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- मोर लइका पास होगे
- माटी के दियना
- कमरछठ कहानी(4) – देरानी -जेठानी
- कहिनी : उपास
- बाल गीत
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था म सहकारिता के महत्वपूर्ण योगदान : डॉ. रमन सिंह
- कहानी : लालू अऊ कालू
- गीत: सुरता के सावन
- दु आखर स्वास्थ्य के गियान
- बेरा के गोठ : फिलिम के रद्दा कब बदलही
- लघु कथा संग्रह – धुर्रा
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
- भाई दीदी असम के
- वाह रे कलिन्दर
- पर्यटन ल बढ़ावा देहे बर जबर उदीम करबो : डॉ. रमन सिंह
- जनम भूमि : कहिनी
- रमिया केतकी के कथा – सत्यभामा आड़िल
- सरग सुख : कहिनी
- तीजा के लुगरा – बन्धु राजेश्वर राव खरे
- बसंत उपर एक छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
- बिकास के बदचाल म होली होवथे बदहाल
- वाह रे मनखे के मन
- फिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
- पर्यटन : माण्डूक्य ऋषि के तपोभूमि ‘मदकू द्वीप’
- बेटी ल बचाबो
- ठगही फेर सकरायेत
- आमा के अथान – चौपई छन्द (जयकारी छंद )
- गज़ल : किस्सा सुनाँव कइसे ?
- वृत्तांत- (6) सबे जीव के सरेखा ..रखना हे : भुवनदास कोशरिया
- जानबा
- पुण्य सकेले के दिन आय अक्ती
- मैं अक्खड़ देहाती अंव
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पांचवा प्रान्तीय सम्मेलन
- छत्तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा
- नान्हे कहिनी : नोनी
- छतीसगढ़िया सबले बढ़िया
- लोग लइका बर उपास – कमरछट के तिहार
- दान लीला के अंश : पं. सुन्दरलाल शर्मा
- सरसी छंद : जनकवि कोदूराम “दलित” जी
- श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – का कहिबे?
- बियंग : करजा के परकार
- आवा बचावव लोक कला ल : डॉ. सोमनाथ यादव
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