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कहानी

इतवार तिहार

एक दिन के बात आय। मैं हर जावत रहेंव आलू बिसाय। झालो घर रटपिट-रटपिट रेंगत हबक ले एक झन मनसे मेर लड़ई खागे। काय-काय समान धरे रहिस। बंदन-चंदन झंडा ला साडा करिया। कस बाबू तैं अतका जल्दी-जल्दी काबर रेंगत हावच बइगा मोला पूछिस। मैं हर न बइगा, आलू बिसाय जावत हवं। झालो घर रांधे बर बेरा होत हावय कहिके जल्दी-जल्दी रेंगत हंव फेर तैं काय-काय धरे हावच। बइगा कहां जावत हस। जगमोहन बइगा कहिबे तै निच्चट बुध्दू हावच जी। आज तो इतवार आय अउ हमार गांव म इतवार तिहार मानत हें। तेकर सेती पूजा पाठ के सब समान ल धर के मैं महामाई कोति जावत हंव। कस जगमोहन बइगा बबा ये इतवार तिहार के बारे में कुछु बताना कइसे येला इतवार तिहार माने जाथे।बइगा बताथे… सुन बाबू ये इतवार तिहार ल भादों के महिना म मनाय जाथे। जेमा चार ठन नई तो पांच ठन इतवार पड़थे। ये इतवार तिहार हर हमर पुरखा ले चलत आत हे। कस बइगा बबा भादो महिना बस ल इतवार तिहार के रूप म मानथे। अउ दूसर महिना म काबर नई मानय, बइगा कहिथे- देख बाबू! आसाढ़-सावन-भादो-कुंवार ये चार महिना किसान मन के सबले बढ़िया महिना होथे। खेती खार बर जेमा आसाढ़ सावन हर बोवई बियासी बर होथे। भादो हर खेतखार के सब काम हो जाथे अउ छोटे-छोटे थरहा रहिथे जेकर ले भादो महिना ल इतवार तिहार मानथे। जेमा भगवान ह सब खेत के रक्षा करे थे अउ जल्दी-जल्दी धान के पौधा ल बढ़ाथे ये करे सेती भादो महिना म सब इतवार ल तिहार मनाथे अउ कुवार महिना म सब धान बाढ़ के पोटिहयाथे। जेमा कोई-कोई खेत म करगा कांदी जाग जाथे, जेला साफ करे जाथे। कस बइगा बबा ये इतवार तिहार म कोन-कोन देवता के पूजा होथे मोला थोरकिन बतातेच। देख बाबू ये इतवार तिहार सब देवता के तिहार आय। सब देवता ल सुमरे जाथे, गांव के ठाकुरदेव अउ सातो बहनिया सब के पूजा करे जाथे। जेकर ले गांव के खेतीखार के रक्षा देवता मन करथे।

कस बबा तैं इहां कब ले बइगा के काम करत हच अउ येमा तोला का फरक परिस हावय। बताववं बाबू पहली तो गांव म बलि प्रथा रहय। करिया कुकरी, खैरा बोकरा देवता के नाम म बलि देवयं। येला बंद करा के ये सादा पूजा पाठ ले मनायेव। जेमा गांव म थोरकिन शांति होइस। सुन बाबू इतवार तिहार हर किसान मन के बढ़िया तिहार आय जेमा भगवान हर फसल के रक्षा करे बर आथे। गांव के खुशी खातिर भगवान हर किसान के रूप में धरती म आथे। अपन हाथ धान गेहूं चना के एक-एक बीज धरती म बोथे। जान डारे बाबू इतवार तिहार के बारे म। मैं कहत हंव, जगमोहन बइगा बबा जिहां इतवार तिहार खुशी-खुशी मनाही उहां भगवान सुख शांति दीही फसल बढ़िया हो ही। रोग मांदी नई आवय। ये तिहार ह प्रकृति ले जुरे हावय। एखर ले बइगा बबा ह अंधविश्वास ल हटा के सब ल प्रकृति ले जोड़ दे हावय। मैं ह खुसी-खुसी घर लहुट गेंव प्रकृति के पूजा करे बर।

श्यामू विश्वकर्मा
नयापारा डमरू