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कहानी

जयंत साहू के कहिनी : मनटोरा

चइत बइसाख के महिना तो बर बिहाव के सिजन आय। जेती देखबे तेती गढ़वा बाजा ह बाजत रइथे। किथे न मांग फागुन मे मंगनी जचनीए चइत बइसाख म बर बिहाव अउ काम बुत न उरका के सगा घर लाड़ू बरा बर रतियाव। चडती मंझनीया के बेरा आमा बगइचा के तिरे तिर दु तिन ठन बइला गाड़ी आवत रिहीस।
गाड़ी ह गजब सजे धजे रिहीस। बइला के सिंग म चकमकी रंग लगायए पीठ म मखमल के लादना लदाय अउ टोटा म कांसा के बड़े बड़े घांघड़ा पहिराय। टोटा के घांघड़ा अउ पावं के घुंघरु के छमक छमक अवाज ल सुन के लइका मन दोरदिर दोरदिर देखे बा आथे। आगु पहुच के देखथे तेमन पाछु वाला मन गोहर पार के बताथे वाहद रे बरात गाड़ी आवथे …. बरात गाड़ी …..।
सबो लइका मन सकलाके एकले सेक गोठ करंथे एक झन किथे. आगु म वहिदे झांपी माड़े हे ते गाड़ी म दुलहा बइठे होही अउ वोकर संग ढ़ेड़हा होही। दुसर लइका किथे. बिच के गाड़ी म बरतिया मन होही। वोतके बेरा ठुक ले पाछु गाड़ी ले मोहरी निसान के आरो आथे।
बाजा गाजा के आरो पाके सबो लइका मन गोहार पारके नाचे लगगे। इकर नचइ कुदइ न देखके बरतिया टूरा मन घला मसतियागे। बगीचा के आमा छांव म गाड़ी ल रोक के बजनिया अउ बरतिया मन नाचे कुंदे ल लगगे। कोनो काहथे रांेगो बती बजा कोनो काहथे पान बाला बाबू बजा। फेर लइका मन के का ए पार अउ का ओ पारए सबो पार म बिकट नाचिस।
गाड़ी बइला अउ भीड़ भड़क्का देख कि बगइचा के रखवार लछमन ह घलो आगे। रखवार ल देख के सबो झन कलेचप ठाड़ हो जथे। लछमन हर एक झन बरतिया कर जाके पुछिस. भइया दुलहिन के का नाव हे …. दुलहिन के का नाम हे गा …..।
रखवार के पुछइ ह बरतिया मन अलकरहा लागिस। आत्तेसांठ दुलहिन के नाम काबर पुछथे। कोनो जवाब नइ दिस। मने मन सोचे काहा ले आय हवए काहा जाहा पुछे ल छोड़ के दुलहिन के नाव काबर पुछथे। अनगइहा मनखे का जानय लछमन के किस्सा ल। ओतो ओरभेट्टा म सपड़गे। फेर गांव के लइका मन जानत रिहीस ओकर आदत बेवहार ल। लछमन ह गांव म जेन भी बरात आथे जाथे तिकर करा अइसनेच पुछथे।
सबो नइका मन हांसी उड़ात किथे. मनटोरा नाम हे मनटोरा । मनटोरा माने मन ल टोरा। अतका ल सुन के जब देखबे तब मोर हांसी उड़ाथे किके। लउड़ी ल धर के दउड़थे। थोकन दउड़ीस ताहन हफरगे। रखवार ह थथमराय आमा मेड़ म लोरहगगे। लइका मन छुलंबा होगे। लछमन ह अपन मन के पिरा ल मन म धरे उपर वाला डहर सुध लमाय आमा पेड़ म ओधगे। लछमन ल बइहा जानके बरतिया मन अपन अपन गाड़ी चड़के मनटोरा अउ लछमन के बिसय म आनी बानी के बात बनावत चलदिस अपन रद्दा।
येती बर लका मन भागत भागत गांव आके लछमन अउ मनटोरा के बिसय म आनी आनी के किस्सा गढ़हत रिथे। इकर गोठ ल सुन के बिजउ कोतवाल समझगे कि येमन फेर लछमन ल चिड़हा के आय हे। लइका मन समझावत कोतवाल किथे. वोला झन बिजराय करा रेए वहू बड़ पढ़हे लिखे अउ दाउ घर के लइका आय फेर का करबे ओकर मती ह कती टरक दिस हे।
नानपन म लछमन अउ सतरोहन दूनो भाइ बड़ होसियार रिहीस। पांचवी पास करे के बाद भारोसी दाउ ह लछमन ल साहर भेज दिस पढे बर। दूनो लइका ल बाहिर नइ पठोवं किके सतरोहन ल गावे के इसकुल म पढ़हाइस। लछमन ह साहर म रिके सहरिया लच्छू होगे। भरोसी दाउ करा बेरा बेरा म चिट्ठी पाती आवत राहय। भरोसी ह घला बेरा बेरा म मुलाकात करे बर जान राहय।
बड़े घर के लइका ये खाय पिये के कमती नइ रिहीस। बने जिकर करके पढ़हिस अउ बने बने काम बुता घला पा लिस। भरोसी दाउ ह लइका मन बाड़गे कइके बर बिहाव के चेत लमइस। परोसी गांव के बिराहू के बेटी मनटोरा ल पसंद घला कर डरिस। मनटोरा घला पढ़े लिखे सगियान होगे रिहीस। दुनो दाउ बइठके रिसता जोड़ डरिस।
येती लछमन ह साहर म राहत एक झन मंजु नाव के लड़की संग मया कर डरिस। दोनो एक दूसर ल नजर देखे। दोनो म गोठ बात होवे। मंजु अउ लच्छू के मया के मया दिनो दिन गढ़हावत रिहीस। एक दिन संझा बेरा लछमन अउ ओकर संगवारी मन सेकलाय रिहीस। मंजु घलो रिहीस। चपरासी ह चिट्ठी लान के दिस।
लछमन ह अपन ददा के चिट्ठी पाके तुरते खोल के पढ़हिस। ददा ह लिखे रिहीस बइसाख म तै गांव आजाए हमन तोर बिहाव मड़ा डरेहवं। मेहा बिसाहू के नोनी मनटोरा के संग तोर रिसता जोड़ डारेहवं। बाकी बात गांव आके होही। आसिरवाद। चिट्ठी पढ़के लछमन के मन टूटगे फेर ओकर मयारु के मन म खुसी हमागे। लछमन के संगवारी मन ओकर पत्नि के नाव सुन के हांस परिस। का का नाव रिथे यार गांव म मनटोरा। जइसे लछमन ल लच्छू करेन ओइसने मनटोरा ल घला टोर के मनटो करे ल परही। मनटोरा माने मन ल टोरा।
अतेक मजाक ल सुन के मनटोरा नाव ले लछमन ल चिड़ होगे। अउ तुरते परन कर डरिस कि मै भले कुवारी रई जहा फेर ये मनटोरा नांव के लड़की संग बिहाव नइ करवं। लछमन के मयारु मंजू ह सरम के मारे नई बता सकिस कि मिही ह मनटोरा अउ जेकर संग तोर रिस्ता जुरे हे। लछमन ह अपन मयारु के हाथ ल धरके किथे मै तोरे संग बिहाव करहू। फेर घरवाला मनके बात राखे बर गांव जाय ल परही। मंजु ह घला किथे घर वाला मन के बात राखे बर जाके देख लेना एक बार मनटोरा ल। ओतो जानत राहय कि मिही ह मनटोरा अवं अउ मुही ल आके दे खही। उहे मनटोरा अउ मंजु नाव के भरम मिटा जही।
लछमन ह कपड़ लत्ता जोर जंगार के गांव आइस आके तुरते लड़ही देखे बर निकलगे। मनटोरा घलो गांव आके घर म लछमन के अगोरा करथे। लछमन के मने मन मतो मनटोरा नाव गुंजथे। मनटोरा के घरो नइ पहुचसिए आधा दुरिहा ले वापस आगे। आके अपन ददा कर लड़की ल नापसंद कर दिस। भरोसा दाउ ह घला बड़ा जिद्दी मनखे ताय। बरपेली बिहाव के तियारी कर डरिहीस। बाप बेठा म काहा सुनी होगे। गुस्सा गुस्सा म लछमन ह घर छोड़ के निकलगे। भरोसा ह अबड़ खोजिस फेर नइ पाइस। गांव गांव म बदनामी हो जही सगा सोधर म नेवता होगे किके दुनो दाउ होइस। उही तिथी म मनटोरा अउ सतरोहन के बिहाव कर दिस। मनटोरा ह तकदिर के फैलसा मानके सतरोहन ल अपन पति मान लिस। लछमन ल सपना समझके भुलागे। बर बिहाव झरे के बाद लछमन घर लहुटिस। ददा ह रिसके माने नइ बोलिस। भाई ह भाई के मया म गोठियालिस।
सतरोहन ह अपन बाई ल हांक पारिस पानी बर। मनटोरा ह लोटा म पानी धर के निकलिस। लछमन ह अपन भाई बहु के चेहरा ल देखके ठांड़ सुखागे। सांस अरहजगे। तन पथरा होगे। मनटोरा घला आंखी फारे देखते रइगे। ओतगे बेरा आके दुनो के परचे कराथे. बहु ये तोर कुरा ससुर ए मुझ़ी ल ठांक के दुरिहा ले पांव परले। लछमन के मुड़ म टंगिया परगेए अपन मयारु ल छोटे भाई के बहु बने देखके। ओतका बेर ले लछमन के सुध बुध हरागे। सुरता रिहीस त सिरिफ मनटोरा नाव। ये नाव ह लछमन ल बरय बयरासु कस लगगे।एक नाव के पाछु अपन मयारु बरो दिस। ये नाम ल धरे लछमन ह बइहा होगे। धन दौलत घर दुवार कांहि के सुध नइहे। रमता जोगी होके घर दुवार ल तियाग दिस।
कोतवाल के मुह ले लछमन के किस्सा सुन के मने मने एक आसु रा डरिस। कोतवाल संग लइका मन अपन करीन के छिमा मांगे लछमन करा गिस। बगीचा म ओधे लछमन करा सबो नइका मन छिमा मांगिस फेर ओतो चिट पोट काहि नइ करिस। कोतवाल ह ढकेल के हुत पारिस। लछमन के मुरदा देह पट ले भुइया म चितियागे। आज इही मेर लछमन अउ मनटारा के किस्सा सिरागे।
जयंत साहू
ग्राम डुण्डा पो.
सेजबाहर रायपुर
मो. 9826753304