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मंजूर के गांव मंजूरपहरी : सियान मन के सीख





[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये सीख ला सुनव”]

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! मंजूरपहरी हर मंजूर के गांव आय रे। फेर हमन नई मानन। वि.खं.-बिल्हा, जिला-बिलासपुर के गांव सीपत ले लगभग 18 कि.मी. के दूरी में एक ठन गांव हवै मंजूरपहरी । ए गांव के नाम मंजूरपहरी कइसे परिस ए बारे मा जानकारी मिलस ए गांव के सरपंच श्री मती रमौतिन बाई पति श्री राम नेताम से। ए गांव मा जइसे प्रवेश होथे हमन ला एक सुघ्घर पहाड़ी मिलथे जउन ला दुरिहा ले देखे मा अइसे लगथे जइसे कोनो मंजूर बइठे हावय अउ ए पहाड़ी हर वास्तव में मंजूर मन के गढ़ आय। ए गांव के सियान मन बताथें कि तइहा जमाना में हमन बइठे रहन अउ कई ठन मंजूर मन ए पहाड़ी ले उतर के हमर तिर मा किंजरय। आज घलाव कभू-कभू मंजूर मन उतर के नीचे आथे फेर अब उॅखर संख्या धीरे-धीरे कम होवत जात हे। सुन के थोरकन दुख होइस के आज काबर इंखर संख्या कम होवत जात हे? संगवारी हो ए गांव हर पूर्ण रूप से प्रकृति के कोरा में बसे हे।

ए गांव के सुन्दरता देखते बनथे अउ ए गांव ला अतका अच्छा सरपंच मिले हावय जउन हर ए गांव के साफ-सफाई करे बर स्वयं बहरी धर के भिड़ जाथे। ए हर कानो सुने बात नोहय बल्कि आॅखी ले देखे बात हरै। महूॅ ला एक घंव उॅखर संग मा गांव के हर गली खोर मा घूमें के मौका मिलिस तब हमू मन अपन स्कूल के जम्मों लइका मन ला लेके प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक अउ हाई स्कूल के जम्मों शिक्षक साथी मन के संग मा जम्मों गांव के घर-घर जाके स्वच्छता संबंधी जानकारी स्वच्छ पानी अउ शौचालय के जानकारी देके आय रहेन। पूरा गांव ला घूम के आत्मा आनंदित हो गै रहिस हे। ए गांव के कोनो गली में गंदगी तो नजर में ही नई आत रहिस हे। ए गांव ला जउन बसाय हवै तउन परिवार के महतारी ले जरूर भेंट होइस। ए गांव के एक ठन अउ बात में मोर अंतस हर द्रवित हो उठिस- जब हमन 26 जनवरी के दिन बिहनिया प्रभात फेरी बर निकलेन। लइकन मन आगू-आग महात्मा गांधी, भारत माता के अउ माता सरस्वती के फोटो ल लेके अउ तिरंगा झंडा लेके फेरी लगाथे तब हर गली में दाई बहिनी मन गंगाजल अउ दूध से वो लइकन मन के पांव पखारथे।

ए गांव के हर लइका अउ सियान के मन में भारत भुइंया बर अतका प्रेम अउ समर्पन देख के आत्मा भावविभेार हो गे। ए गांव के सरपंच श्री राम नेताम जी ला गांव के एक झन दिव्यांग बेटी बर शौचालय बनवाय खातिर एनडी टीवी इंडिया में बुला के महान कलाकार अमिताभ बच्चन के द्वारा सम्मानित घलाव किये जा चुके हे। अइसे नई हे कि ए काम ला उमन कोनो ईनाम पाए खातिर करे रहिन हे बल्कि आज भी दोनो पति-पत्नि के मन में हमनला पूरा गांव अउ हमर देस के खातिर प्रेम अउ समर्पन देखे बर मिलिस। केवल सरपंच ही नई ए गांव के जम्मों निवासी मन के मन हर बहुॅत ही पावन नजर आइस। इंहा के लइकन मन के मन हर घलाव वइसने निश्छल अउ सेवाभाव अउ अतिथि सत्कार के भाव ले भरे नजर आइस।

ए गांव में जायके बाद मनखे ला शहर के धुर्रा अउ गंदगी छू भी नई पावय। शुद्ध प्राकृतिक हवा अउ पानी वाला पहाड़ी के नीचे बसे हरियर गांव हरै मंजूरपहरी। पहरी के मतलब होथे पहाड़ी अउ पहाड़ी में मंजूर पाए के सेती ए गांव के नाम मंजूरपहरी रखे गे हावय। संगवारी हो दुनिया भर में सब ले सुन्दर पक्षी मंजूर ला माने जाथे। मंजूर ला पक्षी मन के राजा घलाव कहे जाथे। मंजूर के सिर उपर राजा के मुकुुट सहीं सुघ्घर कलगी घलाव होथे। नर मंजूर के कई ठन अति सुघ्घर लंबा-लंबा पाखी होथे। मंजूर के पाखी में सुघ्घर आॅखी असन इंद्रधनुशी रंग के कई ठन निशान बने रइथे जउन हर सबके मन ला मोह लेथे। अइसे लगथे के कोनो बहुॅत बडे़ कलाकार हर एखर पाखी के सजावट करे हावय तभे तो भगवान कृश्ण हर घलाव अपन सिर में मंजूर के पाखी ला धारण करे हावय।

वइसे तो मंजूर हर ज्यादातर अपन पाखी ला नई फइलावय फेर बसंत ऋतु अउ बरसात के दिन में जब मंजूर हर खुश होके अपन जम्मों पाखी ला फइला के नाचथे तब ओखर सुंदरता देखते बनथे। एखर सुंदरता ला देखके हमर भारत सरकार हर 26 जनवरी सन् 1963 के एला राश्ट्रीय पक्षी घोशित करे हावय। मंजूर हर केवल भारत देस के ही नइ बल्कि श्री लंका के घलाव राश्ट्रीय पक्षी आय। एखर वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस हरै। एखर मूल स्थान दक्षिणी अउ दक्षिण पूर्वी एशिया हरै। मंजूर हर दक्षिण एशिया के देसी तितर परिवार के बड़का पक्षी आय। दुनिया के अउ दूसर भाग मेें मंजूर हर अर्धजंगली के रूप में परिचित हे। मंजूर हर खुला जंगल या खेत में पाए जाथे जिहाॅ उॅखर चारा बर अनाज मिल जाथे फेर मंजूर हर सांप, नपल्ली, मुसुवा अउ गिलहरी ला घलाव खाथे। जंगल में अपन तेज आवाज के कारन इंखर पता आसानी से लगाए जा सकथे। मंजूर हर शेर सहीं अपन शिकारी ला अपन उपस्थिति के पता घलाव देथे।

इमन जादातर अपन पैर मा चलथे अउ उडे़ से बचे के कोशिस करथे। मंजूर के पाखी से कई ठन सजावट के समान घलाव बनाए जाथे अउ कई ठन कुर्सी के डिजाइन घलाव मंजूर के पाखी कस बनाए जाथे। एखर पाखी के अड़बड़ महत्तम हावै जेखर बखान नई करै जा सकै। हमर छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाला राजा पक्षी के संरक्षण के प्रयास हमर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा होना चाही। जइसे हमर छत्तीसगढ़ में मगर के संरक्षण बर पार्क बनाए गे हावय वइसने मंजूरपहरी में मंजूर के संरक्षण करके मंजूर पार्क बनाए जा सकथे। फेर कोनो भी हालत में ए गांव के प्राकृतिक रूप खतम नई होना चाही। आज 5 जून के विश्व पर्यावरण दिवस मनाए जाथे। आज विश्व पर्यावरण दिवस में मोर यही शुभकामना हावै कि मंजूरपहरी में मंजूर के संरक्षण जरूर होना चाही। जम्मों ग्रामवासी के घलाव यही प्रार्थना हावै। सियान बिना धियान नई होवय। तभे तो उॅखर सीख ला गठिया के धरे मा ही भलाई हावै। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावै।

रश्मि रामेश्वर गुप्ता