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गोठ बात

नवा तिहार के खोज

तिहार के नाँव सुनते भार रोटी पीठा,लिपई पोतई, साफ सफई के सुरता आ जाथे।छत्तीसगढ़ गढ़ मा सबो किसम के तिहार ला मनाय जाथे।छत्तीसगढ़ के तिहार हा देबी देंवता , पुरखा, खेती किसानी ले जुड़े परंपरा के सेती मनाय जाथे।फागुन राँधे चैत खाय के हाना घलाव चले आवत हे। पुरखा मन बर अक्ति, पितर, तिहार आथे। देबी देंवता मन के तो सबो तिहार मा पूजा पाठ होथय।अक्ति, रामनवमीं, रथ दूज, हरेली, राखी, तीजा पोरा, गनेश पक्ष, जवाँरा, नवरात्रि, भोजली, दसहरा,देवारी भाई दूज, अइसने किसम के हर पून्नी मा तिहार ला रखे गे हवय।ये छत्तीसगढ़ के तिहार आय ।
हमर पुरखा मन अप्पड़ रहिस फेर बुधिमानी केरद्दा बताय रहिस।रुख राई, दवई बुटई ला बचाय बर नानम परकार के पूजा तिहार के रचना रचे रहिस। कतको जगा मा गांव , जाति , धरम के चलागन के चले आत परंपरा ला निभाय खातिर तिहार मनाय जाथे।नवाखई , जातरा, करमा, सरहुल मन जातिगत परंपरा के तिहार आय।
आज के नवा पीढ़ी मन , जुन्ना रीति रिवाज ला धरके तिहार नइ मनाय।येमन ला घर के बने रोटी पीठा के जगा पिज्जा , बर्गर मनहा सुहाथे। पढ़े लिखे बेटी बहू मन नानम परकार के राँधे बनाय बर जानथे।फेर ओमन ला आलस हा धर लेहे।सब बने बनाय, पके पकाय खाय के घसेलहा होगे।
छत्तीसगढ़ मा तिहार मनाय के तरीका अलगेच हवय। तिहार ला हबो परिवार मिल जुल के मनाथे।तिहार के दिन सबो सगा अउ परिवार के लोग मन ला एक जगा सकलाय के बइठे के माउका मिलथे । तिहार दिन, तेल तेलई राँधथे खाथे खवाथे अउ मिलथे जुलथे।पुरखा मन एला अपन सोंच के अनुसार दिन तिथी , बेरा बात के हिसाब ले बनाय हवय।इही ला आज ले मानत हवन। हर तिहार के अलग पूजा विधि अउ मनाय के तरीका होथय।जेला गाँव भर के मनखे मिलके मनाथे ओला गाँव तिहार कहिथे।जौन तिहार के चलन प्रांत भर मा रहिथे ओला प्रांतीय तिहार कहे जाथे।पूरा देश जेला मनाथे ओला राष्ट्रीय तिहार कहे जाथे।अइसने ढंग के अपन अपन धरम के अलग अलग तिहार होथय , जौन ला धार्मिक तिहार कहे जाथे। धरम मा बताय रीति ,नीति अउ रद्दा ले एला मनाय जाथय।
फेर अब हमर छत्तीसगढ़ मा नवा तिहार के खोज होय हवय।एला सरकार हा मनावत हवय। एला सरकारी तिहार कहे जात हे। जइसे बिजली तिहार, बोनस तिहार, मोबाइल तिहार, संविलियन तिहार…..।एला सरकार मा बइठे मंतरी मन शासन प्रसासन के संग मिलके गरीब जनता ला सकेल के मनाथे। बड़े बड़े मंच, पंडाल समियाना लगाय जाथे।पोंगा रेडिया अउ सांस्कृतिक कार्यक्रम के बेवस्था करे जाथय। मंतरी मन आथय उँखर सुवागत सत्कार होथय। गरीब जनता बर लाय दाईज, भेंट ला देय जाथय। सबो झन बर खाय पीये के बेवस्था रहिथे। माँगे के अधार से कोनो कोनो गाँव बर लाखों करोड़ों के घोसना घलो करे जाथय।अइसने एला मनाय जाथय। तिहार के दिन सरकार अपन योजना ला जनता तक पहुंचाय के बखान करथे।फेर ये तिहार हा सबो जगा एक दिन नइ मनाय जाय। सरकार अउ मंतरी संतरी के सुबिधा बेवस्था से साल के कोनों भी दिन मनाय जा सकत हे।अइसे अब गनेश चतुर्थी, अक्ति, हरेली, पोरा, कमरछट , मन बर इस्कूल मा छुट्टी बंद होगे। फेर सरकारी तिहार के दिन अतराब के इस्कूल बंद रखे जाथय।नवा तिहार ला अइसे ढ़ंग ले मनाय जथे।

अइसे अब सरकार हा धार्मिक तिहार मन ला पर्यावरण , प्रदूषण के नाँव धरके कम करे के अउ मेटाय के चक्र रचत हे।होली मा गुलाल से नकसान, पानी के बरबादी , देवारी मा पटाखा फोरे ले ध्वनि प्रदूषण होथे कहिके एला कमती करेब बोलत जात हे। एकर परिणाम पाछू देखेबर मिलही। अब इस्कूल मा कोनों तिहार ला , पूजा ला मनाय बर नइ देवय।तब लइका मन काइसे सीखही। छत्तीसगढ़ के तिहार मन हँसी खुशी ला बाँटे के दुख ला भुलाय के अउ संग देवइया मन ला धन्यवाद देय के परंपरा आय।

आज हमर प्रांत मा लाखो चेलिक मन पढ़े लिखे बेरोजगार बइठे हवय ।उँगर बर रोजगार तिहार कब आही ये एक ठन यक्ष सवाल आय?

हीरालाल गुरुजी”समय”
छुरा,जिला गरियाबंद

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