- मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी
- मजदूर
- विष्णु सखाराम खांडेकर कहानी के एकांकी रूपांन्तरण : सांति
- कबिता : नवा बछर के गाड़ा -गाड़ा बधाई
- घुरवा के दिन घलो बहुरथे
- बियंग: परगति
- बरसा गीत
- नान्हे कहिनी : दुकालू
- चंदैनी गोंदा म संत कवि पवन दीवान के लोकप्रिय गीत
- कविता : हुसियारी चाही रे
- बाबा घासीदास जयंती – सतनाम अउ गुरु परंपरा
- भोलेनाथ के गुफा चैतुरगढ़़
- दूध के करजा चुकाले रे
- नारी अउ सम्मान
- दिनेश चौहान के आलेख – कबीर जयंती बर विशेष : जन-मन म बसे कबीर
- कबिता : चोरी ऊपर ले सीना जोरी
- छत्तीसगढ़ी काव्य के कुछ महत्वपूर्ण कवि: डॉ. बलदेव
- चलो मंदिर जाबो
- बोधन राम निषाद राज के ददरिया
- हमर घरे मा हावय दवई
- कहिनी : हिरावन
- झगरा रोज मताथे
- रूख लगाय के डाढ़ – कहिनी
- सेठ घर के नेवता : कहिनी
- राखि तिहार
- अकती के तिहार आगे
- बात सुनव छत्तीसगढ़ के, बन औषधि के जड़ के
- राजिम नगरी
- छत्तीसगढ़ी भूल भूलैया
- बेंगवा के टरर-टरर
- मिट्ठू मदरसा : रविन्द्रनाथ टैगोर के कहिनी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद
- महान आदिवासी जननेता महाराज परवीरचंदर भंजदेव जी
- पइधे गाय कछारे जाय
- माफी के किम्मत
- हमर शिक्षा व्यवस्था
- गणतंत्र दिवस के करा तइयारी
- उत्छाह के तिहार हरेली
- व्यंग्य : नवा सड़क के नवा बात
- तन के साधु, मन के शैतान
- बसंती हवा
- नवगीत : अगर न होतेन हम
- मइया पांचो रंगा
- व्यंग्य : रोटी सेंकन मय चलेंव………
- नान्हे कहिनी – मन के पीरा
- नवा बैला के चिक्कन सिंग चल रे बैला टिंगे-टिंग : किरकेट के कहिनी
- सियान मन के सीख : ए जिनगी के का भरोसा
- पेड़ लगावा जिनगी बचावा
- चॉकलेट के इतिहास
- भुर्री तापत हे
- जनकवि स्व.कोदूराम’दलित’ जनम के सौ बरिस म बिसेस : ”धान-लुवाई”
- नवा रइपुर मोर रइपुर
- आमा खाव मजा पाव
- सियान मन के सीख : चोला माटी के हे राम
- लोककथा के शिक्षक- संत गुरु घासीदास अउ उंकर उपदेस
- मया के रंग : लघु कथा
- दाई के होगे हलाकानी
- जय ३६ गढ़ महतारी
- पथरा के मोल
- बुढ़वा लइका पांव पखारत हे तोर
- पारंपरिक देवार-गीत
- छत्तीसगढ़ के पर्यटन संबंधी फोटो खींचव अउ इनाम पावव
- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह तुंहर जंउहर होवय के होईस विमोचन
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : मितानी
- गरीबा महाकाव्य (सतवया पांत : चनवारी पांत)
- गोठ गुने के गोठियांथव
- छत्तीसगढ़ी दिवस 28 नवम्बर विशेष
- तीन कबिता
- मड़ई मेला
- कविता : कहॉं लुकाये मोर मईया
- ब्रत उपास : कमरछठ अउ सगरी पूजा
- छत्तीसगढ़ी तिहार : छेरछेरा पुन्नी
- बोनस के फर
- अईसने चुनई आथे का
- मोर छतीसगढ़ महान हे
- पुतरी पुतरा के बिहाव
- बीड़ी ला सिपचा ले भइया
- हरितालिका व्रत (तीजा)
- मेछा चालीसा
- पितर पाख तिहार म
- सांस म जीव लेवा धुंगिया
- व्यंग्य : गिनती करोड़ के
- हमला तो गुदगुदावत हे, पर के चुगली – चारी हर : छत्तीसगढ़ी गज़ल
- कैसे करन तोर बापू बडा़ई : दाऊ निरंजनलाल गुप्ता के गीत
- आडियो फाईल
- दाई के पीरा
- गीत : जिनगी के गाड़ा
- व्यंग्य : जनता गाय
- छत्तीसगढ़ गीत म सिंगार रस
- जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे
- छत्तीसगढि़या संगी मन संग जरूरी गुपचुप बात
- सुन संगवारी
- गद्य साहित्य के कोठी म ‘बगरे गोठ’ के सकेला – पुस्तक समीछा
- आज के सतवंतिन: मोंगरा
- छत्तीसगढ़ी राजभासा कामकाज के भासा कब बनही
- किसानी अपन करथो
- छत्तीसगढ़ी भासा
- चारो जुग म परसिद्ध सिवरीनरायन
- छत्तीसगढ़ी बोले बर लाज काबर
- नवा बच्छर के गोठ
- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य : नोट बंदी के महिमा