Categories
कविता

खिल खिलाके तोर मुस्काई

खिलखिलाके तोर मुस्काई
अबड़ मोला सुहाथे
मुड़ मुड़ के तोर देखना गजब भाथे
हंसी हंसी म संगवारी मन तोर करथे चारी
गजब हे तोर संगवारी खिलखिलाना
घर के दुआरी म
अंगना के कोना म
सड़क के किनारे
तरिया के पार म
पड़ोस के कुँआ म
तोर होथे चारी
सबो कहिथे तोला निचट हे सुघ्घर
मोर मन के भीतरी म
आँखी के पुतरी म
तहीं हस संगवारी
तोर खिलखिलाई मोर जीव के होंगे काल
निचट तोर सुघ्घराई
अबड़ सताथे
संझा बिहनिया
गांवली बस
हंसी हंसी म करथे तोर चारी
खिलखिलाके तोर मुस्काई
अबड़ मोला सुहाथे

लक्ष्मी नारायण लहरे ‘साहिल’
कोसीर सारंगढ़
जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़