- 8 बछर के पाछू सुरता आईस टाटपट्टी घोटाला
- गीत : सावन महीना
- हाईकू
- नान कुन कहानी : ठौर
- व्यंग्य : बड़का कोन
- गरीबा : महाकाव्य (पहिली पांत : चरोटा पांत)
- छत्तीसगढ़-गौरव
- काँदा कस उसनात हे
- बसंत के बहार
- मैं गांव मं जनम धरेंव ते बात के मोला गरब हे : डॉ. रमन सिंह
- मेजाई के उपहार
- परीक्षा
- कुँआ-तरिया मा जलदेवती माता के निवास होथे
- छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य अउ देशबन्धु
- दाई ददा भगवान हे
- कबिता : कइसे रोकंव बैरी मन ल
- अकती बिहाव
- रक्षा मंत्रालय में 10वीं पास मजदूर समेत अन्य पदों के लिए वेकेंसी
- हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे
- कहानी : लालू अऊ कालू
- छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर ह देश के पहिली कैशलेस बाजार
- छत्तीसगढ़ी राजभासा कामकाज के भासा कब बनही
- सबके अपन रंग
- राजा छत्तीसगढ़िया 2 म हवय आज के कहानी
- सतनाम सार हे
- किसानी के दिन आगे
- जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया” के दोहा : करम
- भारत के बाग
- अब तो किरपा कर राम
- माटी के कुरिया
- अभार अभिनंदन अटल जी के (25 दिसंबर अटल बिहारी वाजपेयी के जनमदिन)
- पीतर पाख
- मया करे ले होही भाषा के विकास : अनुपम सिंह के जयप्रकाश मानस संग गोठ बात
- जाड़ के महीना
- गणपति विराजे
- लोक कथा : जलदेवती मैया के वरदान
- कहानी – देवारी के कुरीति
- दिसाहीनता – सुधा वर्मा
- विकास के कीमत तो चुकाय ल परही
- गऊ माता ल बचाओ – सुख समृद्धि पाओ
- भोजली गीत
- तीजा – पोरा के तिहार
- मोर छत्तीसगढ़ के माटी
- अभिनय के भूख कभी नइ मिटय : हेमलाल
- सावन समागे रे
- ‘छत्तीसगढ़ म सामाजिक समरसता कल अउ आज’ संगोष्ठी के आयोजन 19 फरवरी को
- कविता : छत्तीसगढ़ तोर नाव म
- तैं कहाँ चले संगवारी
- नवा पहल 2019
- मेछा चालीसा
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कपड़े, आभूषण
- घाम घरी आगे – कबिता
- सरकारी स्कूल ले ही देश ल मिले हे कई महान विभूती : डॉ. रमन सिंह
- साहित्यिक पुरखा के सुरता : प्यारेलाल गुप्त
- सोलह सिनगार
- देवारी तिहार के बधई
- मजदूर दिवस म कविता: मजदूर
- दान-पुन के महापरब-छेरछेरा
- साहित्यकार मनके धारन खंभा रिहिन डॉ. बलदेव
- नवगीत : अगर न होतेन हम
- महिला बाल विकास परियोजना कोसीर क्षेत्र म 21 नावा ऑंगनबाड़ी केन्द्र खुलही
- बड़का कोन
- मइया पांचो रंगा
- शिक्षाकर्मी के पीरा
- नवगीत : गाँव हवे
- छत्तीसगढ़ के पर्यटन संबंधी फोटो खींचव अउ इनाम पावव
- व्यंग्य : रावन संग भेंट
- मसक मउंहा रे कहां पाबे सोंहारी
- आमा के अथान – चौपई छन्द (जयकारी छंद )
- सुन तो भईरी
- योग्यता
- छत्तीसगढ़ी भाषा का मानकीकरण : कुछ विचार
- बुरा ना मानो होली है
- झगरा रोज मताथे
- सुकवा कहे चंदा ले
- तिरंगा कब ऊंच होही ?
- नीम चघे करेला- ‘कड़ुवाहट संग हांसी’
- मोर गाँव के सुरता आथे
- बसंत उपर एक छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
- गंगार : नान्हें कहिनी
- दौना (कहिनी) : मंगत रविन्द्र
- मानक बिना मान नही
- डॉ. सम्पूर्णानन्द के आस्था : नान्हे कहिनी
- बजारवाद के नाला म झन बोहावव
- जिनगी जरत हे तोर मया के खातिर
- छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण – 2016
- असाढ़ के आसरा हे
- पूस के जाड़
- बसंत पंचमी अउ ओखर महिमा
- उठौ उठौ छत्तीसगढ़ लाल- बंशीधर पाण्डे के गीत
- गणेश चतुर्थी पर कविता
- महाकवि कपिलनाथ कश्यप के ‘रामकथा’ के कुछ अंस
- विजेंद्र कुमार वर्मा के कविता
- समारू के दु मितान कालू-लालू
- विष्णु सखाराम खांडेकर कहानी के एकांकी रूपांन्तरण : सांति
- छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह: धरती सबके महतारी -डॉ. बलदेव
- सरपंच कका
- छत्तिसगढ़ महतारी के बन्दना : दानेश्वर शर्मा के गीत
- मेला जाबोन
- सुरता