- संस्कार अउ संस्कृति : गोठ बात
- कविता: बराती
- नवा साल आगे रे
- धर्मेन्द्र निर्मल के योजना प्रचार गीत
- बरसा गीत
- मुख्यमंत्री ह लोकप्रिय ‘पंडवानी’ गायक श्री पुनाराम निषाद के निधन म गहरा दुःख व्यक्त करिन
- गंवइहा
- भगवान मोला गरीब बना दे
- कका के बिहाव : सार-छंद
- मोरो बिहा कर दे
- कविता – सुकवा कहे चंदा ले
- छत्तीसगढ़ के चिन्हारी गोदना
- बेरा के गोठ : गरमी म अईसन खावव पीयव
- योग्यता
- कहानी – बड़की बहू
- छत्तीसगढ़ म गुरूजी मन अऊ पढ़ईया लईका मन के संख्या के अनुपात राष्ट्रीय अनुपात ले आगर
- आगे आगे नवा साल
- फिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
- बरस जा बादर, किसानी के दिन अउ योग करो
- छत्तीसगढ़ी गीत नंदावत हे
- तडफ़त छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढिय़ा
- संस्कृति बिन अधूरा हे भाखा के रद्दा
- देवारी तिहार के बधई
- माटी के मया सियान मन के सीख
- छत्तीसगढ़ के राजिम धाम
- गणेश चतुर्थी पर कविता
- गरमीं के छुट्टी मा ममा गाँव
- कविता – महतारी भाखा
- नवगीत : गाँव हवे
- टेकहाराजा : छत्तीसगढ़ी लोक नाट्य के नवा अंजोर
- माटी के महिमा हे करसि के ठंडा पानी
- पूस के जाड़
- जै छत्तीसगढि़या किसान अउ खुश रहा
- पर्यटन : माण्डूक्य ऋषि के तपोभूमि ‘मदकू द्वीप’
- करम के डोरी : सियान मन के सीख
- वृत्तांत (10) : जिनगी ह पानी के, फोटका ये फोटका
- सरद पुन्नी के सार कथा
- छत्तीसगढ़ी काव्य चितेरे : बाबू प्यारेलाल गुप्त
- चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 2 : अरुण कुमार निगम
- छत्तीसगढ़ी गज़ल – हम परदेशी तान ददा
- सहे नहीं मितान
- पूस के रात : प्रेमचंद के कहानी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद
- लोक कथा : कोपरी के महल
- मतलाहा पानी
- पंचायत मंत्री अजय चन्द्राकर ह ‘कार्टूनों में अटल जी’ पुस्तक के करिस विमोचन
- गुंडाधूर
- छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह : शहीद के गाँव
- कहिनी : राजा नवयुग के मंत्रीमंडल
- सावन
- बिकास के बदचाल म होली होवथे बदहाल
- पुस्तक समीक्षा : गाँव के पीरा ‘‘गुड़ी अब सुन्ना होगे‘‘
- किसानी के गीत
- महतारी दिवस विशेष : महतारी महिमा
- तय जवान कहाबे
- कइसे होही छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िहा?
- वर्तमान ह सच आय – सुधा वर्मा
- कहिनी : उपास
- मुख्यमंत्री के अध्यक्षता म 336 करोड़ के निवेश प्रस्ताव उपर एमओयू
- मन डोले रे मांग फगुनवा …. बादर के दिन म फागुन लावत हें भाई लक्ष्मण मस्तुरिहा
- उत्छाह के तिहार हरेली
- असम के छत्तीसगढ़ वंशी मन के गीत
- गुरतुर गोठ परकासन के बारे म सूचना
- छत्तीसगढ़ गज़ल और बलदाऊ राम साहू
- बड़का कोन
- कल्चर बदल गे
- परोसी के भरोसा लइका उपजारना
- बेटी मन ल बचाए बर
- बुढ़वा लइका पांव पखारत हे तोर
- तैं ह आ जाबे मैना
- कमरछठ कहानी : देरानी-जेठानी
- छत्तीसगढ़ के वेलेंटाईन : झिटकू-मिटकी
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – क्रिया
- पलायन (कहिनी)
- मनोज कुमार श्रीवास्तव के गियारा कविता
- सिंगारपुर के माँवली दाई
- पछताबे गा
- कहानी : रेलवे टईम टेबुल के भोरहा
- बेटी ल बचाबो
- कबिता : चना-बऊटरा-तिवरा होरा
- व्यंग्य : पनही
- स्मृति शेष डॉ.विमल कुमार पाठक के श्रद्धांजली सभा, रामनगर मुक्तिधाम, सुपेला भिलाई के वीडियो
- अगुवा बनव
- कला ले खिलवाड़
- नंदावत हे रूख-राई : सियान मन के सीख
- फागुन के दोहा
- हरेली तिहार आवत हे
- गांव-गंवई के बरनन- मिश्र के कविता में – सरला शर्मा
- सबके अपन रंग
- छत्तिसगढ़ के गंगा : हरि ठाकुर के गीत
- लघु कथा – दरूहा
- धूवा मारे : विष्णुपद छंद
- छत्तीसगढ़ के तिज तिहार
- लइका मन मं पढ़इ लिखइ के सउख कइसे बाढ़य?
- कहानी : सेमी कस बँटागे मनखे
- छत्तीसगढ़ी बोले बर लाज काबर
- सेन्ट्रल वर्सेस स्टेट
- सार छंद : पूछत हे जिनगानी
- गांव के संस्कृति के धरोहर : ओरिया के छांव
- बसंत पंचमी अउ ओखर महिमा
- छत्तीसगढी साहित्य के सिरजन : लोकाक्षर 42