- अब एक नवा इतिहास लिखव
- पितर पाख मा साहित्यिक पुरखा के सुरता : शुकलाल प्रसाद पांडेय
- गॉंव कहॉं सोरियाव हे : गॉंव रहे ले दुनिया रइही – डॉ. चितरंजन कर
- अब बिहाव कथे, लगा के देख
- अगहन महीना के कहानी
- माफी के किम्मत
- तीजा जावत
- संबंध मिठास के नांव ताय मड़ई ह
- पितर पाख म साहित्यिक पुरखा के सुरता – विद्या भूषण मिश्र
- चउतरा सेठ
- कबिता : चना-बऊटरा-तिवरा होरा
- कागज के महल
- उत्तर बस्तर कांकेर : दिव्यांग वर्षा ल मिलीस व्हीलचेयर
- सुशील यादव के रचना
- कहिनी : धुरंधर महाराज
- मोर बाई बहुत गोठकहरिन हे!
- विकास के काम ल गिनाए के जरूरत नइ होवय, काम खुदे बोलथे : डॉ. रमन सिंह
- 18 मई बट सावितरी पूजा विसेस : सत्यवान के खोज (बियंग)
- बिचार : नैतिकता नंदावत हे
- दारु के निसा
- प्रकृति के विनास
- पानी हे अनमोल
- दारू बंदी के रद्दा अब चातर होवत हे
- माटी पुत्र या माटी के पुतला?
- छन्द के छ : उल्लाला
- छत्तीसगढ़ी के उपन्यास : मोर बिचार
- बरसा ह आवत हे!
- फिलिम बनाबो फिलीम बनाबो
- माथा के पसीना
- नवा बछर के मुबारक हवै
- सनत के छत्तीसगढ़ी गज़ल
- सरगुजिहा गजल
- नदिया के पीरा
- परकिती के परती आत्मियता के तिहार ये हरेली
- छत्तीसगढ़ के माटी : लक्ष्मण मस्तुरिया
- नशा मुक्ति के गीत
- भूमिका : कथात्मकता से अनुप्राणित कहानियाँ
- पहुँचगिस संसद
- महतारी भाखा के मान करव
- बियंग : पारसद ला फदल्लाराम के फोन
- महतारी के मया
- कहिनी : आरो
- व्यंग्य : रावन संग भेंट
- कवित्त छंद
- चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 4 : अरुण कुमार निगम
- फिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
- बनकैना
- तिल सकरायत
- कन्या पूजन
- गुरतुर गोठ : छत्तीसगढी
- पुस्तक समीक्छा : अंतस के पीरा के गोहार ‘लदफंदिया’
- कमरछठ कहानी(4) – देरानी -जेठानी
- वाह रे कलिन्दर
- बीर नरायन बनके जी
- व्यंग्य : गवंई गांव के रद्दा म बस के सफर
- हाईकू
- परोसी के परेम
- छत्तीसगढ़ी भाषा म बाल-साहित्य लेखन के संभावना अउ संदर्भ
- भगत के बस म भगवान – लोककथा
- गुरमटिया म सावन अउ महतारी
- गरीबा महाकाव्य (छठवया पांत : तिली पांत)
- छत्तीसगढ़ी कविता के सौ साल: संपादक-डॉ. बलदेव
- कबिता: न ते हारे न में जीतेंव
- कहानी : अलहन के पीरा
- अब्बड़ सुहाथे मोला बासी
- मेला घुमाई दे
- छोटे देवारी के खुशी भारी : देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर
- गाँव लुकागे
- आवा बचावव लोक कला ल : डॉ. सोमनाथ यादव
- रमन के गोठ आडियो – हल्बी सहित- 11 दिसम्बर 2016
- लइका बर खसरा अउ रुबैला टीका
- अइसन दिन आये हे
- भूख (कबिता) : डॉ. राजेन्द्र सोनी
- सुरता मा जुन्ना कुरिया
- तीजा तिहार म
- सेठ घर के नेवता : कहिनी
- कहानी : पछतावा
- वृत्तांत- (8) सिरपुर के पुन्नी घाट : भुवनदास कोशरिया
- बेंगवा के टरर-टरर
- खतरनाक गेम
- मुसुवा के मूँड़ पीरा
- पुरुस्कार – जयशंकर प्रसाद
- रवनिया जड़काला के
- पंचलाईट
- नान्हे कहिनी: लइकाहा बबा
- कहिनी : उपास
- दुखिया बनगे सुखिया – राघवेन्द्र अग्रवाल
- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य : सेल्फी कथा
- चुपरनहा साबुन
- लक्ष्मण मस्तुरिया के कविता : आडियो
- बड़का कोन
- नशा : कविता
- मनोज कुमार श्रीवास्तव के सरलग 41 कविता
- काकर लइका होइस – छत्तीसगढ़ी लघु कथा
- धंधा
- मोरो कोरा ल भर दे: मन्नीलाल कटकवार
- दोहा के रंग : दोहा संग्रह
- उत्तर कांड के एक अंश छत्तीसगढी म
- बारो महीना तिहार
- अक्षर दीप जलाबोन