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कहानी

कहिनी : दहेज के विरोध

आज के ये दहेज प्रथा ह सुरसा रक्सिन कस मुंहुं ल उलाके हमर सइघो समाज ल लीलत हवय। ये दहेज रूपी सुरसा ले कोनो नी बांचत हे। फेर रामलाल सरपंच ह बजरंग बली कस दहेज रूपी सुरसा रक्सिन ले बांचे के उदिम करत हे।
‘खुरसी मन ल अभीन ले नी लाए हव रे निच्चट तुंगत हव’- रामलाल सरपंच ह, सामरतन बर तमकगे। सामरतन ह मुड़ी मं बोहे दरी ला भिंया म पटकिस अउ बतइस- ‘अकेल्ला महीं का करंव सरपंच?’ फुसकू घर तो गे रेहेंव दरी ल लाए बर। छट्ठी होय रिहिस ते बखत के लेगे रिहिस। परसू अउ खेलावन दूनो झन खुरसी मन लाए बर गे हवय।
आज रामलाल सरपंच ह मुंदरहा ले उठगे रिहिस। रोज सात बजे सोके उठय, फेर आज बिधायक आही उही पाय के पांच बजे उठगे रिहिस अऊ मंच बनाए के तियारी मा लगे रांहय। रामलाल सरपंच ह काली कचरू कोतवाल ल चेताय रिहिस कि सम्मार के दिन गांव भर तिहार मानबो। ओखरे सेती कचरू कोतवाल ह तिहार के हांका पारिस। रामलाल सरपंच ल सरपंची करत आज बारा साल होगे। दू कार्यकाल ल निपटा डरिस। तीसरइया कार्यकाल चलत हे। जउन बात ल रामलाल सरपंच कहि दिस, तऊन बात गांव मा होनाच हे। काहत लागय रामलाल सरपंच। करमचारी-अधिकारी मन ओखर बड़ सनमान करंय। बड़े-बड़े नेता मन संग ओखर उठना-बइठना रिहिस।
रामलाल सरपंच ह एकेच घांव विधायक ल किहिस कि सम्मार के दिन हमर गांव ‘आमगांव’ म ‘दहेज प्रथा के विरोध मा जनजागरूकता के प्रोग्राम राखे हवय। जेमा आप मन मुख अतिथि बनके आहू।’ रामलाल सरपंच के ये नेवता ला बिधायक कइसे छोड़तिस। एके भाखा म हव कहि दिस अउ राजनीति के संगे संग समाज सुधार म घलो रामलाल सरपंच के नांव रिहिस। रामलाल सरपंच पर साल ‘आमगांव’ म रक्तदान के संबंध मा जनजागरुकता शिविर के आयोजन करिस। जेमा सांसद ह मुख अतिथि बनके आए रिहिस। कई झन बड़े-बड़े डॉक्टर मन घलो आए रिहिन। रामलाल सरपंच सबले पहिली रक्तदान करिस।
अइसे-तइसे दू बजगे। तियारी घलो होगे। मंच बनके तियार होगे। पोंगा मं गाना बाजत रिहिस- ‘सुनो-सुनो संगवारी मोर दहेज के होरी जलाना हे।’ रामलाल नावा धोती बंगाली पहिर के दूल्हा डउका कस सम्हरगे। मंच के चारों मुंडा आदमीच आदमी सकलागे। जे डाहर देखते ते डाहर मुड़ीच मुड़ी। बिसउहा के पान ठेला मां आज मनमाढ़े भीड़ उम्हियागे। रामलाल घलो एक ठिन पान खइस।
ठंउका तीन बजे रहिस एक संघरा चार ठिन गाड़ी मन धुर्रा उड़ावत मंच कोति अइन। गाड़ी मन ल देखिस ते लइका मन गाड़ी डाहर उत्ता-धुर्रा दउड़िन। ननकु डोकरा लइका मन ल दपकारिस। थोकिन म बिधायक गाड़े ले उतरिस। सरपंच अउ गांव के दू-चार झन सियान मन बिधायक अउ संग म आए नेता मन सुआगत करिन। सुआगत के बाद नेता मन के भासन सुरू होगे।
जिला पंचइत के अध्यक्ष ह सबले पहिली भासन दिस- ‘संगवारी हो! बड़ खुसी के बात आय कि आज घलो हमर समाज म रामलाल सरपंच जइसे समाज सुधारक हवय, जेमन आज दहेज के बिरोध म ये जन-जागरूकता पुरोगिराम के आयोजन करिस। आज के ये दहेज प्रथा ह सुरसा रक्सिन कस मुंहुं ल उलाके हमर सइघो समाज ल लीलत हवय। ये दहेज रूपी सुरसा ले कोनो नी बांचत हे। फेर रामलाल सरपंच ह बजरंग बली कस दहेज रूपी सुरसा रक्सिन ले बांचे के उदिम करत हे। दहेज के सेती काखरो घर बेचावत हे, त काखरो खेत-खार। दहेज के सेती कतको परवार के आरथिक इस्थिति गड़बडा गे हवय। इहां सकलाय जम्मो भाई-बहिनी मन ले मैं इही बिनती करथौं कि जेन परन रामलाल सरपंच ह दहेज परथा ल समाज ले दूरिहा भगाए के करे हे, वइसने परन हमू मन करन अउ मेट देवन दहेज के नांव ल ये समाज ले। एखरे संग मैं अपन बाणी ला इही मेर विराम देवत हौं, जय हिन्द, जय भारत, जय छत्तीसगढ़। चारों मुड़ा ताली बाजिस गड़-गड़-गड़-गड़…।’
येखर बाद बिधायक के भासन सुरू होइस- ‘इहां सकलाय संगवारी हो। ये दहेज परथा ह घुना कीरा कस हमर समाज ल खोखला करत जावत हे। गरीब-अमीर, किसान-बनिहार, दाऊ-गउंटिया, अफसर-नेता जम्मो मनखे दहेज देवत अउ लेवत हे। जेखर घर बने कस पीड़हा नई हे तउनो ह दहेज मा सोफासेट, डैनिंग टेबुल दे बर उम्हियाए हे। जेखर घर बने कस ढोमना नई हे तउनो ह करजा-बोड़ी करके बड़े-बड़े बांगा, बटलोही, गधरा गंजी दहेज मां देथे। जेन ह रोज रेचका सइकिल ल चलावत हे तेनो ह दहेज म फटफटी देथें। आज कहूं हमन ए संकरामक बीमारी के रोकथाम के उदीम नई करबो ते पाछू हमन ला पछताए बर परही।’ चारों मुड़ा ताली बाजिस गड़-गड़-गड़-गड़….। थोकिन म थिरइस। चिरई चुरगुन मन घलो चिंव नई करत रिहिन।
विधायक आगू अऊ किहिस- ‘दहेज परथा ल समाज ले भगाए के जेन कीरिया रामलाल सरपंच ह खाए हे उही कीरिया ल आज हमू मन ल खाए ल परही तभे हमर समाज ह दहेज मुक्त बन पाही। एखरे संग मैं अपन बानी ल इही मेर विराम देवत हौं, जय हिन्द, जय भारत, जय छत्तीसगढ़।’ एक पइत अऊ चारों डहर ताली बाजिस गड़-गड़-गड़-गड़…। आखिर म रामलाल सरपंच ह आभार बियक्त करिस- थैली ले एक ठिन कागज ल निकालिस अउ कागत डाहर ल देखत किहिस- ‘संगवारी हो! आज हमन ला ये दहेज के बिनास करना जरूरी हे नई ते एक दिन अइसे आही कि ये दहेज परथा ह हम सबके बिनास कर दीही।’ चाराें डाहर ताली बाजिस गड़-गड़-गड़-गड़…। रामलाल सरपंच ह विधायक अउ जिला पंचइत के अध्यक्ष अऊ संग म आए पहुना मन ला, इहां आए बर कोरी-कोरी धन्यवाद दिस। ये रिकिम ले ‘दहेज के विरोध म जनजागरूकता पुरोगिराम’ सिरइस।
बिहान दिन रामलाल सरपंच ह अपन घर म बिछे खटिया म बइठे रिहिस। सामबती किहिस- ‘सविता के ददा! सविता के बिहाव ह बीस दिन भर बांचे हवय। बांगा, बटलोही, गोदरेज, कूलर, टी.भी. कांहीच नई लेवाय हे। फिरिज अउ फटफटी भर ला अभी ले हवस। पर साल रमेसर अपन बेटी के बिहाव करिस ते दू लाख रुपिया दहेज परिस।’ अतका म रामलाल किहिस- ‘तैं फिकर झन कर सामबती! हमन रमेसर दाऊ ले कमती नई हन। हमर घर चार लाख ले कमती दहेज नी परे। काहत लागय रामलाल सरपंच।’
काली धमधा जाहूं ते आती खानी बेरा बांचे समान मन घलो बिसाके ले आनहूं। काली धमधा म घलो दहेज के ‘बिरोध म जन-जागरूकता अभियान’ के पुरोगिराम राखे हवय जेमा महूं ला नेवता दे हवय। रामलाल एक ठिन कागत अउ कलम ल धरिस अउ सामबती ल पूछिस- ‘का का समान लाना हे बता, मैं हा लिस्ट बना लेथौं, तहांने नई भुलावंव। सामबती बतात गिस। अउ रामलाल कागत मां लिखत गिस टी.भी., कूलर, खुरसी, गोदरेज, मिक्सी…।’
बिहनाकुन रामलाल सरपंच झटकुन तियार होगे काबर कि आज धमधा जाना हे। दहेज परथा के विरोध मा जनजागरूकता पुरोगिराम म। रामलाल उत्ता-धुर्रा परन दिन के कागत ल खोजत रिहिस, जेमा दहेज के विरोध मा भासन लिखाय रिहिस। सामबती ल पूछिस त ओहा बतइस कि सोहन ह परछी म गंदगी कर दे रिहिस, ओला डारे बर पैरा खोजेंव ते नई मिलिस। ओखर सेती पठेरा मां माढ़े तोर कागत मा डारे हंव। रामलाल परसान होगे। सामबती काली संझौती लिखे समान के लिस्ट ल रामलाल ल दिस। रामलाल ह उही लिस्ट के पाछू डाहर दहेज के विरोध मा भासन लिखिस अउ चल दिस दहेज के विरोध म भासन दे बर।
यशपाल जंघेल
तेन्दूभांठा गण्डई
राजनांदगांव