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कविता

घाम घरी आगे – कबिता

घाम घरी आगे रूख-राई अइलागे।
तरिया, नदिया सुखागे अउ कुंआ बोरिंग थर्रागे॥
का बतावंव संगी,
घाम के कहर।
गांव-गांव, शहर-शहर
होवत हे हाहाकार॥
भूख-पियास म मनखे के मुंहु चोपियागे।
घाम घरी आगे, रूख-राई अइलागे।
धू-धू जरत हवय,
धरती दाई के कोरा।
आगी अंगरा बरोबर घाम
बरसावत हवय बेरा॥
कोन जनि काबर इंद्र देवता रिसागे।
घाम घरी आगे रूख-राई अइलागे॥
सब जीव-जन्तु,
हवय बड़ परसान रे।
अपन परान ल हम,
कइसे? बचान रे॥
पानी-पानी सब गोहराथें, बइसन बिपत आगे?
घाम घरी आगे रूख-राई अइलागे।
तरिया, नदिया सुखागे अउ कुंआ बोरिंग थर्रागे।

शेरसिंह गोडिया
मुकाम- कोलियारी, पो.-गैंदाटोला
तह. छुरिया, जिला-राजनांदगांव

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