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कविता

मेला घुमाई दे

ए जोड़ीदार,चल मोला मेला घुमाई दे।
राजिम धाम के संगम मा,
मोला डुबकी लगाई दे।।
ए जोड़ीदार….

लगे हावय मोला आसा,महुँ चली देतेंव।
महानदी के धारी मा,तन डुबोई लेतेंव।।
राजिम लोचन स्वामी ला,
पान अउ सुपारी चढ़ाई दे।
ए जोड़ीदार…..

महादेव कुलेश्वर हा,नदिया बीच पधारे हे।
चारों मुड़ा लगे रेला,अपन रूप पसारे हे।।
जघा जघा साधू संत बिराजे,
अमरित बानी सुनाई दे।
ए जोड़ीदार…..

पावन भुइयाँ राजिम,एला कइथे प्रयाग।
इहाँ पापी तरतहे,दुःख जाथे गा भाग।।
चुरुवा भर संगम के जल,
महादेव मा चढ़ाई दे।
ए जोड़ीदार……

बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.)
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