परगे किनारी मा चिन्हारी, ये लुगरा तोर मन के नोहे लागे हाबे नैना मा कटारी, ये कजरा तोर मन के नोहे लडठका ह लउकत हे दांतन मा तोर मीठ बोलना बजा देते मादर ला तोर लइसे लागे तोर खोपा मा गोई गुंझियागे हे करिया बादर ह वो इंद्रराजा आगे धनुषधारी, ये फुंदरा तोर मन के […]
Tag: Badri Vishal Yadu ‘Parmanand’
Categories
गीत: सरद के रात
तैं अँजोर करे चंदा, हीरा मोती के चंदैनी बरे धरती धोवागे निरमल अगास खोखमा फूल के होवथे विकास लानिस संदेस ला डहरचला आवशथे जीव के जुड़ावन सगा लुंहगी मारथे सपरिहा, उमड़त हे मन हा उचैनी चढ़े…… खेत के तीर तीर खंजन चराय कुलकत हे धनमत हांसय लजाय आसा विचारी के मन होगे रीता सरग ले […]
नंगरिहा, नई उपजै तोर बिना धान। धरती पूंजी धरती रुंजी, धरती पूत किसान।। मिहनत ला जनमत पाये हस सबके सेवा बर आये हस तोर तपसिया तीन बतर के बरसा जूड तिपान। अब आगे हे तोर दिन बादर बरसे ला पानी चल मोरे नांगर लहू पछीना, टोरे जाँगर, बइला तोर मितान। दाई के थन मां दूध […]