- कान्हा के होली ( छत्तीसगढ़ी फाग गीत )
- परशुराम
- अपन देस- शक्ति छंद
- छत्तीसगढ़ी के सरूप
- लीम चउरा के पथरा : कबिता
- नाटक अऊ डॉ. खूबचंद बघेल
- पानी हे जिंदगानी
- महानदी पैरी अउ सोढुर तीनो के मिलन इस्थान म लगथे राजिम मेला
- सिवनी (नैला) के चैत नवरातरी के संतोषी मेला
- सावन
- जस गीत : कुंडलिया छंद
- चमत्कारी हवय अशोक के रूख
- लोक परब छेरछेरा : समाजिक समरसता के तिहार
- छत्तिसगढ़ महतारी के बन्दना : दानेश्वर शर्मा के गीत
- नई उतरिस बिच्छी के झार पटवारी साहेब ला परगे मार
- हीरानंद सच्चिदानंद वात्सायन अज्ञेय के तीन कविता
- भारत रक्षा खातिर आबे, गणनायक गनेस
- नान्हे कहिनी : सिरिफ एक पेड़
- लोक कथा : लेड़गा मंडल
- चतुर्भुज सिरक्कटी धाम
- बंदौ भारत माता तुमला : कांग्रेस आल्हा
- नेता मन के जनमदिन के पोस्टर हा साल भर पूरा राईपुर शहर मा चटके रथे
- उम्मीद म खरा उतरे बर आज के बुद्धिजीवीमन ल सामने आना चाही : खुमान लाल साव
- परबत के झांपी: रवीन्द्र कंचन
- कहानी : मुर्रा के लाडू
- कविता: कुल्हड़ म चाय
- गणेश चतुर्थी पर कविता
- सावन में शिव ला मनाबोन
- तिल-तिल बाढे़ के दिन जानव (14 जनवरी मकर संक्रान्ति)
- नवा बछर के शुरुआत : कहानी
- छत्तीासगढ़ी म परथंम धर्म उपदेशक संत गुरू घासीदास
- मरहा राम के जीव
- कहिनी – जुड़वा बेटी
- छत्तीसगढी कुण्डली (कबिता) : कोदूराम दलित
- चुनावी व्यंग्य : बूता के अपग्रेडेसन
- नौ बछर के छत्तीसगढ़
- वृत्तांत- (5) कौरा के छिनइ अउ जीव के बचई : भुवनदास कोशरिया
- आथे गोरसी के सुरता
- मुक्का उपास
- मे हा चालीस बछर से रोज कोरट जावत हवव
- सुजान कवि के सुजानिक छन्द कविता : छन्द के छ
- सावन के तिहार
- मेला घुमाई दे
- जनम भूमि : कहिनी
- अईसने चुनई आथे का
- चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 1 : अरुण कुमार निगम
- महतारी दिवस विशेष : महतारी महिमा
- किसान
- बियंग : बिहतरा बाजा अउ बजनिया
- देहे ल घलव सीखव – नीति कथा
- पुरखा मन के दूत होथे कउवा
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – सर्वनाम
- छन्न पकैया : पकैया छ्न्द
- गरीबा महाकाव्य (चौंथा पांत : लाखड़ी पांत)
- भोलापुर के कहानी : कहानी संग्रह
- बियंग: करजा माफी
- चिकित्सा विज्ञान अउ अभियांत्रिकी विज्ञान के हिंदी म पुस्तक प्रकाशित करे के जरूरत : श्री टंडन
- मदरस कस मीठ मोर गांव के बोली
- छत्तीसगढ़ ला जनम दिन के बधई
- कहानी संग्रह : भोलापुर के कहानी – लेखकीय
- जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया” के दोहा : नसा
- सुरता (संस्मरण) – सिकरनिन दाई
- बादर गीत: हरि ठाकुर
- विकास के काम ल गिनाए के जरूरत नइ होवय, काम खुदे बोलथे : डॉ. रमन सिंह
- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य : नोट बंदी के महिमा
- पतरेंगी
- गाँव कहाँ सोरियावत हें (छत्तीसगढ़ी कविता संग्रह के कुछ अंश )
- गांव के सीतला
- छत्तीसगढ़ के तीज तिहार- मड़ई मेला
- माथा के पसीना
- योग करव जी (कुकुभ छंद)
- तेजनाथ के रचना
- विश्व जल संरक्षण दिवस : सार छंद मा गीत – पानी जग जिनगानी
- बुद्ध-पुन्नी
- बसंत पंचमी: नित्यानंद पाण्डेय
- चलनी में गाय खुदे दुहत हन
- कविता के थरहा- विसम्भर यादव ‘मरहा’
- मोरो बिहा कर दे
- जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया” के दोहा : करम
- मैगी के जमाना
- रामनौमी तिहार के बेरा म छत्तिसगढ़ में श्रीराम
- नंदिनी केहेस त मोर गांव देमार – कहिनी
- दारू छोड़व
- हमर संस्कृति म भारी पड़त हे मरनी भात खवाना
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : सत्ता धारी
- अड़हा रईतिस तेने बने ददा
- एक पाती सुरूज देवता के नाव
- सावन अऊ शिव
- एकलव्य के द्रोनाचार्य बनगे गांधीजी
- बोरे-बासी के दिन आगे..
- कुण्डलियाँ
- पांच बछरिया गनपति
- नवा थियेटर के वरिष्ठ कलाकार अऊ रिंगनी-रवेली नाच पार्टी के जोक्कर उदय राम श्रीवास
- महतारी बरोबर भउजी
- राजा के मुड़ी म सिंग
- नान्हे गम्मत : झिटकू-मिटकू
- राजिम मेला
- लघु कथा संग्रह – धुर्रा
- लोरी
- फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक….