- हाय रे मोर मंगरोहन कहिनी – डॉ. सत्यभामा आड़िल
- नंदावत पुतरा-पुतरी – सुधा वर्मा
- नारी के महिमा भारी हे
- देवारी के दीया
- नमस्कार के चमत्कार
- पर भरोसा किसानी : बेरा के गोठ
- संतान के सुख समृद्धि की कामना का पर्व- हलषष्ठी
- रामेश्वर वैष्णव के कबिता आडियो
- जवाब मांगत एक सवाल
- व्यंग्य : बवइन के परसादे
- बुरा ना मानो होली है
- पुस्तक समीक्छा : अंतस के पीरा के गोहार ‘लदफंदिया’
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – अव्यय
- गीत – बाँसुरिया के तान अउ सूना लागे घर अँगना
- आथे गोरसी के सुरता
- मेला मडई
- मऊंहा झरे झंउहा-झंउहा – पुस्तक समीक्छा
- आज जरूरत हे सत के
- सुधा वर्मा के गोठ बात : नवरात म सक्ति के संचार
- दोहा गजल (पर्यावरण)
- गीत-“कहां मनखें गंवागे” (रोला छंद)
- किसान मन के अन्नदान परब छेरछेरा पुन्नी
- अकती तिहार : समाजिकता के सार
- मया के अंजोर
- बइगा के चक्कर – नान्हे कहिनी
- होली हे भइ होली हे
- पताल के भाव
- बुढ़वा लइका पांव पखारत हे तोर
- रतनपुर के महामाया माई मंदिर म लगिस स्वाइप मशीन : कैशलेश
- छत्तीसगढ़ी गज़ल – जंगल ही जीवन है
- छत्तीसगढ़ी भासा : उपेक्छा अउ अपेक्छा (एक कालजयी आलेख)
- गांव गंवई के चुनई
- साक्षरता का अकासदिया – पुस्तक समीक्छा
- कहिनी : दोखही
- गीत : रामेश्वर शर्मा
- उम्मीद म खरा उतरे बर आज के बुद्धिजीवीमन ल सामने आना चाही : खुमान लाल साव
- कहानी : अलहन के पीरा
- अक्ती तिहार
- छन्द के छ : रोला छन्द
- बेटी अंव, तेकरे पीरा ह बड़ जियानथे
- समे-समे के बात
- पातर पान बंभुर के, केरा पान दलगीर
- कबिता : चना-बऊटरा-तिवरा होरा
- बरीवाला के कहिनी : बंटवारा
- जनतंत्र ह हो गय जइसे साझी के बइला
- छत्तीसगढ़ ‘वर्णमाला अउ नांव’ एक बहस
- मानसून
- मया करबे त करले अउ आन कविता : सोनु नेताम “माया”
- अबिरथा जनम झन गंवा
- नेता टेकनसिंह कहाय के सऊक
- छत्तीसगढ़ के चिन्हारी आय- सुवा नृत्य
- तोर दुआरी
- नैन तै मिला ले
- कइसे बचाबो परान
- मुकुन्द कौशल के छत्तीसगढ़ी गज़ल
- स्कूल म ओडिसी .. पंथी, करमा काबर नहीं …?
- मोर गांव म कब आबे लोकतंत्र
- धमतरी : नगरी के 29 आंगनबाड़ी केन्द्र मन म कार्यकर्ता-सहायिका के नियुक्ति बर आवेदन आमंत्रित
- हमर छत्तीसगढ़
- सत के मारग बतइया- गुरु घासीदास जी
- माटी के महिमा हे करसि के ठंडा पानी
- लोककथा :असली गहना
- बड़का कोन
- बसंत ल देखे बर सिसिर लहुटगे
- देवउठनी एकादशी अऊ तुलसी बिहाव
- सेठ घर के नेवता : कहिनी
- नान्हे कहिनी : दुकालू
- सुआ नाचेल जाबो
- मैं आदिवासी अंव
- तीजा – पोरा के तिहार
- पाठ्यक्रम म छत्तीसगढ़ी – आंदोलन के जरूरत …..
- सोनाखान के आगी – लक्ष्मण मस्तुरिया
- सुरहुत्ती तिहार
- व्यंग्य : गिनती करोड़ के
- अरुण कुमार शर्मा ल एसो के “पद्म श्री” सम्मान
- सेल्फी ह घर परवार समाज ल बिलहोरत हाबय
- मोर गांव के बजार
- कुण्डलियाँ
- जै छत्तीसगढि़या किसान अउ खुश रहा
- भक्ति करय भगत के जेन
- प्रशासनिक शब्दकोश बनइया मन ल आदर दव, हिनव झन
- गीत
- छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर ह देश के पहिली कैशलेस बाजार
- समय मांगथे सुधार – गुड़ी के गोठ
- आगू दुख सहिले
- छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य अउ देशबन्धु
- छत्तीसगढ़ी गज़ल – हमरे गाल अउ हमरे चटकन
- कोजन का होही
- मोर गाँव ले गँवई गँवागे
- आम जनता के जीवन मं बदलाव लाना ही सरकार के असल उद्देश्य : डॉ.रमन सिंह
- भोजली गीत
- महतारी दिवस 14 मई अमर रहे : महतारी तोर महिमा महान हे
- तीन छत्तीसगढ़ी गज़ल
- साहित्यकार मनके धारन खंभा रिहिन डॉ. बलदेव
- गॉंव कहॉं सोरियावत हे : गठरी सब छरियावत हें
- काबर बेटी मार दे जाथे
- चुनाव आयोग म भगवान
- चिल्हर के रोना
- सरपंच कका
- छत्तीसगढ़ के दू साहसी लईका मन के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार खातिर चयन