- कविता -खुरसी के खेल
- ‘रमन के गोठ’ म जनकवि लक्ष्मण मस्तूरिया के लोकप्रिय गीत ‘मोर संग चलव रे’ ल मुख्यमंत्री सुरता करिन
- अंधरी के बेटा – विट्ठलराम साहू ‘निश्छल’
- जतन बर करन दीपदान
- मेला मडई
- परंपरा – अंगेठा आगी
- गऊ रक्छक : नान्हे कहिनी
- तीन कबिता
- छत्तीसगढ़ी लोक कला के धुरी ‘नाचा’
- मया के रंग : लघु कथा
- गीत : धनहा डोली
- नारायण लाल परमार के कबिता
- गीत : चौरा म गोंदा रसिया, मोर बारी म पताल हे
- घठौंदा के पथरा
- कल्चर बदल गे
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के आयोजन
- कुण्डलियाँ
- छत्तीसगढ़ के आसा, छत्तीसगढ़ी भासा
- सुरता आथे रहि-रहिके
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – सर्वनाम
- सावन आगे
- फूलो
- कहिनी : सिद्धू चोर
- दू रूपिया के चॉंउर अउ घीसू-माधव: जगन
- अनुवाद : पतंगसाज (The Kite Maker)
- कुकुर कटायन
- गॉंव कहॉं सोरियावत हे : गठरी सब छरियावत हें
- सक
- भुइंया के भगवान बर एक अऊ भागीरथ चाही
- कहिनी : बमलेसरी दाई संग बैसाखू के गोठ
- अडहा बईद परान घाती : पटवारी साहेब जब डाग्डर बनिस
- छत्तीसगढ़ के लोकगीत म गांधी
- नान्हे कहिनी : डेहरी के दिया
- देखे हँव
- सुकवि बुधराम यादव के सरस कविता संग्रह ”गॉंव कहॉं सोरियावत हें” गुरतुर गोठ म लउहे
- छत्तीसगढ़ी राजभासा कामकाज के भासा कब बनही
- चुनावी व्यंग्य : बूता के अपग्रेडेसन
- वंदे मातरम
- छत्तीसगढ़ के वेलेंटाईन : झिटकू-मिटकी
- मजदूर दिवस म कविता: मजदूर
- मया-दुलार:राखी तिहार
- बोरे-बासी के दिन आगे..
- जोड़ी! नवलखा हार बनवा दे
- मरनी भात
- जाड़ भागत हे
- मेला जाबोन
- होली आवत हे
- नवा बिहान
- फसल के पहली खेत मन के माटी के जांच जरूर करवाव
- परोसी के परेम
- अशोक नारायण बंजारा के छत्तीसगढ़ी गज़ल
- हमला तो गुदगुदावत हे, पर के चुगली – चारी हर : छत्तीसगढ़ी गज़ल
- मानसून मा : कुकुभ छंद
- छत्तीसगढ़ के चार झन हिम्मती लइका मन ल मिलही 2016-17 के राज्य वीरता पुरस्कार
- माटी के पीरा
- जवाब मांगत एक सवाल
- प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कहावतें
- तोला देखत रहिथवं
- राजिम नगर म छत्तीगढ राजभाषा आयोग के दू दिनिया 5 वॉं प्रांतीय सम्मेलन होईस
- आँखी के काजर
- चौमास : कबिता
- बेमेतरा म संविदा पद मन बर 25 मार्च तक आवेदन आमंत्रित
- तैं ह आ जाबे मैना
- तिलमति-चांउरमति : छत्तीसगढ़ी लोककथा-2
- सेठ घर के नेवता : कहिनी
- धानी भुईया मोर छत्तीसगढ़
- तुलसीदास
- अश्लीलता के सामूहिक विरोध जरूरी हे
- अजय साहू “अमृतांशु” के दोहा : इंटरनेट
- बियंग: करजा माफी
- मोर गांव गवा गे
- स्वच्छ भारत के मुनादी
- सरद्धा अउ सराद्ध
- कुकुर मड़ई माने डॉग शो अउ डॉग ब्यूटी कान्टेस्ट – गुड़ी के गोठ
- हरेली के गीत
- छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस खास – छत्तीसगढ़ी भासा के अतीत, वर्तमान स्वरूप
- मड़ई मेला
- कुकुर मड़ई माने डॉग शो अउ डॉग ब्यूटी कान्टेस्ट – गुड़ी के गोठ
- आंखीं म गड़ जाए रे चढ़ती जवानी
- सार छंद : पूछत हे जिनगानी
- परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास : सरसी छंद
- मंगत रविन्द्र के कहिनी ‘दुनो फारी घुनहा’
- जिनगी कइसे चलही राम
- छत्तीसगढ़िया
- छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण – 2016
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पांचवा प्रान्तीय सम्मेलन
- हंडा पाय हे किथे सिरतोन ये ते लबारी
- छत्तीसगढ़ी भासा परिवार के भाषा : विकास अउ साझेदारी
- बुधारू के जीवन
- सुरता मा जुन्ना कुरिया
- बम बम भोले
- हीरा गंवा गेहे बनकचरा म…
- मजदूर
- मोर छत्तीसगढ़ मइयां
- कातिक
- तीजा के लुगरा – बन्धु राजेश्वर राव खरे
- अम्मा, हम बोल रहा हूँ आपका बबुआ
- छत्तीसगढ़ी गज़ल
- सरसती वंदना
- मया के गीत