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व्यंग्य

पारसद ल प्रार्थना पत्र

विषय- गरीबी रेखा कारड बचाए बर।
सेवा में,
सिरीमान बोट-बटोरू पारसद जी!
वार्ड-00 गरीब पालिका निगम
झोलगापुर।
प्रजापालक
सादर सनम्र निवेदन हावै कि आपके आसीरवाद से बने फरत-फूलत हों। आशा हे आपो भोग-भोग ले फूल गै होहू। आगे समाचार जानौ के आप जऊन मोर बर गरीबी रेखा कारड बनवाय हावव ओला खतरा हो गेहे।
अब तक बने मैं हर अपन उपजाय धान ला एक हजार एक सौ सत्तर रुपिया मा बेंच के, गरीबी रेखा वाले पैंतीस किलो महीना चाऊर, दू रुपिया के हिसाब से बने लेत रहेंव। अउ ओला खा-खा के माई पिल्ला फुन्ना गे रहेन। फेर कतको दूरखहा मनखे मन मोला कथे के तोर दुतल्ला मकान हावै, एक ठिक हीरो होण्डा अउ एक ठिक इस्कूटर हावै, रंगीन टेलीविजन, खेत-खार सबौ हावै। तोर बेटी-बहू मन हजार-हजार रुपया के लुगरा पहिरथें। नाती-नतुरा मन पराइबेट इसकूल मा पढ़थें अउ पांच-पांच, छै-छै सौ रुपया वाले पनही पहिरथें। तभो ले तोर गरीबी रेखा वाले कारड कइसे बनगे? तैं कइसन किसिम के गरीब आस?
मैं बोलथंव- अरे भोकवा गतर के हो! मैं हर इस्पेसल किसिम के गरीब आंव। मोर घर मा अतका सब हावय त का कोईस? मैं हर पारसद महोदय के नजर मा तो गरीब हौं न? पारसद जेकर जात, गरीबी तय कर देथे वो हर ब्रह्मा के डांड़ ये। ओकर बनाय गरीब हर, अमीर होईच नई सकय। भगवान भले ओकर घर म छान्ही फोर के धन बरसाही, तभो ले ओहर गरीबेच रही। महूं उही किसम के गरीब आंव। तऊन हर, तुमन ला नई दिखत हे रे अंधरा हो?
ये जलकुकड़ा मन कथे- पारसद हर तोर घर करा नल लगवा दीस, बोरिंग खनवा दीस, बड़का झकझकहा बिजली लगवा दीस, नाली बनवा दीस, मुहंटा ला पक्का करवा दीस, फेर हम-मन ला देखे बर ओला अंधरौटी छा जाथे।
मैं कथंव- अरे पापी हो! भगवान हर अपन भगत ऊपर किरपा नई करही त का पापी मन ऊपर करही? चुनई बखत नेता जी के संगे-संग किंजर-किंजर के गोड़-गोड़ हर लोढ़िया गे हे। अतेक बड़ तपसिया के फल मिलना चाही के नई मिलना चाही?
फेर एक बात हे परभू! गांव-गांव मा गरीबी रेखा वाले मन के दुआरी मा, ये बात ला लिखे गे हे कि ये घर वाले हर बीपीएल वाले आय। कहूं हमरो वार्ड म अइसने लिखना चालू हो जाही, तब मोर मा का होही, अन्नदाता, मैं तो बिन मारे के मारे मर जाहूं। न उछरत बनही न लीलत। कोनो ल मुंहू देखाय के लइक नई रहि जाहूं भगवान! अपन मराय काला बताय ददा!
ये बात ला रूकवाव किरपानिधान। काखरो भिथिया मा अंट-सन्ट लिख के ओकर इजियत नई उतारना चाही। हम सलामत हन त आप सलामत हौ। आप सलामत हौ त गरीबी रेखा सलामत हे। आपे जइसे के ये सब किरपा आय, जौन दिनोंदिन गरीब और गरीबी रेखा के संख्या मा बढ़ोतरी होवत हे। आज का छोटे अऊ का बड़े, सबो गरीब कहाय म खुशी महसूस करथे बाप। धन्न हे तुंहर-मन के लीला। धन्यवाद। आगे जादा का लिखौं? कम लिखा जादा समझना। क्योंकि एक आप ही समझदार हो। जय जोहार।
के.के. चौबे
गयानगर, दुर्ग