- जानबा
- मोर मन के पीरा
- सुरता आथे रहि-रहिके
- वृत्तांत- (1) इंहे सरग हे : भुवनदास कोशरिया
- वाह रे रूपया तै महान होगे
- बाम्हन चिरई
- गुजरा के कुंदन के “अंतर्राष्ट्रीय अंटार्कटिका” अभियान बर होइस चयन
- नान्हें कहिनी : तीजा के लुगरा
- मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी
- आम आदमी
- तय जवान कहाबे
- दोहा
- छत्तीसगढ़ी के सरूप
- राजिम मेला
- छत्तीसगढि़या संगी मन संग जरूरी गुपचुप बात
- श्रीमती सपना निगम के कबिता : कुकरी महारानी
- निषाद राज के छत्तीसगढ़ी दोहा
- समे समे के गोठ ये
- मोर पहिली हवाई यात्रा
- दु आखर स्वास्थ्य के गियान
- देसी के मजा
- नवा बछर मोर छत्तीसगढ़ में नवा बिहनिया आही सियान मन के सीख
- पंदरा अगस्त के नाटक
- गांव-गंवई के बरनन- मिश्र के कविता में – सरला शर्मा
- गऊ रक्छक : नान्हे कहिनी
- अहिमन कैना : छत्तीसगढी लोक गाथा
- सुरता लंव का दाई तोर गांव मा
- चिंतन के गीत
- कोन जनी कब मिलही..?
- छै महीना बर ‘दंगल’ होईस टैक्स फ्री
- में नो हों महराज: नारायण लाल परमार
- गरीबा महाकाव्य (पंचवईया पांत : बंगाला पांत)
- रंग: तीरथराम गढ़ेवाल के कविता
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – गाली, वर्जनाएँ
- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य : नोट बंदी के महिमा
- कबिता : चंदा
- मैं वीर जंगल के : आल्हा छंद
- चना के दार राजा, चना के दार रानी
- पहुना: ग.सी. पल्लीवार
- वंदे मातरम
- लघुकथा – आटोवाला
- छत्तीसगढ़ी गोठियाय बर लजावत हे
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – अव्यय
- पितर पाख म साहित्यिक पुरखा के सुरता – कोदूराम दलित
- शिवशंकर के सावन सम्मार
- मोर गांव म कब आबे लोकतंत्र
- गज़ल : छत्तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 2
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
- अब लाठी ठोंक
- मै मै के चारों डाहर घूमत साहित्यकार – सुधा वर्मा
- फेर दुकाल आगे
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
- बिहान होगे रे
- छत्तिसगढ़ के गंगा : हरि ठाकुर के गीत
- कबिता: वाह रे मोर गाँधी बबा के नोट
- तपत कुरू भइ तपत कुरू
- 7 जुलाई तक
- मीठ बोली हे मैना कस
- डॉ. सी. व्ही. रमन विश्वविद्यालय के कैलेंडर के विमोचन
- छत्तीसगढ़ गज़ल और बलदाऊ राम साहू
- छत्तीसगढ़ी गज़ल
- सावन मा बेलपत्र के महिमा
- देवी देवता के पूजा इस्थान म होथे मड़ाई
- एक बीता पेट बर
- आरूग चोला पहिरावय 10 जन
- हीरानंद सच्चिदानंद वात्सायन अज्ञेय के तीन कविता
- ममा घर के अंगना
- दारु भटठी बंद करो
- झिरिया के पानी
- कहिनी : करनी दिखथे मरनी के बेरा
- उदेराम के सपना
- आमा के चटनी
- सोनाखान के सोन-शहीद बीर नारायण सिंह
- रूख तरी आवव
- मया के दीया
- रखवारी
- राजागुरु बालकदास : छत्तीसगढ़ गवाही हे
- सनत के छत्तीसगढ़ी गज़ल
- गुरू अउ सिस्य के संबंध
- खेत के धान ह पाक गे
- कहिनी : बमलेसरी दाई संग बैसाखू के गोठ
- गुरुजी बने परीक्षा देयबर परही
- भइंसा चोरी के सीबीआई जांच
- छत्तीसगढ़ी साहित्य में काव्य शिल्प-छंद
- जनतंत्र ह हो गय जइसे साझी के बइला
- पर्यटन गतिविधियों ल बढ़ावा देहे प्रदेश म लउहे उदीम करे जाही
- तैं ह आ जाबे मैना
- लोक कथा : सतवंतीन
- सुकवि बुधराम यादव जी के गज़ल
- महादेव के बिहाव खण्ड काव्य के अंश
- बेनी मा फूल गूंथे के दिन
- आवत हे राखी तिहार
- आमा खाव मजा पाव
- आगे पढ़ई के बेरा : मोर लइका ला कहाँ पढ़ांव
- गॉंव कहॉं सोरियाव हे : गॉंव रहे ले दुनिया रइही – डॉ. चितरंजन कर
- दंतेवाड़ा के डीईओ के घर सोन तउले बर एसीबी ल मंगाए ल परिस मशीन
- चुपरनहा साबुन
- बसे हो माया मोरो नैन
- हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार उपन्यास सम्राट, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद