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कविता

चलो रे चलो संगी पेड़ लगाबो रे

कोनो धरौ रापा संगी कोनो धरौ झउहा एक ओरी आमा अऊ दूई ओरी मउहा धरती दाई ला हरियाबो रे चलो रे चलो संगी पेड़ लगाबो रे झन काटो रूखराई, यहू मां हवै परान ग रूख राई जंगल झाड़ी, हमर पुरखा समान ग आमा अऊ लीम मा, बसे हे भगवान ग पीपर कन्हइया अऊ, बर हनुमान […]

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कहानी

कहिनी : हिरावन

‘हिरावन बारवीं म मेरिट म पास होईस। फेर नेमसिंग, हिरावन ल आगू नई पढ़इस। सोचिस ‘जादा पढ़े-लिखे ले मनखे अलाल हो जाथे। नउकरी त मिलना नइ हे।’ ईतवारी, हिरावन ल पढ़ाए बर नेमसिंग ल फेर किहिस। फेर नेमसिंग उहू ल नइ घेपिस उल्टा कहि दिस, ‘भंइसा के सिंग ह भंइसाच ल गरू लागथे’ गा। तोर […]

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कविता

आगे दिन जाड़ के

डोकरी दाई बइठे बिहना ले, गोरसी ल पोटार के झांपी ले निकार कमरा डेढ़ी, आगे दिन जाड़ के खटिया ले उठई ह, सजा कस लागत हे तरिया के पानी ह, रहि-रहि डरहुवावत हे कथरी अउ ओढ़ना ह, गाब सुहावत हे एक लोटा ल चाहा ल बबा, अकेल्ला ढरकावत हे खटिया म ढलगे नोनी देखत हे, […]

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कविता

सतनाम सार हे

झन काहा तोर मोर, मतलभिया संसार हे। भज ले रे सतनाम। इहां सतनाम सार हे॥ झन बिसराव ठीहा ल, जब तक हवे सांस ह। सत के रद्दा म रेंगव, कहि गे हे घासीदास ह॥ जे देखाथे रद्दा सबला ऊंखरे जय जयकार हे। भज ले रे सतनाम… जाना हवय सबो ल इहां ले ओसरी पारी। दाई-ददा, […]

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कहानी

कहिनी : दहेज के विरोध

आज के ये दहेज प्रथा ह सुरसा रक्सिन कस मुंहुं ल उलाके हमर सइघो समाज ल लीलत हवय। ये दहेज रूपी सुरसा ले कोनो नी बांचत हे। फेर रामलाल सरपंच ह बजरंग बली कस दहेज रूपी सुरसा रक्सिन ले बांचे के उदिम करत हे। ‘खुरसी मन ल अभीन ले नी लाए हव रे निच्चट तुंगत […]

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कहानी

कहिनी : धुरंधर महाराज

कपड़ा के नांव म कनिहा म नानकुन कपड़ा लटके के रिहिस। चुंदी छरियाय रिहिस। तन बिरबिट करिया। दांत निकले। जाड़ म लुद-लुद-लुद-लुद कांपत रिहिस। बही ह टक लगाके आगी तपइया सबो झन ल देखत रिहिस कांही नइ काहत रिहिस। फेर ओखर आंखी काहत रिहिस- ‘थोर किन महूं ल आगी तापन देतेव गा।’ नाक ल सकेलत […]

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कहानी

कहिनी : चटकन

‘ओ खाली परिया जमीन म न मंदिर बनाए जाय न मस्जिद बनाए जाय। ओमा एक अइसे आसरम बनाए जाए जेमा बेसहारा डोकरा, डोकरी, बइहा कस किंजरइया मनखे, अनाथ लोग लइका राहय। संग म गांव के अइसे मनखे जेखर गुंजाइस के लइक ठउर-ठिकाना नइ हे तउने मन ए आसरम म रहि सकंय। हिन्दू भाई अउ मुसलमान […]

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कहानी

कहिनी : चटकन

‘ओ खाली परिया जमीन म न मंदिर बनाए जाय न मस्जिद बनाए जाय। ओमा एक अइसे आसरम बनाए जाए जेमा बेसहारा डोकरा, डोकरी, बइहा कस किंजरइया मनखे, अनाथ लोग लइका राहय। संग म गांव के अइसे मनखे जेखर गुंजाइस के लइक ठउर-ठिकाना नइ हे तउने मन ए आसरम म रहि सकंय। हिन्दू भाई अउ मुसलमान […]

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कहानी

कहिनी : दूध भात

डोकरा काहत रिहिस दूध भात खाहूं कहिके। उही पाय के लोटा ल धर के दूध मांगे बर आए हंव। होही ते दे देतेस? अतका म बिसवन्तीन किहिस- काला बतांव डोकरी। मेहा तो ए रोगही बिलई के मारे मर गेंव। ते नइ पतियाबे, मंझनिया बेरा अंधियारी के बेंस ला लगाए बर भूला गेंव अऊ नाहे बर […]