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कविता

छत्तीसगढ़ी भासा के महत्तम

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ ,गुरतुर बोली आय,
आमा के रूख मा कोइली मीठ ,बोली अस आय.

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ…..
हिदय के खलबलावत भाव ल उही रूप म लाय,
फूरफूंदी अस उड़त मन के ,गीत ल गाय.

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ…..
जइसन बोलबे तइसन लिखबे ,भासा गुन आय,
जै जोहार अउ जै जवहरिया,सब्द भासा के आय.

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ……
अपन भासा म गोठियावव,सरम का के आय,
छत्तीसगढ़ी भासा हमर राज के भासा आय .

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ…..
हमर भासा बर रूख पीपर ,करेजा म ठंडक देवय,
लोक गाथा अउ लोक गीत हर ,सबके पीरा हरय.

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ…..
अपन भासा म पढ़व लिखव, गोठियावव इही गोठ,
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया,देस म हे चिन्हार.

छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ…..
अपन भासा के बढ़ोतरी बर ,जुरमिर अलख जगाबों,
अब्बड़ सुघ्घर भासा के सुवास ल फहराबों.
छत्तीसगढ़ी भासा अब्बड़ मीठ……..

डॉ. जयभारती चन्द्राकर
गरियाबंद (छ.ग.)