- गजानंद प्रसाद देवांगन जी के कविता
- मंगत रविन्द्र के कहिनी ‘अगोरा’
- लाली चूरी
- हमर गाँव अब जागिस : लखन लाल गुप्त के गीत
- कविता : हुसियारी चाही रे
- धान बेचई के करलई
- कन्या भोज (लघुकथा )
- एक दीया अउ जलावव
- अंधियार म नाईट विजन ले वायु सेना के जवान मन करिन सराहनीय सहयोग
- कबिता : हाबे संसो मोला
- कुकुर कटायन
- बोधन राम निषाद राज के ददरिया
- मुख्यमंत्री हर नक्सली मन ले करिस बंदूक छोड़े अऊ शांतिपूर्ण विकास के मुख्यधारा ले जुड़े के गिलौली
- चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 3 : अरुण कुमार निगम
- फसल के पहली खेत मन के माटी के जांच जरूर करवाव
- घाम जनावत हे
- शरीर के अंग अंग्रेजी, हिन्दी, छत्तीसगढ़ी
- गुरतुर गोठ
- मन के बात
- बाम्हन चिरई
- पुन्नी मेला घुम आतेन
- नवा ट्रांसफार्मर लगे ले जगमगाइस रमेशपुर : गांव वाले मन म छाईस खुशी के लहर
- दोहावली
- नेंगहा पंचन के नांव भुतावथे
- मोरो बिहा कर दे
- छंद बिरवा : चोवाराम वर्मा
- कहिनी – जिनगी के खातिर
- तैं ह आ जाबे मैना
- कहानी : सेमी कस बँटागे मनखे
- कइसे होही छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िहा?
- राष्ट्रीय भारतीय सैन्य महाविद्यालय देहरादून म प्रवेश बर जून म होही परीक्षा
- कविता : जोंधरा
- छत्तीसगढ़ी भाषा परिवार की लोक कथाऍं
- 14 वां वार्षिक साहित्य सम्मेलन 2010
- छत्तीसगढ़ी म छंद बरनन के पहिली किताब
- छन्द के छ : दू आखर
- छंद के छ : एक पाठशाला, एक आंदोलन
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – खानपान
- पढ़व, समझव अउ करव गियान के गोठ -राघवेन्द्र अग्रवाल
- मोबाईल हास्य कबिता
- नारी सक्ति
- अक्षय तृतीया
- छत्तीसगढ़ी कहानी गीत विकलांग विमर्श म
- छत्तीसगढ़ी लोककथा : राजा के मया
- संस्कृति बिन अधूरा हे भाखा के रद्दा
- सेवा गीत : कोयली बोलथे
- विष्णु सखाराम खांडेकर कहानी के एकांकी रूपांन्तरण : सांति
- लइका मन मं पढ़इ लिखइ के सउख कइसे बाढ़य?
- उत्छाह के तिहार हरेली
- निषाद राज के छत्तीसगढ़ी दोहा
- न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में असिस्टेंट के 984 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित
- केन्द्रीय मंत्री श्री विष्णुदेव साय ह मुख्यमंत्री मेर करिस सौजन्य मुलाकात
- खुमान लाल साव ल मिलिस संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह तुंहर जंउहर होवय के होईस विमोचन
- हे गुरु घासीदास – दोहालरी
- अपन-अपन भेद कहौ, भैरा मन के कान मा
- दाई अऊ बेटी
- ममा घर के अंगना
- नवा बछर के मुबारक हवै
- भाई -बहिनी के तिहार – राखी
- बेरा के गोठ : सुखी जिनगी जियेबर छत्तीसगढ़िया सिखव बिदुर नीति
- जिनगी के का भरोसा
- पूस के जाड़
- वृत्तांत- (7) अपन धरती अपन आगाश : भुवनदास कोशरिया
- सरसों ह फुल के महकत हे
- छत्तीसगढ़ी गज़ल के कुशल शिल्पी: मुकुन्द कौशल
- बसदेव गीत : भगवती सेन
- बलदाऊ राम साहू के छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल
- मुख्यमंत्री के दौरा कार्यक्रम : दामाखेड़ा मं संत समागम अऊ माघ मेला मं संघरहीं
- बजारवाद के नाला म झन बोहावव
- हमर बोली-भासा
- मोर मातृभाषा छत्तीसगढी हे : पालेश्वर शर्मा
- सावन में शिव ला मनाबोन
- आऊटसोरसिंग
- मोर संग चलव रे
- मोर गांव मया-प्रेम के
- मरहा राम के संघर्ष
- लघु कथा – सोज अंगुरी के घींव
- लइका अउ सियान खेलव कुरिया मा
- बेरोजगारी
- धमतरी : नगरी के 29 आंगनबाड़ी केन्द्र मन म कार्यकर्ता-सहायिका के नियुक्ति बर आवेदन आमंत्रित
- सुकारो दाई
- दू पीढ़ी के लिखे अनमोल कृति
- खिलखिलाती राग वासंती
- काकर लइका होइस – छत्तीसगढ़ी लघु कथा
- छत्तीसगढ़ी गीत ‘हाथी हाथी’
- छत्तीसगढ़ी वेब टीवी ‘जय जोहार’ होईस सुरू
- बरखा गीद
- गुरू जी अउ नाँग देवता के पीरा
- जिनगी जीये के रहस्य : महाशिवरात्रि
- कविता : नवां अंजोर अउ जाड़
- छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण – 2016
- नान्हे कहिनी- चिन्हारी
- बांझ के पीरा-बांझ के सुख
- छत्तीसगढ़ के माटी अंव
- मोर भाखा
- देख रे आंखी, सुन रे कान: भगवती लाल सेन
- हमन कहां जात हन – सुधा वर्मा
- सुरहुत्ती तिहार
- मोर छत्तीसगढ़ मइयां