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गीत

बोधन राम निषाद राज के गीत

ए माटी हा चन्दन हे

ए माटी मा हीरा मोती,ए माटी हा चन्दन हे।
मोर छत्तीसगढ़ माई,एला सौ सौ बंदन हे।।
ए माटी मा हीरा मोती…………….

जनम धरेंव खेलेंवे कूदेंव,ए माटी के अँगना।
धुर्रा माथा मा लगायेंव,भाई बहिनी सँगना।।
भरे कटोरा धान के, कोठी ढोली कुंदन हे।
ए माटी मा हीरा मोती…………….

मोर गँवई गाँव सबो, तीरथ चारों धाम हे।
सेवा करबो मेवा पाबो,कोरा मा आराम हे।।
घर मुहाटी डोकरी दाई,देखै बइठे दर्पन हे।
ए माटी मा हीरा मोती……………..

पावन छत्तीसगढ़ के भुईयाँ,माई हा बिराजे।
गाँव मा ठाकुर देवता, शीतला माता साजे।।
कोठा मा घंटी बाजे, बखरी हा मधुबन हे।
ए माटी मा हीरा मोती………………



कान्हा भजन

मुरली ला मुरली ला मुरली ला गा…2
तोर मुरली ला…….आ…..
तँय हाँ झन बजाबे कान्हा मुरली ला..

बही कस घुमत रहिथँव,सुध हा भुलागे।
काम बूता मा मोरो,मन हा नइ तो लागे।।
तोर मुरली ला……आ……..
तँय हा झन बजाबे कान्हा मुरली ला….

सुरता भुलावय नहीं,निंदिया नइ आवय।
जमुना के तीरे तीर, मुरली हा सुनावय।।
तोर मुरली ला……..आ……..
तँय हा झन बजाबे कान्हा मुरली ला….

नैना कजरारे तोर,नैना मा समाये हँव।
मोर साँवरिया तोला,हिरदे बसाए हँव।।
तोर मुरली ला………आ……
तँय हा झन बजाबे कान्हा मुरली ला….
मुरली ला मुरली ला मुरली ला गा….2
तोर मुरली ला………आ…..
तँय हा झन बजाबे कान्हा मुरली ला…
हो हो हो………आ आ आ……….



गुरु परगे बिपदा में

मोर गुरु ऊपर कइसे,एदे बिपदा परगे जी।
कखरो आँखीं नइ दिखै,सरकार मरगे जी।।
मोर गुरु ऊपर कइसे………….

जब जब दुनिया करिन हे,गुरु के अपमान,
राज नंदागे काज नंदागे, अपने झरगे जी।
मोर गुरु ऊपर कइसे…………..

नवा सिरजन देश के, दुनिया के करईया,
आज सड़क मा बइठे, हड़ताली बनगे जी।
मोर गुरु ऊपर कइसे……………

गुरु के पद ब्रम्हा मानय, आज ए का होगे,
कोनों ला नइ मतलब हे,आँखीं गड़गे जी।
मोर गुरु ऊपर कइसे…………..

अंधरा मनखे मानय नहीं,महिमा ल गुरु के,
काम पियारा होगे सबो,संग मा लड़गे जी।
मोर गुरु ऊपर कइसे…………..

बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा, कबीरधाम (छ.ग.)
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