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कविता

परीक्षा

परीक्षा के दिन आगे जी ,
लइका मन पढ़त हे,
अव्वल नंबर आही कहिके ,
मेहनत अबड़ करत हे।

बड़े बिहनिया सुत उठ के ,
पुस्तक कापी ल धरत हे,
मन लगाके पढ़त लिखत।
जिंनगी ल गढ़त हे।।

पढ़ लिख के विद्वान बनही,
रात दिन मेहनत करके।
दाई ददा के सेवा करही,
सपना पूरा करके।।

प्रिया देवांगन ” प्रियू”
पंडरिया
जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़ )
Priyadewangan1997@gmail.com