- जुग जुग पियव
- जिनगी जरत हे तोर मया के खातिर
- पुरुस्कार – जयशंकर प्रसाद
- दारू छोड़व
- हेमलाल साहू के कविता
- डॉ. सम्पूर्णानन्द के आस्था : नान्हे कहिनी
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ
- बादर गरजत हे
- कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.
- दानी राम बंजारे और जानकी बाई बंजारे द्वारा प्रस्तुत गोपी चंदा गाथा
- छत्तीसगढ़ गीत म सिंगार रस
- नारी के महिमा भारी हे
- तोर धरती तोर माटी : पवन दीवान
- बियंग : भइंस मन के संशो
- सच बोले के काम सिरिफ सरकारी हे
- हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे
- गुन ला गा लो : महावीर अग्रवाल के गीत
- किताब कोठी : सियान मन के सीख
- विचार ले भटकगे धारा : गुड़ी के गोठ
- बलदाऊ राम साहू के छत्तीसगढ़ी गज़ल
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के आयोजन
- बिहान होगे रे
- जागो हिन्दुस्तान
- मंदू
- स्वच्छ भारत के मुनादी
- मुक्का उपास
- देवारी तिहार मनाबों
- धुर्रा-गर्दा ल झटकारे के जरूरत – गुड़ी के गोठ
- व्यंग्य कविता : सफई अभियान
- एक दीया अउ जलावव
- मंदझाला
- कहां नंदा गे सब्बो जुन्ना खेलवारी मन
- मन के दीया ल बार
- फसल के पहली खेत मन के माटी के जांच जरूर करवाव
- मोबाईल हास्य कबिता
- कहिनी : डोकरा डोकरी : शिवशंकर शुक्ल
- चिकित्सा विज्ञान अउ अभियांत्रिकी विज्ञान के हिंदी म पुस्तक प्रकाशित करे के जरूरत : श्री टंडन
- नियाव के जीत
- पीरा ल कइसे बतावंव
- चित्रगुप्त हा पेसी के पईसा खावत हे, यम के भंइसा अब ब्लाग बनावत हे.
- भुईया दाई करत हे गोहार
- राजा छत्तीसगढ़िया 2 म हवय आज के कहानी
- काम काजी छत्तीसगढ़ी, स्वरूप, अउ संभावना
- कहिनी – ऊलांडबाटी खेले के जुगाड़
- पुस्तक समीक्षा : अव्यवस्था के खिलाफ आक्रोश की अभिव्यक्ति ‘‘झुठल्ला‘‘
- बसंत बहार : कोदूराम “दलित”
- किसान
- सावन के तिहार
- हमर होरी – कहिनी
- काम दहन के आय परब- होली
- फिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
- लक्ष्मी नारायण लहरे ‘साहिल’ के कविता
- सावन मा बेलपत्र के महिमा
- टिकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’ के छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह : ठूठी बाहरी
- विकास के काम ल गिनाए के जरूरत नइ होवय, काम खुदे बोलथे : डॉ. रमन सिंह
- असाढ़ ले आसरा हे….
- आवा बचावव लोक कला ल : डॉ. सोमनाथ यादव
- चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 5 : अरुण कुमार निगम
- पंचू अऊ भकला के गोठ : चुनई ह कब ले तिहार बनगे
- छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह : शहीद के गाँव
- चुनई के बेरा मे आफर के बरसात हे।
- हमर बहू – विष्णु पद छंद
- गज़ल : किस्सा सुनाँव कइसे ?
- हाईकू
- सर्वगामी सवैया : पुराना भये रीत
- नवरात मा दस दोहा
- छत्तीसगढ़ी नवगीत
- का आदमी अस
- केन्द्रीय मंत्री श्री विष्णुदेव साय ह मुख्यमंत्री मेर करिस सौजन्य मुलाकात
- लोक कथा : लेड़गा के बिहाव
- का होही?
- नदिया के पीरा
- देखो फुलगे, चंदइनी गोंदा फुलगे
- तिंवरा भाजी
- गजल : दिन कइसन अच्छा
- बलरामपुर : उत्कृष्ट निजी विद्यालय मन मं प्रवेश बर परीक्षा 19 मार्च को
- शिक्षाकर्मी के पीरा
- ना बन बाचत हे ना भुइयां, जल के घलोक हे छिनइयां
- बरस जा बादर, किसानी के दिन अउ योग करो
- वाह रे मनखे के मन
- प्रकृति के पयलगी पखार लन
- छत्तीसगढ़ के राजिम धाम
- जड़काला मा रखव धियान
- धनी धरमदास के सात छत्तीसगढ़ी पद
- हमर स्कूल
- कविता-समाज ल आघू बढ़ाबोन
- शेषनाथ शर्मा ‘शील’ के बरवै छंद
- दूध म दनगारा परगे…
- सेना में वॉशरमैन पद समेत अन्य रिक्ति, योग्यता 10वीं/12वीं पास
- छत्तीसगढ़ी काव्य के कुछ महत्वपूर्ण कवि: डॉ. बलदेव
- ठगही फेर सकरायेत
- सबले बढ़िया – छत्तीसगढ़िया
- कलजुगिया झपागे
- गांधीजी के बानी दैनिन्दिन सोंच बिचार
- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य : नोट बंदी के महिमा
- फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक….
- भाषांतर : एक महिला के चित्र (मूल रचना – खुशवंत सिंह. अनुवाद – कुबेर )
- सुरता : पद्मश्री डॉ. मुकुटधर पाण्डेय
- अनुवाद : पतंगसाज (The Kite Maker)
- धंधा