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कविता

गरमी आगे

आमा टोरे ल जाबो संगी ,
गरमी के दिन आये ।
गरम गरम हावा चलत ,
कइसे दिन पहाये ।
नान नान लइका के ,
होगे जी परीक्षा ।
मंझनिया भर घूमत हे ,
चड्डी पहिर के दुच्छा ।
ए डारा से ओ डारा मे ,
बेंदरा सही कूदथे ।
अब्बड़ मजा करथे लइका ,
पेड़ में अब्बड़ झूलथे ।
आइसक्रीम वाला आथे ,
अऊ पोप पोप बजाथे ।
लइका मन ल देख देख के
अब्बड़ गाना गाथे ।

प्रिया देवांगन ” प्रियू “
पंडरिया