- मुकुन्द कौशल के छत्तीसगढ़ी गज़ल
- छत्तीसगढ़ के माटी अंव
- सांस म जीव लेवा धुंगिया
- मनखे अउ सांप
- मन लागा मेरो यार फकीरी में – अनुपम सिंह के गोठ
- फिल्मी गोठ : झन मारव गुलेल
- मोर पहिली हवाई यात्रा
- आगे चुनई तिहार
- गरीबा : महाकाव्य (नउवां पांत : गंहुवारी पांत) – नूतन प्रसाद शर्मा
- गज़ल : छत्तीसगढ़ी गज़ल संग्रह “बूड़ मरय नहकौनी दय” ले 4
- नंदावत पुतरा-पुतरी – सुधा वर्मा
- कहिनी – जुड़वा बेटी
- दर्रा हनागे
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – संस्कार
- मोर छत्तीसगढ़ मइयां
- वृत्तांत- (7) अपन धरती अपन आगाश : भुवनदास कोशरिया
- चंदैनी गोंदा, रामचंद्र देशमुख, लक्ष्मण मस्तुरिया अउ खुमान लाल साव एक दूसर के पर्याय
- मनखे के भाव
- देखावा
- दानलीला कवितांश
- कुकुर के महिमा
- छत्तीसगढ़ी कहानी : सजा
- कविता : पथरा
- नवा साल : कहानी
- चलो रे चलो संगी पेड़ लगाबो रे
- कातिक
- नवा पीढ़ी़ अउ छत्तीसगढ़ी़
- सुरता – गीत संत डॉ. विमल कुमार पाठक
- बहुरिया – कहिनी
- बियंग ( संदर्भ – घेरी बेरी होवत किसान मन के मौत ) : बिसेला कोन
- विकास के कीमत तो चुकाय ल परही
- दारु संस्कृति म बूड़त छत्तीसगढ़
- महेन्द्र देवांगन माटी के कविता : बसंत बहार
- मैं अक्खड़ देहाती अंव
- फसल के पहली खेत मन के माटी के जांच जरूर करवाव
- नवा रइपुर मोर रइपुर
- सबले बढ़िया – छत्तीसगढ़िया
- सन्त रविदास जयन्ती माघी पूर्णिमा 10 फरवरी
- मोर गॉंव कहॉं सोरियावत हे : महंगा जमो बेचावत हें
- परबत के झांपी: रवीन्द्र कंचन
- बेलपत्ता
- संस्कार अउ संस्कृति : गोठ बात
- सुरता : प्रेमचंद अउ गांव
- गुरू-पून्नी
- दोखही के दुख (लघु कथा)
- अहिमन कैना : छत्तीसगढी लोक गाथा
- लोककथा :असली गहना
- सरला शर्मा के उपन्यास : माटी के मितान
- धरती ले पहली पईत दूरबीन ले दिखही अकास के खरहेरा
- छत्तीसगढ़ी के मानकीकरण बर
- मइया पांचो रंगा
- व्यंग्य : छत मा जल सग्रंहण
- सोंच समझ के चुनव सियान
- पीतर पाख
- सुकवि बुधराम यादव के सरस कविता संग्रह ”गॉंव कहॉं सोरियावत हें” गुरतुर गोठ म लउहे
- हमन कहां जात हन – सुधा वर्मा
- मोर हतिया झन करवाबे दाई
- छत्तीसगढ़ महिमा
- बेटी मन ल बचाए बर
- सबो नंदागे
- सावन के परत हे फुहार
- अपन भासा अपन परदेस के पहचान
- बरसा के बादर आ रे : कबिता
- हमर योजना दिल ले बनथे अऊ दिल ल जोड़थे : डॉ. रमन सिंह
- नई होईस बड़का धमाका : नोटबंदी के आखिरी दिन प्रधान मंत्री के घोषणा
- दूर के सोचथे महामानव
- बसंत पंचमी एक मनभावन परब
- पर्यटन गतिविधियों ल बढ़ावा देहे प्रदेश म लउहे उदीम करे जाही
- चरन दास चोर
- कल्चर बदल गे
- मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी
- लींग परीक्छन के परिनाम
- तोर मुसकी ढ़रत रूप
- कुँआ-तरिया मा जलदेवती माता के निवास होथे
- नान्हें कहिनी गुरुजी के सीख – राघवेन्द्र अग्रवाल
- छत्तीसगढ़ महिमा
- सइताहा – कहिनी
- 10 दिसम्बर शहीद वीरनारायण सिंह बलिदान दिवस
- जानबा : दादूलाल जोशी ‘फरहद’
- व्यंग्य : बड़का कोन
- गणपति : जयकरी छंद
- बरसै अंगरा जरै भोंभरा
- हीरा सोनाखान के
- मसखरी : देवता मन के भुतहा चाल
- मतदान : चौपई छंद (जयकारी छंद)
- गुरुबाचा कहिनी – किसान दीवान
- छत्तीसगढ़िया होटल
- महामाया के नगरी रतनपुर : सियान मन के सीख
- टुरी देखइया सगा
- “गंवई-गंगा” के गीत गवइया
- तोला लाज कइसे नइ लागे ?
- कबिता : होली के रंग म
- गॉंव कहॉं सोरियावत हे : गठरी सब छरियावत हें
- ठेकेदार के नौ ठिकाना मन म इनकम टैक्स के छापा
- छत्तीसगढ़ी भाषा मं लिनक्स अउ विंडोज प्रोग्राम
- तिरंगा कब ऊंच होही ?
- छत्तीासगढ़ी म परथंम धर्म उपदेशक संत गुरू घासीदास
- भाखा के महमहई बगरावत छत्तीसगढ़ी पत्रिका : बरछाबारी
- फुदुक-फुदुक भई फुदुक-फुदुक….
- अनुवाद : मारकस (My Dog Marcus)