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गोठ बात

दुसर के दुख ला देख : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा ! दुसर के दुख ला देख रे! फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। काबर उमन कहय के दुसर के दुख ला देख। संगवारी हो ये दुनिया में भांति-भांति के मनखे हे। […]

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कविता

आगे चुनई तिहार

तैं मोला वोट भर दे दे, मैं तोला सब देहुँ.. एक माँगबे, चार देहुँ, साल में बहत्तर हजार देहुँ, खाये बर चाउर देहु, पिये बर दारू देहुँ, चौबीस घंटा बिजली देहुँ, फूल माँगबे तितली देहुँ तैं मोला वोट भर दे दे, मैं तोला सब देहुँ, रेंगे बर सड़क देहुँ, जेला कहिबे,हड़क देहुँ, रहे बर घर- […]

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गोठ बात

नवा चाउर के चीला अउ पताल के चटनी

सियान मन के सीख सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा ? नवा चाउर के चीला अउ पताल के चटनी अबड़ मिठाथे रे। फेर हमन नई मानन। संगवारी हो हमर छत्तीसगढ़ राज ला बने 18 बछर हो गे। ए 18 बछर में हमर छत्तीसगढ़ हर बहुत आगू […]

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गोठ बात

सियान मन के सीख : ए जिनगी के का भरोसा

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! ए जिनगी के का भरोसा रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। लइकई उमर से ले के सियानी अवस्था तक मनखे के रूप रंग हर अतेक बदलथे जेखर कल्पना नई करे जा सकय। […]

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गोठ बात

दुसरो के बाढ़ ला देखना चाही : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे।संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! परेवा कस केवल अपनेच बाढ़ ला नई देखना चाही रे दुसरो के बाढ़ ला देख के खुश होना चाही। फेर हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। ए दुनिया में अइसे बहुत कम मनखे हावय जउन […]

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गोठ बात

सियान मन के सीख: कथा आवय ना कंथली

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन अपन घर अउ पारा परोस के जम्मों लइकन मन ला एक जघा सकेल लेवय अउ जहॉ संझा होवय तहॉ कथा कहानी के दौर शुरू हो जावत रहिस हावय फेर शुरूवात कतका सरल तरीका ले होवय यहू हर अड़बड़ सोचे […]

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गोठ बात

रमजान अउ पुरूषोत्तम के महीना : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा ! अधिक मास के हमर जिनगी म भारी महत्तम हावय रे ! फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमन नानपन ले सुनत आवत हन-“हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई, आपस में सब भाई-भाई।” […]

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गोठ बात

नंदावत हे रूख-राई : सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन बने-बने स्वादिश्ट फल के बीजा ला जतन के धरे राहय। उॅखर पेटी या संदूक ला खोले ले रिकिम-रिकिम के बीजा मिल जावत रहिस हे। जब हमन छोटे-छोटे रहेन तब हमर दाई-बबा के संदूक ले कागज के पुड़िया में रखे […]

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किताब कोठी गोठ बात

किताब कोठी : सियान मन के सीख

भूमिका रश्मि रामेश्वर गुप्ता के “सियान मन के सीख” म हमर लोकज्ञान संघराए हे। ऋषि-मुनि के परंपरा वेद आए अउ ओखर पहिली अउ संगे-संग चलइया ग्यान के गोठ-बात सियान मन के सीख आए। हमर लोकसाहित्य अउ लोकसंस्कृति म ए गोठ समाए हे। कबीरदास जी लिखे हें- तुम कहियत हौ कागद लेखि, मैं कहियत हों ऑखिन देखि। “सियान […]

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गोठ बात

छत्तीसगढ़ी भाषा : समस्या अउ संभावना

छत्तीसगढ़ी भाषा के अपन अलग महत्तम हवय जइसे कि हर भाषा के होथे। छत्तीसगढ़ी भाषा में गोठियाय ले हमन ला अड़बड़ आनंद के अनुभव होथे काबर कि ये हर हमर माई भाखा आय। जब ले जनमें हावन ये भाखा हर तब ले हमर कान में घर कर ले हावय। अपन दाई-बबा के अउ महतारी-बाप के […]