उपास राखथे
जन्माष्टमी के दिन दही लुट
आठे गोकुल तिहार मनाथे
तीजा-पोरा बर बहिनी ल
लेनहार तीजा लेवाय ल जाथे
दाई ददा अउ भाई भउंजाई
मईके के सुरता सुध लमाथे
तीजा पोरा के बिहान दिन
गणेश भगवान ल मढ़ाथे
गियारा दिन ले पुजा पाठ
तरिया म बिसरजन कराथे
सरग सिधार पुरखा ल
पीतर पाख म बलाथे
बरा सोंहारी अउ दुधभात
तोरई पान म भोग लगाथे
कुंवार नवराति मंदिर देवाला
नवदिन तक जोत जलाथे
मेला भराथे नवदिन ले
लोगन दरस बर जाथे
दसमुड़ी रावण ल मारके
विजयदशमी तिहार मनाथे
देवी देवता के पुजा पाठ
नवा चाउंर के नवाखाई खाथे
कातिक महीना सुरहुती दीया
घरो घर म दीया जलाथे
गोबरधन पुजा देवारी के दिन
गौमाता ल खिचड़ी खवाथे
अग्हन म धान मिंजई कुंटई
गंवई गांव म गांव बनाथे
पुस माघ म मेला मडंई
गांव-गांव म भराथे
मया पिरित के होली तिहार
फागुन के रंग-गुलाल लगाथे
अईसन हे हमर तीज तिहार
जूर मिलके सबो मनाथे??

तोर अगोरा म

देखत हाबवं तोर रस्ता,
रुद्री नदिया कछार म!
नदिया तीर मोर डेरा हवय,
आबे वो मयारु मोर सियार म!

मया के गीत गवांहु तोला,
बंबरी तरि सुग्हर छांव म!
आरी पारी झुलना झुलाहुं,
बर पीपर के डार म!

मयारु तोर रेंगना,
चटक मटक तोर चाल वो!
मन ल मोर भरमाथस,
हिरनी असन तोर चाल वो!

तोर कुंवर काया देख,
मन मोर झुमर जथे!
संझा बिहनिया तोला देखे बर,
मोर नैना तरस जथे!

बाल मेला

कका नेहरु के जयंती म
बाल दिवस मनाय हे
नांन्हें नांन्हें लईका मन
बाल मेला सजाय हे

आनी बानी के खई खजाना
लईका मन दुकान बनाय हे
गांव ईसकुल के लईका मन
अपन अपन दुकान लगाय हे

कोनो बेचय चना चटपटी
गरमा गरम खवाय हे
भेल मुर्रा अउ पानी गुपचुप
सुवाद गजब सुहाय हे

मिरचा संग म आलु भजिया
ताते तात बनाय हे
ईसकुल के मेडम सर मन
चिख चिख के सुवाद बताय हे

नड्डा मुरकु लईका मन
अंगरी म खोचके खाय हे
कच्चा पक्का बिही जाम
दस रुपया भाग लगाय हे

कका नेहरु के सुरता म
लईका मन खुशी मनाय हे
नांन्हें नांन्हें लईका मन
बाल मेला सजाय हे !!

✍मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम “माया”
रुद्री नवागांव धमतरी
९८२७३५६०१२
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