- मोर लइका दारु बेचथे
- आह! घनचकरूं वाह!!
- बीर नरायन बनके जी
- मोर मयारू गणेश
- बरसात : गीतिका छंद
- छत्तीसगढ़ के माटी अंव
- गोविन्द राव विट्ठल के छत्तीसगढ़ी नाग-लीला के अंश
- चार बेटा राम के कौडी के ना काम के
- लघुकथा : अमर
- लगिन फहराही त बिहाव माढ़ही
- भोलेनाथ के गुफा चैतुरगढ़़
- आठे कन्हैया – 36 गढ़ मा सिरि किसन के लोक स्वरूप
- छत्तीसगढ़ी भाषा परिवार की लोक कथाऍं
- आगे सावन रे
- रूख-राई ला काटे ले अड़बड़ पाप होथे
- मैं जनम के बासी खावत हौं
- शिव भोला ल मनाबोन
- सतनाम सार हे
- नान्हे कहिनी : सिरिफ एक पेड़
- फुटहा छानी
- दुसर के दुख ला देख : सियान मन के सीख
- माफी के किम्मत
- गांव गंवई के चुनई
- कोण्डागांव : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अउ सहायिका पद बर आवेदन आमंत्रित
- कमरछठ कहानी – सातो बहिनी के दिन
- अडहा बईद परान घाती : पटवारी साहेब जब डाग्डर बनिस
- छतीसगढ़िया सबले बढ़िया
- भाई -बहिनी के तिहार – राखी
- शिवशंकर शुक्ल के कहिनी
- देवारी तिहार आवत हे
- कुंवर दलपति सिंह के राम-यश मनरंजन के अंश
- नाग पंचमी के महत्तम
- जिनगी के बेताल – सुकवि बुधराम यादव
- परघनी
- लाला फूलचंद श्रीवास्तव के कौशल प्रान्त ( छत्तीसगढ़ ) के बन्दना
- पेड़ लगावा जिनगी बचावा
- मन लागा मेरो यार फकीरी में – अनुपम सिंह के गोठ
- छत्तीसगढ़ म मउत “अमर” हे
- देव म महादेव भकूर्रा महादेव
- वृत्तांत- (6) सबे जीव के सरेखा ..रखना हे : भुवनदास कोशरिया
- बसंत रितु आगे
- चरगोड़िया : रघुबीर अग्रवाल ‘पथिक’
- किसान के पीरा
- ‘रमन के गोठ’ म जनकवि लक्ष्मण मस्तूरिया के लोकप्रिय गीत ‘मोर संग चलव रे’ ल मुख्यमंत्री सुरता करिन
- मया के अंजोर
- धन्यवाद ल छत्तीसगढ़ी मँ का कइथें ?
- बरसा के बादर आ रे : कबिता
- सरग हे जेकर एड़ी के धोवन
- मोर मातृभाषा छत्तीसगढी हे : पालेश्वर शर्मा
- युग प्रवर्तक हीरालाल काव्योपाध्याय
- मोर छइयां भुइयां के माटी
- मोला करजा चाही
- बियंग: ये दुनिया की रस्म है, इसे मुहब्बत न समझ लेना
- चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 5 : अरुण कुमार निगम
- राजिम नगरी
- माटी के दियना
- जसगीत अउ छ्त्तीसगढ – दीपक शर्मा
- छत्तीसगढ़ी सन् 1917 म
- चित्रगुप्त हा पेसी के पईसा खावत हे, यम के भंइसा अब ब्लाग बनावत हे.
- भिनसार (काव्य संग्रह) – मुकुंद कौशल
- मोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : चाल चरित म कढ़े रहंय
- स्मृति शेष डॉ.विमल कुमार पाठक के श्रद्धांजली सभा, रामनगर मुक्तिधाम, सुपेला भिलाई के वीडियो
- दंतेवाड़ा के डीईओ के घर सोन तउले बर एसीबी ल मंगाए ल परिस मशीन
- छै महीना बर ‘दंगल’ होईस टैक्स फ्री
- देखो फुलगे, चंदइनी गोंदा फुलगे
- कहानी : फूल के जघा पउधा भेंट करव
- कबिता : बसंत रितु आथे!
- नवा बैला के चिक्कन सिंग चल रे बैला टिंगे-टिंग : किरकेट के कहिनी
- छत्तीसगढ़ी कविता के सौ साल: संपादक-डॉ. बलदेव
- मानव सेवा – देहदान : जरूरत अउ महत्ता
- सुमिरव तोर जवानी ल
- छत्तीसगढ़ी गज़ल : पीरा संग मया होगे
- मोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : नाचा-गमत
- पीतर पाख
- परीक्षा
- रायपुर : प्रबंधक व सुपरवाइजर के निःशुल्क प्रशिक्षण बर पंजीयन 10 फरवरी तक
- मेला घुमाई दे
- अगुवा बनव
- जनम भूमि : कहिनी
- पुण्य सकेले के दिन आय अक्ती
- मेरी क्रिसमस
- सरसों ह फुल के महकत हे
- मोर भुईयां के भगवान
- महान आदिवासी जननेता महाराज परवीरचंदर भंजदेव जी
- सुरता : जन कवि कोदूराम “दलित”
- छत्तीसगढ़ी परिम्परिक लोक धुन छेरछेरा पुुन्नी के गीत
- मध्यान्ह भोजन अउ गांव के कुकुर
- कीरा – मकोरा
- बखरी के तुमा नार बरोबर मन झूमरे
- मैं वीर जंगल के : आल्हा छंद
- हरमुनिया – मंगत रविन्द्र के कहिनी
- लइका अउ सियान खेलव कुरिया मा
- गदहा मन के मांग
- धिक्कार हे
- गजानंद प्रसाद देवांगन जी के कविता
- नंदावत हे अकती तिहार
- चल जाबो राजिम कुम्भ – कहिनी
- राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर साहू ह मुख्यमंत्री संग करिन सौजन्य मुलाकात
- चरनदास चोर
- ‘भोले के गोले” म छूटत गियान के गोला