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व्यंग्य

साल गिरहा मना लेतेन जोड़ी

कुकरा बासे नी रिहिस हे। बड़ बिहनिया ले गोसईन हा सुत उठके घर दुवार ला लीप बहार के तियार होगे। मेंहा देखेंव अउ कलेचुप सुतगेंव। गुनत रेहेंव येहा आज पहिली ले कईसे सुतके उठगे हावे कहिके। मोला काय करना हे कहिके धियान घलो नी देंव। गोसईन हा मुंदेरहा ले चहा लान के मुरसरिया मेर आके बईठ गे। तहाने मोला किथे उठना जोड़ी चहा पीले। पहिली बेर तो मेंहा अनसुनी कर देंव, दुसरैय्या मा धीरलगहा काय होगे कहिके कनवात उठेंव। त गोसईन हासत मोर हात मा चहा ल धरात किथे येदे चहा पी लेव। मैंहा मने मन मा गुनत रेहेंव आज सिरतोन कोनो न कोनो गोठ होही तेकरे सेती येहा मोला ललहोरत हे। मेंहा बिगर कुछु केहे सपर-सपर चहा ला पीयेंव। तहाले तनिया के सुतत रेहेंव वोतका मा गोसईन हा अतका जोर ले चिल्लईस के चमक के झकनकाके उठगेंव।

मोला किथे येकरे बर बिहनिया ले चहा पीयाय हंव फेर मुड़ी कान ला ढाक के सुतही कहिके। तुमनला कहि लगथे के नी लगे। मेंहा केहेंव ले बता डार काय गोठ हरे तेनला। गोसईन किथे-सरी दुनिया मा काय होवत हे तेनला देखथव? सुनथव? जानथव? मैंहा केहेंव काय होवत हे भई। अउ जानके घलो काय करहुं। मोला काकरो ले काय लेना-देना। मैंहा कोनो नेता थोरे हरंव तेमा दुनिया भरके आरो लेत रिहुं। गोसईन किथे जानहु घलो कहांले, बिहने सुतके उठथो तहाने डिपटी रेंगथो, उहा ले आ तहाने खा पी अउ सुत। येकर सिवा काहे तुमहर जिनगी मा। जिनगी ला अपन सुतई मा पहाव। उही सब ला जानतेव ते काबर अतेक होतिस। कतको दिन के छुटटी मिलथे तभे ले चलतो काहचों घुम-फिर के आजथन कहिके नी कहाव। अउ मनला देखथों ते मोला रोवासी लागथे। मोला कंझासी लागिस त केहेंव-सोज बाय बताना काय कहात हस तेनला। परानी किथे-सरी दुनिया ला देखथों ते महु ला साध लागथे जोड़ी हमु मन अपन साल गिरहा मना लेतेन।
बिचारा गोसईय्या हा समझ नी पाय। अउ जेनला समझिस तेनला किहिस। ले त गोसईन एकात इतवार के पंडित ला बला लेबे पूजा-पाठ करही तहाने बने हो जही अतेक दिन ले गिरहा लगे हे तेकर सेती किटिर काटर होवत रिथन तेनहा टुट जही। थोरकिन बाचे खोचे जिनगी हा हमर चेन ले कट जही। गोसईन सुनिस ते आगी बरोबर अंगार बरसे के सुरू कर दिस। किथे-कहि लगथे तुमन ला के निहि। मेहा तुमहर बर गिरहा हरों। टोरवा देव मोर गिरहा ला तहाने तुमन सांति ले रहु। किथे मेंहा तुंहर बर अतेक गरू होगे हावव तेमा मोला गिरहा समझत हो। मेंहा फरिहा के गोठ ला पुछेंव, मना-बुझा के त लटपट लैन मा आके बतईस। सुनेंव त अकबकागेंव, फेर काय करतेंव तभो ले सफई मारत केहेंव। देख वो हमर उमर पहाती आ गेहे हमन ला साल गिरहा मनाई सोभा नी देवय। दुनिया काय करत हे तेकर देकर देखा सीखी हमन कार करबो। समझे के हरे जतका उमर बाढ़ते वोतका उमर मनखे के जिनगी ले कमती होवत जथे। वईसने हमरो उमर घटत हे त दुखी मनाना चाही। कोनो जीते ते हारे फेर मेंहा तो गोसईन ले कभु नी जीते रेहेंव, जीते रिथों तेहुला हार जथों। काय करबे येकर सिवा कोनो रसता घलो नी रहाय। मन ला मारके हा मे हा मिलात रहा ईही हा मोर जिनगी के सार आय। येहु दरी मोर नी चलिस। परानी किथे तुमन कते जमाना के मनखे हरो ते कोजनी सरी दुनिया जनम दिन मनात हावे तेमन फेके डारे के होहीं। जमाना बदल गे हावय सबो बदल गे हावय तुमनला थोरे बदलना हे काही कुछु हो जाय।
दुनो झन के सहमति ले सालगिरहा मनाय के तियारी होईस। पारा-मोहल्ला मा झारा-झारा नेवता दे गिस। लोग-लईका मन अपन दोसत यार मन ला नेवतिन परानी अपन सहेली मन ला नेनतिस मोला किथे तहु अपन सहेला मन ला नेवत लेबे भई, मेंहा हौ केहेव फेर कोनो ला सरम के मारे नी बलायेंव। जेन दिन साल गिरहा रिहिस तेने दिन बिहाव बरोबर दुनो झन ला बईठार के बधई देत जांय। मोर मुहु ले हासी नी निकले। लोग-लईका पारा-परोस के मनखे ले घर हा सईमो सईमो करत रहाय। सबो झन के बीच मा अपराधी बरोबर मोला लागे। जिनगी मा मोला अईसे लागे कि बेरा हा कईसन आवत हे मनखे हा काय करत हे तेकर होस खुदे ला नईहे। देखा-देखी मा सबला तियाग करे बर तियार हावें। येहा सही मा गिरहा बरोबर हमन सबो ला पेरत हे। येकर ले छुटकारा पाना जरूरी हावय। नीहिते कहां गंवाबो तेकर आरो घलो नी मिलही।

दीनदयाल साहू