- असाढ़ आगे
- अगहन महीना के कहानी
- ढेलवानी – कहिनी
- छत्तीसगढ़ी कथा कंथली : ईर, बीर, दाउ अउ मैं
- जनता जनारदन
- साहित्यकार मनके धारन खंभा रिहिन डॉ. बलदेव
- बेटी ल बचाबो
- गीत : मउहा बिने ल जाबो
- पुस्तक समीक्षा : चकमक चिंगारी भरे
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पांचवा प्रांतीय सम्मेलन के दूसर दिन
- गहना गुरिया : चौपाई छंद
- डॉ.शैल चंद्रा के किताब : गुड़ी ह अब सुन्ना होगे
- माटी के पीरा
- किताब कोठी : विमर्श के निकष पर छत्तीसगढ़ी़
- जादू के खेला
- बसंत गीत : सुशील भोले
- छत्तीसगढ़ के दू साहसी लईका मन के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार खातिर चयन
- आजादी के दीवाना : सुभाष चंद्र बोस (23 जनवरी जयंती विशेष)
- भक्ति के जोत जलाले
- संगी मन संग अपन गोठ-बात
- वृत्तांत- (3) कोई उही म दहावत हे, कोई इही म भंजावत हे : भुवनदास कोशरिया
- परजातंत्र
- अंगरेजी नवा साल!!
- दुसर के दुख ला देख : सियान मन के सीख
- अबिरथा जनम झन गंवा
- सरद पुन्नी अऊ कातिक महिना के महत्तम
- नंदावत हे रूख-राई : सियान मन के सीख
- मुक्का उपास
- मँहगाई
- चॉकलेट के इतिहास
- प्यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता
- विजेंद्र कुमार वर्मा के कविता
- डाकघर म करावव रजिस्ट्रेशन, मोदी सरकार नौकरी देही
- गरीबा : महाकाव्य (दूसर पांत : धनहा पांत)
- बेरोजगारी
- सावन अऊ शिव
- महिला आरक्षण के लाभ छत्तीसगढ़ के मूल निवासी महिला मन ल देहे जाही
- व्यंग्य : जनता गाय
- महान आदिवासी जननेता महाराज परवीरचंदर भंजदेव जी
- चंदैनी गोंदा म संत कवि पवन दीवान के लोकप्रिय गीत
- छत्तीसगढ़ गौरव के रचियता पंडित शुकलाल पांडेय
- कहिनी फूल सुन्दरी राजकुमारी
- समे समे के गोठ ये
- गज़ल
- कहिनी म नारी पात्र के सीमा रेखा – सुधा वर्मा
- समीक्छा : दोहा के रंग
- सुआ नाचेल जाबो
- यमराज ला होगे मुस्किल
- अश्लीलता के सामूहिक विरोध जरूरी हे
- बसंत पंचमी एक मनभावन परब
- हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार उपन्यास सम्राट, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद
- गरमी अब्बड़ बाढ़त हे
- देख कइसे फागुन बउरात आत हे
- लड़की खोजत भंदई टूट जाय
- मड़ई मेला
- छत्तीसगढ़ के बासी चटनी
- ग़ज़ल : गुलेल
- ढ़ूंढ़ी रक्सिन: छत्तीसगढ़ी लोककथा – 1
- नंदावत हे अंगेठा
- मया के मुंदरी
- नाटक : रसपिरिया
- बलरामपुर : उत्कृष्ट निजी विद्यालय मन मं प्रवेश बर परीक्षा 19 मार्च को
- जिनगी कइसे चलही राम
- ब्रत उपास : कमरछठ अउ सगरी पूजा
- नान्हें कहिनी गुरुजी के सीख – राघवेन्द्र अग्रवाल
- बसंत पंचमी: नित्यानंद पाण्डेय
- गजानंद प्रसाद देवांगन जी के कविता
- पावन धरती राजिम ला जोहार
- धिक्कार हे
- किताब कोठी : हीरा सोनाखान के
- बियंग: ये दुनिया की रस्म है, इसे मुहब्बत न समझ लेना
- पुरुस्कार – जयशंकर प्रसाद
- चारो जुग म परसिद्ध सिवरीनरायन
- दर्रा हनागे
- मैं अक्खड़ देहाती अंव
- बालदिवस : मया करइया कका नेहरु
- बसंत ‘नाचीज’ के छत्तीसगढी गजल
- घाम जनावत हे
- ददा
- अनुवाद : विष्णु भगवान के पदचिन्ह (Marks of Vishnu)
- महतारी दिवस विशेष : दाई
- कइसे बचाबो परान
- तोर मेहनत के लागा ल…..
- कहिनी : पिड़हा
- आम जनता के गणतंत्र
- अगहन बिरसपति – लक्ष्मी दाई के पूजा अगहन बिरसपति
- छत्तीसगढ़ के गिरधर कविराय – जनकवि कोदूराम “दलित”
- बरखा गीद
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के दू दिनी प्रांतीय सम्मेलन
- हाय रे मोर गुरतुर बोली
- नानकिन किस्सा : प्याऊ
- उदेराम के सपना
- कमरछठ कहानी : देरानी-जेठानी
- खेत के मेड़
- कहिनी : लंगड़ा भिखारी के इच्छा
- छत्तीसगढ़ म होही ‘पंजाबी अकादमी‘ के स्थापना : डॉ. रमन सिंह
- नौ हाथ लुगरा पहिरे तभो ले देंहे उघरा
- छत्तीसगढ़ी बोलबो
- जल अमरित
- भूख (कबिता) : डॉ. राजेन्द्र सोनी