- छत्तीसगढ़ी म छंद बरनन के पहिली किताब
- मर जबे गा संगवारी
- कहिनी : हिरावन
- इस्कूल : छत्तीसगढ़ी कहानी
- हमर घरे मा हावय दवई
- नानकिन किस्सा : अमर
- इही त आये गा छ्त्तीसगढ सरकार
- सुन्ना कपार – उतरगे सिंगार
- जानव इतिहास के वो पांच कठोर प्रताड़ना, जउन ल महिला मन झेलिन : मशीनी अनुवाद
- तुलसीदास
- हमर बोली-भासा
- देवारी तिहार मनाबों
- किताब कोठी : सियान मन के सीख
- गज़ल – ओखी
- सुरुज किरन छरियाए हे
- ग़ज़ल छत्तीसगढ़ी
- बांझ के पीरा-बांझ के सुख
- धूंका-ढुलबांदर: रवीन्द्र कंचन
- रीतु बसंत के अवई ह अंतस में मदरस घोरथे
- बादर गरजत हे
- मनखे के भाव
- मंगल पांडे के बलिदान : 8 अप्रैल बलिदान-दिवस
- बजारवाद के नाला म झन बोहावव
- मोर छत्तीसगढ़ के भुंइया
- मोर लीलावती के लीला
- नान्हे कहिनी – फुग्गा
- होले तिहार
- गांव के गुरूजी – कहिनी
- हाईकू
- आरूग चोला पहिरावय 10 जन
- उत्ती के बेरा
- नंदावत जांता : वीडियो
- एक मुठा माटी
- कबिता: न ते हारे न में जीतेंव
- सुन संगवारी
- कहानी – देवारी के कुरीति
- पितर पाख तिहार म
- छत्तीसगढ़ के गौरव ये, हिन्दी फिल्म के महान निर्देशक अउ अभिनेता किशोर साहू : डॉ. रमन सिंह
- सुवा गीत : कही देबे संदेश
- खेत के धान ह पाक गे
- भुइंया के भगवान बर एक अऊ भागीरथ चाही
- लावणी छंद : श्रद्धा के सुरता माँ मिनी माता
- मंय छत्तीसगढ़ के बेटी अंव
- छत्तीसगढ़ी भासा के महाकाव्यकार
- भोलेनाथ के गुफा चैतुरगढ़़
- सुधा वर्मा के गोठ बात : नवरात म सक्ति के संचार
- लाला फूलचंद श्रीवास्तव के कौशल प्रान्त ( छत्तीसगढ़ ) के बन्दना
- छत्तीसगढ़ी गज़ल
- गीत : सारी
- तोरे अगोरा हे लछमी दाई
- नंदावत ढ़ेंकी
- दारु संस्कृति म बूड़त छत्तीसगढ़
- धूवा मारे : विष्णुपद छंद
- हिरदे जुडा ले आजा मोर गांव रे : डॉ. विनय कुमार पाठक के गीत
- पारंपरिक देवार-गीत
- लगथे आजेच उन आहीं : श्यामलाल चतुर्वेदी के कविता
- जतन बर करन दीपदान
- कहिनी : धुरंधर महाराज
- हमर पूंजी व्यवस्था में चीनी सेंधमार
- 23 Aug
- कहिनी म नारी पात्र के सीमा रेखा – सुधा वर्मा
- सोनाखान के शान: वीर नारायण महान
- विष्णुपद: छंद – मोखारी
- दामाखेड़ा धरम धाम के मेला
- वृत्तांत- (7) अपन धरती अपन आगाश : भुवनदास कोशरिया
- मितानी के गांठ – कहिनी
- पीथमपुर के कलेसरनाथ : भोला बबा के महत्तम
- नवा पीढ़ी़ अउ छत्तीसगढ़ी़
- प्रेमचंद के काहनी अऊ छत्तीसगढ़
- संपादकीय : मोर डांड तो छोटे तभे होही संगी, जब आप बड़का डांड खींचहू
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पाँचवां प्रांतीय सम्मलेन राजिम म सम्पन्न
- फिल्मी गोठ : फिलीम अउ साहित्य
- बिसवास अउ आसथा के केन्द्र – दाई भवानी , विन्दवासिनी अउ बाबा बन्छोरदेव
- माटी पुत्र या माटी के पुतला?
- नउकरी लीलत हमर तीजतिहार
- जस गीत : कुंडलिया छंद
- वाह रे तै तो मनखे (रोला छंद)
- छत्तीसगढ़ी लोक कथा : जइतमाल के ठेंगा
- धरती म समावय निस्तारी के पानी – गुड़ी के गोठ
- चौकीदार घुघवा ( बाल कहिनी)
- लमसेना – पुस्तक समीक्छा
- एकलव्य के द्रोनाचार्य बनगे गांधीजी
- भारतीय संविधान अउ महतारी भाखा
- सवच्छ भारत अभियान
- छत्तीसगढ़ी गज़ल
- आजादी के दीवाना : सुभाष चंद्र बोस (23 जनवरी जयंती विशेष)
- बोनस के फर
- छत्तीसगढ़ी गज़ल – जंगल ही जीवन है
- ललित नागेश के गज़ल
- छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह : शहीद के गाँव
- ननपन के सुरता : बाल भारती
- कोइली के गुरतुरबोली मैना के मीठी बोली जीवरा ल बान मारे रेे
- छै महीना बर ‘दंगल’ होईस टैक्स फ्री
- सरगुजिहा गजल
- कहिनी : लंगड़ा भिखारी के इच्छा
- शिवशंकर के सावन सम्मार
- लोकतंत्र के आत्मकथा
- भुर्री तापत हे
- राजा छत्तीसगढ़िया 2 म हवय आज के कहानी
- चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 2 : अरुण कुमार निगम