- जइसे खाय अन्न वइसे बनही मन
- व्यंग्य : पनही
- जांजगीर-चांपा : ग्रामीण बेरोजगार मन ल डेयरी काम मं मिलही छह दिन के निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण
- महान आदिवासी जननेता महाराज परवीरचंदर भंजदेव जी
- हरमुनिया – मंगत रविन्द्र के कहिनी
- बिरहा के आगी
- धूवा मारे : विष्णुपद छंद
- वइसन बिहनिया अब कहाँ होथे
- नवा बइला के नवा सिंग
- आदि परब के अद्भुत रंग – सुशील भोले
- छत्तिसगढ़ महतारी के बन्दना : दानेश्वर शर्मा के गीत
- श्यामू विश्वकर्मा के कबिता : मन के आंसू मन म पोंछ ले
- कहानी : फूल के जघा पउधा भेंट करव
- गणपति विराजे
- छत्तीसगढ़ी बोले बर लाज काबर
- गरीबा : महाकाव्य (दूसर पांत : धनहा पांत)
- लगिन फहराही त बिहाव माढ़ही
- श्रीयुत् लाला जगदलपुरी जी के छत्तीसगढ़ी गजल – धन-पसु
- बम-निकलगे दम
- गरीब मुलुक के बड़हर नेता
- लघु कथा – दरूहा
- भूतपूर्व सैनिक मन ले सहायक ग्रेड 3 के सीधा भर्ती बर आवेदन आमंत्रित
- धर ले कुदारी गा किसान : सोनहा बिहान के गीत
- सीला बरहिन नान्हें कहिनी – सत्यभामा आड़िल
- बिलासपुर म जिला रोजगार अउ स्वरोजगार मार्गदर्शन केन्द्र मं प्लेसमेंट कैम्प 08 मार्च को : 400 पद
- मोर गाँव के किसान
- होली आवत हे
- कहानी संग्रह : भोलापुर के कहानी – संपादकीय
- मंतर
- गांव-गंवई के बरनन- मिश्र के कविता में – सरला शर्मा
- छत्तीसगढ़िया कहां गंवागे
- छत्तीसगढ़ी कथा-कंथली : संकलन अउ लेखन – कुबेर
- छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पांचवा सम्मेलन के पहिली दिन
- खिल खिलाके तोर मुस्काई
- हमर योजना दिल ले बनथे अऊ दिल ल जोड़थे : डॉ. रमन सिंह
- छत्तीसगढ़ के शिव मंदिर
- सोरिहा बादर – गुड़ी के गोठ
- सुरता सुशील यदु
- गणेश पूजा अउ राष्ट्र भक्ति
- कारी गाय अउ ओखर दूध
- प्रकृति के पयलगी पखार लन
- कलाकार के सबले बड़े दुसमन गरब हर होथे
- लगथे आजेच उन आहीं : श्यामलाल चतुर्वेदी के कविता
- छत्तीसगढ़िया जागव जी
- नकाब वाले मनखे
- डेरहा बबा
- ससुर के नखरा
- हिम्मत हे त आघु आ
- भाखा के महमहई बगरावत छत्तीसगढ़ी पत्रिका : बरछाबारी
- मजबूर मैं मजदूर
- मैं गांव मं जनम धरेंव ते बात के मोला गरब हे : डॉ. रमन सिंह
- बुधारू के जीवन
- छत्तीसगढ़ी नवगीत
- नान्हें बियंग कहिनी: मोला कुकुर बना देबे
- सरगुजिहा जाड़ा कर गीत
- छत्तीसगढ़ी बाल गीत
- लोक कथा : लेड़गा के बिहाव
- आम जनता के गणतंत्र
- खेती मोर जिंनगी
- राज्योत्सव मेला
- मनतरी अऊ मानसून
- छतीसगढ़िया सबले बढ़िया
- पद्मश्री डॉ॰ मुकुटधर पाण्डेय के कविता
- प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर ह करिस रमन ऐप के लोकार्पण
- मोर इस्कूल के गनेस
- निर्वाचन आयोग ल छुट्टी खातिर आवेदन पत्र
- अश्लीलता के सामूहिक विरोध जरूरी हे
- दुसर के दुख ला देख : सियान मन के सीख
- ढेलवानी – कहिनी
- नवा बिहान
- लोटा धरके आने वाला इहां टेकाथें बंगला
- संपादकीय : करिया तसमा म आंखी के उतियईल अउ उल्टा लटके के डर ले मुक्ति
- खिलखिलाती राग वासंती
- नारी सक्ती जगाना हे – दारु भटठी बंद कराना हे
- राजिम महाकुंभ 2017 : काली ले सुरू
- बाबा गुरु घासीदास के सब्बे मनखे ल एक करे के रहिस हे विचार मनखे मनखे एक समान
- किसान
- अनुवाद : बारह आने
- व्यंग्य : कुकुर के सन्मान
- नाचा के सियान : भुलवाराम यादव
- छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : मितानी
- फेर दुकाल आगे
- भोले बाबा
- काम दहन के आय परब- होली
- गोठ गुने के गोठियांथव
- नोनी
- अब बिहाव कथे, लगा के देख
- मया-दुलार:राखी तिहार
- 7 जुलाई तक
- चलनी में गाय खुदे दुहत हन
- कहिनी : ईरखा अउ घंमड के फल
- छत्तीसगढ़ी गीत-ग़ज़ल-छंद-कविता
- मुद्दा के ताबीज
- चल जाबो राजिम कुम्भ – कहिनी
- पितर पाख मा साहित्यिक पुरखा के सुरता : भगवती चरण सेन
- अगहन महीना के कहानी
- गांधीजी के बानी दैनिन्दिन सोंच बिचार
- परतितहा मन पासत हे
- छत्तीसगढ़ के पहली तिहार हे हरेली