- जाड़ ह जनावत हे
- ग्रीन स्टील ले शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य के संग ही खुलही आर्थिक संभावना मन के दुवारी – मुख्यमंत्री
- तीजा तिहार
- मोला नेता बना देते भोले बाबा
- मय अक्खड़ देहाती अंव
- रेमटा टुरा के करामात
- कान्हा मोला बनादे : सार छंद
- छत्तीसगढ़ महतारी
- पढ़व, समझव अउ करव गियान के गोठ -राघवेन्द्र अग्रवाल
- तेजनाथ के रचना
- मेकराजाला म बाढ़य हमर भाखा के साहित्य : राजभाषा आयोग देवय पंदोली
- गनेस के पेट
- फूलो
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के छठवां प्रांतीय सम्मेलन
- कती जाथन हमन
- केसरिया रंग मत मारो कान्हा
- पानी बिना जग अंधियार
- पीपर तरी फुगड़ी फू
- लघु कथा संग्रह – धुर्रा
- भूतपूर्व सैनिक मन ले सहायक ग्रेड 3 के सीधा भर्ती बर आवेदन आमंत्रित
- तलाश अपन मूल के
- अड़हा रईतिस तेने बने ददा
- एकलव्य
- महान आदिवासी जननेता महाराज परवीरचंदर भंजदेव जी
- हे राम : नारायण लाल परमार के नवगीत
- चौपाई छंद – सर्दी आई
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – आस्था, अंधविश्वास, बीमारियाँ
- डॉ. सी. व्ही. रमन विश्वविद्यालय के कैलेंडर के विमोचन
- व्यंग्य : चुनाव के बेरा आवत हे
- बिधना के लिखना
- सरग सुख : कहिनी
- मोबाइल के बड़े-बड़े गुन
- महतारी भासा
- पातर पान बंभुर के, केरा पान दलगीर
- छत्तीसगढी शब्द में भ्रम के स्थिति….
- राजा के मुड़ी म सिंग
- मोर भाखा
- सक
- मै मै के चारों डाहर घूमत साहित्यकार – सुधा वर्मा
- आमा के चटनी
- पारंपरिक छत्तीसगढ़ी सोहर गीत
- छत्तीसगढ़ निर्माण
- दानी राम बंजारे और जानकी बाई बंजारे द्वारा प्रस्तुत गोपी चंदा गाथा
- छत्तीसगढ़ी गीत-ग़ज़ल-छंद-कविता
- जाड़ के घाम
- कब बबा मरही ….. कब बरा खाबो
- ससुर के नखरा
- नदिया के पीरा
- कविता – सुकवा कहे चंदा ले
- खजरी असनान – गुड़ी के गोठ
- चारो जुग म परसिद्ध सिवरीनरायन
- नंदाजाही का रे कमरा अउ खुमरी
- प्रेमचंद के काहनी अऊ छत्तीसगढ़
- छत्तीसगढ़ मं बिहाव के रीति-रिवाज
- अब का पोरा-जाँता जी ?
- छत्तीसगढ़ी गजल
- पुस्तक समीक्षा : अंतस म माता मिनी
- छत्तीसगढ़ी संस्कृति म गोदना
- कमरछठ कहानी – दुखिया के दुःख
- परोसी के भरोसा लइका उपजारना
- छत्तीसगढ़ के बासी चटनी
- मोर कुकरा कलगी वाला हे ( गीत )
- गांव के पीरा
- सबले बड़े पीर
- मोर लइका दारु बेचथे
- छन्द के छ : कुण्डलिया छन्द
- रामेश्वर वैष्णव के कबिता आडियो
- बिहान होगे रे
- हमला तो गुदगुदावत हे, पर के चुगली – चारी हर : छत्तीसगढ़ी गज़ल
- कविता – महतारी भाखा
- लोटा धरके आने वाला इहां टेकाथें बंगला
- सेल्फी ले ले
- भोंभरा : कबिता
- छत्तीसगढ़ महतारी के रतन बेटा- स्व. प्यारे लाल गुप्त
- मेला मडई
- दोहालरी – दामाखेड़ा धाम
- सेठ घर के नेवता : कहिनी
- जय सिरजनहार, जय हो बनिहार
- मंगत रविन्द्र के कहिनी ‘सोनहा दीया’
- छत्तीसगढ़ी तिहार : छेरछेरा पुन्नी
- बिन बरसे झन जाबे बादर
- गाँव लुकागे
- नान्हें बियंग कहिनी: मोला कुकुर बना देबे
- छत्तीसगढ़ी गज़ल – देखतेच हौ अउ आदत बना लन
- आज के बड़का दानव
- सावन के परत हे फुहार
- चलो मंदिर जाबो
- अकती के तिहार
- वृत्तांत- (2) पंग पंगावत हे रथिया : भुवनदास कोशरिया
- किसान
- सरकारी इसकूल
- दसवा गिरहा दमांद
- डेरहा बबा
- नान्हे कहिनी – ढुलबेंदरा
- कहानी संग्रह : भोलापुर के कहानी – लेखकीय
- कहिनी : आरो
- समय मांगथे सुधार,छत्तीसगढ़ी वर्णमाला एक बहस
- नारी हे जग में महान
- कुकुर मड़ई माने डॉग शो अउ डॉग ब्यूटी कान्टेस्ट – गुड़ी के गोठ