- नान्हे कहिनी – सवाल
- तैंहर छोटे झन जानबे भइया एक ला : केयूर भूषण के गीत
- अनुवाद : पतंगसाज (The Kite Maker)
- नवा बच्छर के गोठ
- छत्तीसगढ़िया भाव जगाए मं, काबर लजाथन?
- महेन्द्र देवांगन माटी के कविता : बसंत बहार
- सार छंद : पूछत हे जिनगानी
- रहचुली
- मोर संग चलव रे
- काबर सूना हावय कलाई
- कहिनी : ईरखा अउ घंमड के फल
- श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – का कहिबे?
- टुरी देखइया सगा
- बजरहा होवत हमर तीज तिहार
- मोला कभू पति झन मिलय – कहिनी
- मनतरी अऊ मानसून
- गज़ल
- बोधन राम निषाद राज के तीन गीत
- लोक कला के दीवाना रामकुमार साहू
- काम काजी छत्तीसगढ़ी, स्वरूप, अउ संभावना
- उत्तर कांड के एक अंश छत्तीसगढी म
- विजेंद्र कुमार वर्मा के कविता
- अक्ती तिहार
- पितर बिदा के दिन आ गय
- पद्मश्री डॉ॰ मुकुटधर पाण्डेय के कविता
- 24 मई -जेठ दसमी : वीर आल्हा जयंती, आल्हा चालीसा (आल्हा छंद में)
- चिरई बोले रे
- सुरता: लोक संगीत म जीवन ल समर्पित करइया महान कलाकार – खुमान साव
- छत्तीसगढी कुंडली : रंगू प्रसाद नामदेव
- मोर गांव के बजार
- छत्तीसगढ़ भासा के असली सवाल सोझ-सोझ बात
- फिल्मी गोठ : छत्तीसगढ़ी फिलीम म बाल कलाकार
- माटी माथा के चंदन
- बिमोचन – पुरखा के चिन्हारी
- छत्तीसगढ़ी गज़ल
- योग रखय निरोग बरसात मा
- माटी के मया
- नवा बछर के नवा उमंग
- मोबाइल के बड़े-बड़े गुन
- ओहर बेटा नोहे हे
- सरद्धा
- जाड़ मा हाथ पांव चरका फाटथे
- वा बहनी उर्मिला कमाल कर देस
- लिंग परिक्छन के परिनाम
- बेटी की हत्या : संस्मरण
- छतीसगढ़ी भाखा
- पूस के रात : प्रेमचंद के कहानी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद
- मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी
- गुरतुर गोठ : छत्तीसगढी
- प्यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता
- मतदान : चौपई छंद (जयकारी छंद)
- अभी के समें अउ साहितकार
- आगे पढ़ई के बेरा : मोर लइका ला कहाँ पढ़ांव
- वाह रे मनखे के मन =2=
- सेठ घर के नेवता : कहिनी
- दोहा गजल (पर्यावरण)
- अलकरहा जाड़
- ‘रमन के गोठ’ म जनकवि लक्ष्मण मस्तूरिया के लोकप्रिय गीत ‘मोर संग चलव रे’ ल मुख्यमंत्री सुरता करिन
- एकमई राखव परवार ला
- मुख्यमंत्री हर नक्सली मन ले करिस बंदूक छोड़े अऊ शांतिपूर्ण विकास के मुख्यधारा ले जुड़े के गिलौली
- यहू नारी ये
- बंदत्त हंव तोर चरन ल
- शिवशंकर शुक्ल के कहिनी
- उस्ताद अमजद अली खां, श्रीमती तीजन बाई, शेखर सेन अउ भारती बन्धु ल मानद डी.लिट् के उपाधी
- तय जवान कहाबे
- मोर देश के किसान
- नवा बिहान
- बेटी मन ल बचाए बर
- कहॉं जाबो साहर
- राजिम नगरी
- राजिम महाकुंभ कल्प 2017
- जवारा अउ भोजली के महत्तम
- मुख्यमंत्री के अध्यक्षता म 336 करोड़ के निवेश प्रस्ताव उपर एमओयू
- जादू के खेला
- हिसार म गरमी
- कलजुगिया झपागे
- घुरवा के दिन घलो बहुरथे
- गुजरा के कुंदन के “अंतर्राष्ट्रीय अंटार्कटिका” अभियान बर होइस चयन
- 13 मई विश्व मातृ दिवस : महतारी महिमा (सरसी छंद)
- पितर पाख म साहित्यिक पुरखा के सुरता – कोदूराम दलित
- छत्तीसगढ़ी भासा परिवार के भाषा : विकास अउ साझेदारी
- जब ले बिहाव के लगन होगे
- चुनई के बेरा
- तीजा
- येदे पटवारी ला फेर मार परे हे काबर कि रावन नई जरे हे
- चल जाबो राजिम कुम्भ – कहिनी
- हरमुनिया – मंगत रविन्द्र के कहिनी
- छत्तीसगढ़ी गज़ल
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – संस्कार
- पारंपरिक लोक गीत : मोर मन के मजूर
- हमर खान-पान मा नून-मिरचा
- कँपकँपाई डारे रे
- पर्यटन : माण्डूक्य ऋषि के तपोभूमि ‘मदकू द्वीप’
- मोर कुकरा कलगी वाला हे ( गीत )
- सोरिहा बादर – गुड़ी के गोठ
- देसी के मजा
- गांव गंवई के चुनई
- दमांद बाबू : कबिता
- कहिनी: तारनहार
- चंदैनी गोंदा, रामचंद्र देशमुख, लक्ष्मण मस्तुरिया अउ खुमान लाल साव एक दूसर के पर्याय