Categories
समीच्‍छा

पुस्तक समीक्षा : चकमक चिंगारी भरे




दोहा हिन्दी साहित्य के जुन्ना विधा आय। भक्तिकाल में कबीर, सूर, तुलसी, रसखान, रहीम आदि कवि मन दोहा के माध्यम ले जन जागरण के काम करिन। बिहारी तो सतसई लिख के अमर होगिन, बिहारी के सतसई परंपरा ल छत्तीसगढी म आगू बढाय के काम श्री बुधराम यादव जी अपन दोहा सतसई “चकमक चिंगारी भरे” म करे हवय। चार चरण अउ दू डांड म कहे जाने वाला दोहा लिखना गगरी म सगरी भरे के चुनौती भरे काम आय। दिखब म जतका सरल दिखथे लिखे म वोतके कठिन काम आय दोहा लिखना, कवि अपन उदिम पूरा सफल होय हे। दोहा अतेक लोकप्रिय विधा आय कि आजकल हिन्दी के अलावा अउ कई भाखा म भी लिखे जावत हे।
एक ठिन हाना हवय- जईसन दिख वइसन लिख, बुधराम यादव जी उही बात ल लिखे हे जउन उन देखे हे। हिन्दी अउ छत्तीसगढी़ दूनो म समान अधिकार रखईया अपन सम्पूर्ण साहित्य जीवन के पूरा निचोड़ ल यादव जी दोहा सतसई म उकेरे हवय। दोहा म रूपक, अनुप्रास अउ उपमा अलंकार के सुग्घर प्रयोग घलो देखे म मिलथे। परंपरा अनुरूप कई ठिन दोहा म अपन नाम के प्रयोग कवि ह करे हवय जेकर ले दोहा के सौदर्य बाढ गे हवय। दोहा के भाखा सरल, सहज सुगम अउ ठेठ हवय। दोहा मन विधान सम्मत हवय। किताब के हर पेज म दोहा म प्रयोग कठिन छत्तीसगढी़ शब्द के अर्थ हिन्दी म घलो दे गे हवय ताकि हिन्दी भाषी पाठक ल कोनो किसिम के परेशानी झन होवय।
जइसे चकमक पथरा म चिंगारी होथे वइसने कवि के दोहा म चिंगारी हवय। येमा चिटकुन भी संदेह नई हे कि श्री यादव जी के दोहा छत्तीसगढी साहित्य ल नवा दिशा देही। छन्द के साधक संग पाठक मन घलो इंकर दोहा ले भरपूर लाभ लेही। कवि के शब्द चयन सटीक हवय संगे-संग अट्सन कई शब्द आप के दोहा म आय हवन जडउन अब नंदात हे। दोहा म मुहावरा अउ कहावत के सुंदर प्रयोग भी मिलथे जेकर ले दोहा के सौंदर्य बाद गे हवय। जीवन के लगभग हर पहलू ल छुए के प्रयास कवि करे हवय। श्री यादव जी के चुनिंदा दोहा ल पाठ्यक्रम म सम्मिलित करे जाय जेकर ले महतारी भाखा म उत्कृष्ट दोहा छंद उपलब्ध हो सकय।
छत्तीसगढी साहित्य म छंद विधा ल पोषित अउ पोठ करे के काम बुधराम यादव जी करे हवय। उँकर मेहनत ल मोर नमन। छत्तीसगढी म प्रकाशित अइसन उत्कृष्ट साहित्य के दूनों भूमिका हिन्दी म लिखे गे हवय, भूमिका छत्तीसगढी म होना रहिस। पुस्तक संग्रहणीय हवय, बधाई शुभकामना।
पुस्तक चकमक चिंगारी भरे
साहित्यकार -बुधराम यादव
प्रकाशक श्री अक्षय पब्लिकेशन,इलाहाबाद अजय अमृतांशु
मूल्य ~250/- मात्र
समीक्षक – अजय ‘अमृतांशु’