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कविता

माथा के पसीना

रुकना नही हे थमना नही हे
पांव के भोमरा ल देखना नही है
मन्ज़िल अगोरत हे रस्ता तोर
सुरताना नही हे,घबराना नही है
धीरे धीरे चल के कछुवा
खरहा ल हरवाइस हे,
सोवत रहिगे केछुवा बपुरा
अड़बड़ पछताइस हे।।

अभी मिलिस असफलता तोला
हिम्मत से तै काम कर।
उदम कर कमर कस के
मत बैठ तैं हार कर।।



तोला अगोरे उजियारी बिहिनिया
मेहनत के बून्द गंवा ले,
कल होही जगमग रथिया
तोर जिनगी ल सँवार ले।।

ठान ले छत्तीसगढ़ के मनखे
मन ले कभू मत हारो जी
बून्द बून्द ले सागर बनथे
ऐला तू मन मानो जी

हो जावा तैयार करम के बीड़ा ल उठाना हे,
माथा ले टपके श्रम के पसीना
धरती सरग बनाना हे।।

अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा छत्तीसगढ़
8224043737