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गोठ बात

योग रखय निरोग बरसात मा

असाढ़ के दिन आ गए। पानी गिरेबर धरलीस। अब मउसम हा ऊँच नीच होही। कभू अड़बड़ पानी गिरही, झड़ी करही, तब ठंडा लागही अउ दू दिन घाम करही ता मनखे उसना जही। हमर तन ला भगवान हे तौन अइसे विचित्र बनाके भेजे रहीस कि ठंडा में गर्म रहाय अउ गर्मी में ठंडा रहे। फेर हमन अपन तन ला आनी बानी के जिनिस,बेरा कुबेरा खवई पीयई, सुुतई बइठइ मा बेकार कर डरेन। अब ना ठंडा ला सही सकन ना गरमी ला। अउ तुरते बीमार हो जाथन।




बरसात के आय ले भूइँया के भीतरी मा खुसरे नानम प्रकार के कीरा मकोरा ,मच्छर,माछी मन बाहिर निकलथे अउ हमर खाए पिए के जिनीस मा बइठथे। जेला खाय ले मनखे बीमार हो जाथे। बीमार होइस तहान अस्पताल कोती रेंगथे । सरकारी अउ प्राइवेट दूनों हा मरीज मा भर जाथे। हजारों रुपया दवई और सूजी पानी मा फूँका जाथे रहे। बीमारी कुछु नइ रहय,उल्टी टट्टी,बुखार, खांसी,कफ नरी बइठना, कुनकुनहा लगना,हाथ गोड़ पिराना। कभू कभू डेंगू मलेरिया। डॉक्टर मन एकठन नवा बीमारी बताथे वायरल। वायरल फीवर बुखार होगे हवय। एकर से छोटे-बड़े,लइका सियान,महतारी बाप, सब हलाकान रहिथे।
ये सब बीमारी के कारण हरे हमर प्रतिरोधक क्षमता में कमी होना। आज खानपान,सुतई उठई बइठई भौतिक साधन बउरे के सेती हमन सुगसुगहा हो गय हन। हमन एक कन मा फट ले बीमार हो जाथन। चउमासा मा तन के गजबेचधियान रखे के जरूरत होथे। गंदला पानी ला झिन पीयन। ओमा झिन नहावन। जुड़ाय साग भात,रोटी पीठा ला झिन खावन। भाजी पाला ला रांधबे झिन करन।
योग हा ये मउसम बर गजबेच अच्छा आय। कहे जाथे कि योग करे ले रोग प्रतिरोधक क्षमता बाढ़थे। ज्यादा गर्मी लागत हे तब शीतली प्राणायाम घर,कार्यालय, बस,रेल, दुकान, में बइठे बइठे 5-10 मिनट करे से तन मा ठंडकता आ जाथे। बिहनिया ले भस्त्रिका, कपालभाँति,अनुलोम विलोम,भ्रामरी के संगे संग 8-10 आसन जइसे वज्रासन,तड़ासन, मंडूकासन,चक्रासन, सर्वांगासन, हलासन,भुजंगासन,त्रिकोणासान, पश्चिमोत्तानासन अउ सूर्यनमस्कार करके 24 घंटा उरजावान, निरोग रहि सकत हन। काबर कि एकर से रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बाढ़थेच,रोगानु जीवानु ले लड़े के ताकत मिलथे।
योग मा खान पान के परहेज घलाव बताय जाथे। डॉक्टर मन बरसात भर पानी तात करके पिये बर कहिथे। योग मा कहिथे कि बिहनिया सुत उठ के दू तीन गिलास अउ रतिहा सुते के पहिली कुनकुनहा पानी पीये ले आधा बिमारी दुरिहा जाथे।

उर्जा मिलती है बहुत, पिये गुनगुना नीर।
कब्ज खतम हो पेट की,मिट जाये हर पीर।।




अब के बरोबर पहली बिमरहा लइका जनम नइ धरय। दाई ददा के लपरवाही के सेती अब बिमरहा लइका मन जनम लेत हे। दाई ददा मन योग के जगा भोग करत हे। खाय पीये मा परहेज नी रखय। हमल के बखत काय खावन पियन येला धियान देना चाही। सुतई अउ उठई बेरा मा होना चाही। कहे जाथे कि जौन बेर उवे के पहिली उठथे अउ बेर बूड़े के दू- तीन घंटा पाछू सुत जाथे ओकर बीमार होय के संभावना पचास परतिसत कम हो जाथे। बरसात दिन मा दही ला मंझनिया के पहिली खाना चाही। तेलहा फुलहा हा पचे मा देरी होथे ता ओला जानबूझ के नी खाना चाही। अइसे कहे जाथे कि सब बिमारी के जड़ पेट आय। योग हा निरोग काया रखे के मंतर सिखाथे।

भोजन करके रात में,चले कदम हजार।
डाक्टर ओझा वैद्य का , लुट जाये व्यापार।।

ऐकरे सेती कहे जाथे कि बरसात मा योग करव अउ निरोग रहव

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा , जिला गरियाबंद