- कमरछठ कहानी – सोनबरसा बेटा
- छत्तीसगढ़ भासा के असली सवाल सोझ-सोझ बात
- चरगोड़िया
- अनुवाद : तीसर सर्ग : सरद ऋतु
- वृत्तांत- (5) कौरा के छिनइ अउ जीव के बचई : भुवनदास कोशरिया
- उठौ उठौ छत्तीसगढ़ लाल- बंशीधर पाण्डे के गीत
- राखी के आगे तिहार
- छन्द के छ : उल्लाला
- नान्हे कहिनी : अच्छा दिन आगे
- नवरात मा दस दोहा
- सावन के झूला
- करिया बादर
- फूलो
- छत्तीसगढ़ की महिला रचनाकारों की साहित्य का अनुशीलन
- विकास के कीमत तो चुकाय ल परही
- छत्तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा
- गरीबा : महाकाव्य – तीसर पांत : कोदो पांत
- सिरिफ नौ दिन के बगुला भगत
- कमरछठ कहानी : देरानी-जेठानी
- छत्तीसगढ़ी के पीरा
- आजादी के गीत
- पुस्तक समीक्षा : अव्यवस्था के खिलाफ आक्रोश की अभिव्यक्ति ‘‘झुठल्ला‘‘
- एकलव्य
- शिक्षाकर्मी के पीरा
- दोहा छंद म गीत
- जागो उठो जवान रे : बंगाली प्रसाद ताम्रकार के गीत
- कबीर अउ बेद पुरान
- दिन आ गे धान मिसाइ के
- नान्हे कहिनी : डेहरी के दिया
- लगथे आजेच उन आहीं : श्यामलाल चतुर्वेदी के कविता
- मन लागा मेरो यार फकीरी में – अनुपम सिंह के गोठ
- छेरछेरा
- बेरोजगारी
- व्यंग्य : कलम
- ढेलवानी – कहिनी
- नानकिन किस्सा : प्याऊ
- अपन अपन रुख
- पद्मश्री पूनाराम निषाद के निधन म शोक श्रद्धांजलि
- व्यंग्य : बवइन के परसादे
- आज के रावन
- तुंहर मन म का हे
- भोजली तिहार : किसानी के निसानी
- =वाह रे चुनाव=
- सावन के सवागत हे
- चरगोड़िया : रघुबीर अग्रवाल ‘पथिक’
- सरगुजिहा कहनी – हिस्सा-बांटा
- सुरता चंदैनी गोंदा के
- नंदावत हे लोककला, चेत करइया नई हे…
- होली के दोहा
- अभिनय के भूख कभी मिटय नइ: हेमलाल
- मोर छत्तीसगढ़ महतारी
- पईधे गाय कछारे जाए,पटवारी साहेब ला कोन समझाए.
- भक्ति करय भगत के जेन
- मोला मइके देखे के साध लागय : रामरतन सारथी
- भाई दीदी असम के
- बरतिया बर पतरी निही, बजनिया बर थारी
- आन के तान
- छत्तीसगढ़ी भासा के महाकाव्यकार
- नान्हे कहिनी : जिनगी के मजा
- गजानंद प्रसाद देवांगन जी के कविता
- में नो हों महराज: नारायण लाल परमार
- सोच समझ के देहू वोट
- कोठार देवता के पूजा
- बइला चरवाहा अउ संउजिया
- छत्तीसगढ़ी लोक म हनुमान
- संपादकीय: टमड़ ले पहिली अपनेच कान
- छत्तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा
- झंडा फहराबो
- मंय छत्तीसगढ़ के बेटी अंव
- तीजा लेवाय बर आही
- रखवारी
- कोजन का होही
- किसान के पीरा
- भोरमदेव – छत्तीसगढ़ के खजुराहो
- बुरा ना मानो होली है
- बनकैना
- आमा खाव मजा पाव
- गांव के गुरूजी – कहिनी
- आनी बानी : 14 भाषा के कविता के छत्तीसगढ़ी अनुवाद
- भक्ति के जोत जलाले
- मेला घुमाई दे
- 24 मई -जेठ दसमी : वीर आल्हा जयंती, आल्हा चालीसा (आल्हा छंद में)
- मुख्यमंत्री के दौरा कार्यक्रम : दामाखेड़ा मं संत समागम अऊ माघ मेला मं संघरहीं
- दिव्यांग लइका मन बर हॉफ मैराथन दौड़ के आयोजन
- मटमटहा टूरा
- दर्रा हनागे
- आठे कन्हैया – 36 गढ़ मा सिरि किसन के लोक स्वरूप
- कमरछठ कहानी – दुखिया के दुःख
- मंगल कामना के दिन आय अक्ती
- कहानी : बड़का तिहार
- कस्तूरी – छत्तीसगढ़ के हरियर चाँउर
- महतारी बरोबर भउजी
- अपन हाथ अउ जगन्नाथ
- पारंपरिक ददरिया
- कबिता : नवा हे बिहान
- मोर भारत देश के माटी
- धानी भुईया मोर छत्तीसगढ़
- कहिनी : दहेज के विरोध
- मनहरन भइया
- छत्तीसगढ़ी भाषा मं लिनक्स अउ विंडोज प्रोग्राम