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गोठ बात

लइका अउ सियान खेलव कुरिया मा

गरमी नंगत बाड़ गे हवय।सियान ल कोन पुछय,लइका मन घर कुरिया ले निकले के हिम्मत नइ करत हे।वइसे आजकल के लइकामन घलाव थोकिन सुगसुगहा बानी के रहिथे।दाईच ददा मन ओला अइसने बना डरे हावय। माटी मा झन खेल, घाम मा झन जा कुलर कर बइठ, ठंडा पानी पी,ताते तात खा …..। नानम परकार के टोकई मा लइकामन परिस्थिति ले जूझे अउ सहे के ताकत ल गवाँ डरिस। अब तो गांव लगे न सहर, गरमी के दिन मा लइका न अमरइया जाय,न धूपछाँव खेलय, न डंडा पिचरंगा खेलय।कुरिया मा धंधाय लइका अब, टीवी अउ मोबाइल नइ देखही तब का करही ? एकर ले तन अउ धन दूनो खुवार होत हे।नानम परकार के बिमारी अउ कुरीति लइकामन के मन मा भरात हे।गांव ले अमरइया नंदागे, जिहाँ नान्हे बड़े लइका मन दिन मा सुते के डर मा लुकाके भाग जाय।
आज के लइका अमली के लाटा अउ केरी आमा ला नून मिरचा संग पखरा मा पीस के खाय के मजा ला काय जानही? एती दाई ददा दिन भर चिचयात हे- सुत जा रे…सुत जा! फेर लइका के मन चंचल होथे। गरमी दिन मा इस्कूल के छुट्टी होय रथे।पढ़ई लिखई के झंझटे नइ रहाय।तब ठेलहा लइका काय करही? ममा गांव जाही ,नइ ते दादा दादी कर सकलाही। जौन घर मा चार झन ले जादा लइका सकलागे तौन घर के सियान मन के सुतई, बइठई, रंधई,खवई सब हलाकानी मा पड़ जाथे। सबले जादा रंधनी कुरिया मा रहइया महतारी, बहू ल परसानी हो जाथे।खेवन खेवन रांधना अउ बरतन माँजना धोना।
गरमी के दिन तीपत घाम अउ भरे दुपहरी मा लइकामन ल बगोड़ के रखना अबड़ मुस्किल बुता आय।जब बाहिर चल दिस तब चिन्ता, घर मा हावय तब परेशानी । एकरे सेती पहली के सियान, महतारी मन कुरिया मा समय बिताय बर खेल बनाय रहिस।एकर ले लइका मन कुरिया मा खुसरे अउ बिना असकटाय दिन भर घाम मा घरेच मा रही सकत हे। दूसर फायदा ये हवय कि ओमन न टीवी देखय, न मोबाइल मा गेम खेलय।जइसे




तिरीपासा– ऐ खेल ला कम से कम 2 अउ जादा 4 झन खेले जाथे। अउ जादा झन होय ले अलग बइठे जा सकत हे। भुइयाँ मा 5×5 खाना के डब्बा चाक से खींचे जाथे।हर दिसा के तीसरा खाना ला खेलइया के घर माने जाथे। चारो डाहर के बीच के खाना ला पुके के घर बनाय जाथे। गिनती करेबर अमली के सइघो बीजा ला कुचर के दू फांकी करे जाथे।अइसने पांच ठन के पासा बनाय जाथे।पाँचो पासा ला हाथ मा धर के मिलाके भुइयाँ मा कुढ़ोय जाथे।चित पासा के गिनती करके अपन गोंटी ल खाना मन मा रेंगत आगू बढ़ात पुके के घर मा बुढ़ोय(पहुंचाय)जाथे।एमा नियम हे कि जब पाँचो पासा एकसंघरा चित होगे तब एक गोटी तुरते पुक जाथे।एमा एक नियम अउ हवय जब एक खेलइया के गोंटी कोनो खाना मा हे अउ पाछू दूसर खेलइया के गोंटी रेंगात उही खाना मा पहुंच जाथे तब, पहली वाले के गोंटी हा मरगे कहे जाथे अउ ओकर घर पहुंच जाथे।जब पुकेबर 2-3 खाना बांचे रहिथे अउ गोटी मारे जाथे तब अड़बड़ मजा आथे।आखिर मा जेकर गोंटी पुकेबर बांच जाथे,ओ हार जाथे। हारथे तेकर बर सजा के नियम घलो हे।ओला कुकुर असन भुँके बर, गदहा असन चिचियाय बर, उठक बइठक लगायबर नइ ते जेन मा हँसी आय अइसन सजा देय जा सकत हे। ऐमा बड़ मजा आथे।

चुरी लुकाउल– यहू खेल ला कुरिया भीतर मा खेले जा सकत हे।2-3 पसर कुधरील(रेती) ला पाँच कुढ़ी मा बाँट के आधा बिता के आड़(अंतर) मा मढ़ा दे जाथे।एला दू से जादा झन खेल सकत हे।एमा चूरी के नानकुन कुटका के जरुरत होथे।पहिली खेलइया हा ,ये टूटे चुरी के छोटकुन कुटका ला, जेवनी हाथ मा धर के अउ डेरी हाथ मा ओ चुरी ला तोपत लुकावत,ओ पाँच कुढ़ी मा घुमाथे। अइसने करत कोनों एक कुढ़ी मा छोड़ देथे।अब दूसरा,तीसरा मन ला पुछे जाथे। जेन साथी हा सही जुवाप (उत्तर)देथे, लुकाय के पारी ओकर होथे। जेन सही उत्तर नी दे सकय ओला कुछ भी सजा दिये जा सकत हे। खा पी के 2-4 घंटा समय पास करेबर बढ़िया खेल आय।एमा चुरी के जगा जुन्ना पुराना कुरता के बटन भी बने रहिथे।



गोंटा – गोंटा ला माईलोगिन, टूरी मनके खेल कहे जाथे। गोटा अलग अलग क्षेत्र मा अपन अपन तरीका ले खेले जाथे।एक परकार के खेल मा, छोटे गिट्टी अतका बड़ पखरामन (गोंटा)ला 4-4 ठन के एक अठिया गिनके, हर खेलइया बर 5 अठिया माने 20 गोंटा के हिसाब ले मिलाय जाथे। ये खेल ला दू झन ले चालू करके 4-5 झन एकसंघरा खेले जा सकत हे।सबोझन के गोंटा ल मिलाय के पाछू पहिली खेलईया हा हमात ले अपन एक पसर धर के उपर डाहर फेंकथे।उपर फेंकाय गोंटा ला भुइयाँ या गिरे के पहिली हाथ ल उल्टा करके पट हाथ मा झोंकथे।जतका गोंटा झोंका जथे ओकर चार के संख्या मा कुढ़ी बनाथे। उही झोंकाय गोंटा से एक गोटा निकाल के उपर डाहर फेंकथे अउ ओकर भुइयाँ मा गिरे के पहिली भुइयाँ मा बगरे गोंटा मन ला एक-एक,दू-दू ठन करके बीनना रथे।एमा दू बात के धियान राखेबर परथे।पहिली बात तो ये कि भुइयाँ मा बगरे गोंटा ल बीनत बेरा दूसर ला छुवाना नइ चाही। जेन गोंटा ला बीनना हे उहीच ला छुना हे ,नहीँ ता पारी चुक जाही। दूसर ,उपर गेय घोंटा ला एकेच हाथ मा झोंकना हे जब तक ओ हाथ मा पाँचठन नइ हो जाय।जब पाँचठन होगे तब ओमे से चारठन के एक कुढ़ी बनायबर अलग रखे जाथे। पाँचवा गोंटी ला फेर वइसने उपर फेंक के फेर बीनना हे।ये खेल तब तक चलत रहिथे जब तक उपर गेय गोंटी हा भुइयाँ मा नइ गिरय।जब बगरे गोंटी छुआ जाथे तभो घलाव पारी पूर जाथे अउ दूसर खेलइया के पारी लगथे।वहू हा अइसनेच करथे।जब सबो कोई एक एक घांव खेल डारथे अउ गोंटा भुइयाँ मा बगरेच रहिथे तब दूबारा खेले के मउका मिलथे।सबो गोंटा बिनाय के पाछू गिने के बारी आथे।4-4 के कुढ़ी बनाय के पाछू जतका अगरा (अधिक)जाथे,उही ओकर जीते के चिन्हा होथे। जेकर मा गोंटा कम होथे, ओ हार जाथे अउ सजा पाय के भागी होथे। ये हा धियान, धीरज अउ गियान बढ़ाय के खेल हरय।स्मरण शक्ति , आँखी के रोशनी बाढ़थे।




नौखड़ी– ये डमरु के बनावट असन नौ-नौ गोटी के दू-झन खेलने वाला खेल आय।दूनो कर नौ नौ ठन गोटी चाल चलेबर रखना होते।भुइयाँ मा नइ ते कागज मा खींच के खेले जा सकत हे।सबले पहिली बड़े असन (एक फुट)गुना के चिन्ह बनाना हे।लकीर के आखरी ला जोड़े ले ठउँका डमरु असन बन जाथे। बीच मा कटान बिंदु से दूनो डहर आखरी लइन के बीचान ला मिलात खड़ी लइन खींचना हे।अब आखरी लइन मा तीन ठन अइसे जगा बनगे जेमा दू लइन मिलथे।आखरी कोन्टामन अउ बीच मा।वइसने डमरु के दूनो डहर आखरी लइन के समानांतर दूठन अउ लइन खीचना हे। अब डमरु के एक भाग मा नौ गोंटी मढ़ाय के जगा बन गे।दूनो डहर के बीचान हा बांचिस।खेल इहें ले सुरु होथे।पहिली खेलइया हा अपन एक गोंटी ला बीच मा लानथे।ओकर जगा खाली हो जाथे।अब गोंटी मार के धरे के नम्बर आथे।एकर बर जौन गोंटी रहिथे ओकर पाछू के घर खाली होना चाही। दूसरा खेलइया के गोंटी ला डंका डारना है अउ ओ गोंटी ला उठा लेना हे।अइसने रेंगाई आखरी गोंटी के मरे तक चले जाथे।नियम केवल एकेठन हावय। विरोधी के गोंटी के पाछू जगा खाली रही तभे मरही।

चोर पुलिस– ये खेल मा लिखे पढ़े के खेल हरय। जतका झन खेलइया हे ओतका के नाम अउ संख्या लिख के चिटका बनाय जाथे।जइसे चोर-5,कोटवार -10, किसान-15, मुखिया-20, गुरुजी-30,पुलिस- 50….। सब नाम के चिटका ला गुरमेट के एक झन दूनो हाथ के बीच मा रख के,मिंझार के बगरा देथे। सब झन अपन अपन बर एक एक ठन उठाथे।जेकर मा जौन नाम के छिटका आय रथे।ओकर संख्या ला लिखे जाथे। अइसने एकक झन चिटका ला घालथे अउ बगरात जाथे।10-15 घांव के पाछू संख्या ला गिनके जोड़े जाथे। जौन सबले जादा संख्या पाय रथे ओला पुलिस, ओकर ले कम गुरुजी, अइसने सबले कम संख्या पाय लइका चोर कहाथे।ओला सब मिलके सजा देथे।जइसे – कुकुर सहीन भूंकना, मुर्गा के अवाज, उठक बइठक ।




ये सब बिन पइसा के फोकट के खेल आय। जेमा बाहिरी कुछ साजोसमान नइ लागय। मोबाइल , विडियो गेम, टीवी से सुभीता बढ़िया खेल आय।संझा जुवार खेले के अलग खेल हावय। तरिया अउ नहर नाली मा चलत पानी मा अलगेच खेल खेले जा सकत हे।

अइसने आधुनिक खेल जेला घर के छइहाँ कुरिया मा खेले जा सकत हे।ऐमा थोकिन पइसा खरचा करेबर परथे।तेमा शतरंज, कैरमबोर्ड, लूडो, सांप सीढ़ी आदि नानम परकार के खेल घलाव हवय,जौन लइकामन ला घर मा राखे बर मदद कर सकत हे।

आज लइका मन एक जगा सकलात नइ हे।कका, बड़ा,ममा, फूफू, मोसी, बड़ी के बेटी बेटा,भाई बहिनी मन एक दूसर ला कोनो रिस्ता के छट्ठी बरही, सगाई, बर बिहाव , पूजा मा एकाध घंटा बर भेंटथे मिलथे। भाई बहिनी के मया दुलार ला नइ पावय।जेन मन भाईच भाई हे ओमन बहिनी के मया नइ पाय, अउ जिंकर घर बहिनीच बहिनी हे तेन भाई के मयाबर तरसत रहिथे।जब इही मन थोकिन सज्ञान होथय तब एक दूसर ला न शरम करे ना लिहाज।एकर परिणाम आज का होवत हे ऐला सबो जानत हन। परोसी मन सब अंकल होगे हावय जबकि पहिली कका, ममा, मोसा रहय अउ उंखर लइका मन भाई बहिनी । आजकल तो रिस्ता नत्ता के दही मही कर डारे हवय।तब परिवार के सबो सदस्य ल मिलके एकर बर एक परयास करना चाही कि हर बच्छर गरमी छुट्टी मा सबो परिवार के लइका 15 दिन बर एक जगा सकलाय।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, जिला-गरियाबंद