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व्यंग्य

नई उतरिस बिच्‍छी के झार पटवारी साहेब ला परगे मार

जोहार लओ संगी हो

हमर पटवारी भईया हा नवा-नवा उदिम लगावत रहिथे,थोकिन मा फेल घलोक हो जथे,ए बेरा ओ हा सोच डारिस पराकृतिक ह बने हवय, अनप घर मा एक ठक बोरड ला बनवा के लगा दिस, पटवारी के परकिरित चिकित्सा सनसथान, इंहा बिना दवई,सूजी,गोली के फोकट मा जम्मो बीमारी के इलाज होथे, समाज सेवा बर निह्सुल्क संचालित, डॉ.पटवारी,आदेश गुरु महाराज के, अऊ पटवारी भईया के फोकट के दवा खाना चालू होगे, पहिले -पाहिल मरीज आइस हमर भकाडू बबा हा, देखिस ता डॉ.पटवारी हा खुस होगे,ये दे आज्जे दुकान ला चालू करे हवं अऊ मरीज आना घलोक चालू होगे,आ बबा बईठ कहिके बईठार लिस, पटवारी -‘का होगे बबा?’भकाडू बबा- ‘का बताओं गा एक हफ्ता ले बुखार धरे हवय बने गोली खायेवं फेर माडहिस नईये,एक दम तीपे हवय देखना’पटवारी कहिस – ‘तोला तो अड़ बड बुखार धरे हवय बबा,ये दे हाथ ला छी के जानेव,अब इंहा आगेस सब बने होही, माड जाही कौनो संसो करे के गोठ नई ये.’
अईसे कहीके पटवारी ह बबा ला टेबल में सुता दीस,’देख बबा परकिरित चिकित्सा में तोला डरे के कोई बात नई ये, सरीर हा तीपे हवय तो ओला ठंडा करे के चाही, में बर्फ मंगावत हंव’ कहिके परसोत्तम ला पठोईस. ‘बने बर्फ के ठंडा पानी मा नहाबे ता तोर बुखार हा उतर जाही,ते बने हो जाबे बबा कहिके बने टेबल मा सुता लीस,पटवारी अऊ परसोत्तम दुनो झन मिलके बबा ला एकदमे ठंडा पानी मा नहवा दिस,पानी सरीर मा परिस तो बबा हा मार डरे रे कहिके जोरदार चिल्लईस, रद्दा बाट मा रेंगईया मन पटवारी के घर भीतरी आगे,का होगे कोन मरत हे कहिके,देखिस ता पटवारी अऊ ओखर नौकर परसोत्तम दुनो झन बबा ला धरे रहाय अऊ ठंडा पानी ला डारत रहाय, बबा हा छटपटात रहाय अऊ बचाओ -बचाओ कहिके गोहार पारत रहाय, ओ मन बबा ला हाथ लगा के देखिस ता ठंडा होगे रहाय,बेचारा मन बबा ला धर के हस्पीटल लेगीस त उंहा के डाक्टर मन हा इलाज चालू करिस त तीन दिन मा बबा हा होंउस आईस, ये दे बेरा मा पटवारी ला समझास दे के सियान मन हा छोड़ दिस, पटवारी हा बाँचगे.
कहिथे ना कुकुर के पूंछी हा टेडगा के टेडगा रहिथे नई सुधरय,तईसने गोठ पटवारी के हवय.एके हफ्ता होय रिहिस ये घटना ला,पटवारी हा फेर एक ठक नवा मरीज पा गे, पाछू के मोहल्ला मा देवार डेरा हवय, दारा सिंग देवार के टूरा ला बिच्छी चाब दिस, ओमन टूरा ला धर के ओखरे मेर लान दिस, टूरा के संगे -संग जम्मो देवार डेरा हा उमड़ गे, पटवारी देखिस मरीज आये हवय, पहिले तो सोचिस नई करवं इलाज ला,फेर सोचिस जेन हा अपन होके इलाज कराये बर आये हवय तेखर तो करना चाही, डाक्टरी के पेसा मा कोनो ला मना नई करना चाही अईसे कहिथे,सोच के पटवारी हा घर में टूरा ला बला डारिस. अऊ पुछिस” काय होगे गा? बिच्छी काट दिस साहेब -देवार किहिस, कोन मेर काटे हवय ? पटवारी पुछिस. एदे जेवनी गोड में काटे हवय- देवार किहिस. पटवारी पुछिस- ता कोनो हा माखुर धरे हव ?धरे हवं, कहिके एक झन देवार हैं पटवारी ला माखुर दिस. डॉ.पटवारी हा थोकिन माखुर ला घस के सान्फी मा रखिस अऊ ओमा पानी डार के, टूरा ला पुछिस- कोन गोड मा काटे हवय, टूरा हा किहिस जेवनी मा, ता डेरी आंखी ला खोल किहिस अऊ जईसने डेरी आंखी ला खोलिस ता माखुर के पानी ला टूरा के आंखी मा नीचो दिस,टूरा हा दाई ओ ………
कहिके आंखी ला धर के गोहार पारे लागिस’ मोर आंखी ला फॉर डारिस कहिके, दू मिनट मा टूरा के आंखी फूल के लालियागे,देवार मन देखिस ये दे टूरा के आंखी फ़ुट गे, जम्मो झन डौकी लईका सुद्धा पटवारी ला छरे ला चालू कर दिस, जउन पावथे तउन भका भक चालू हवय, बेदम मार गा, में हा दुरिहा ले देखत रहेवं, ओ………..हो…………बेदम मार ,गरुवा कस पीटत हे, महू हा जीव परान दे के घर डाहर भागेवं, काबर का भीड़ मा कभू -कभू देखईया हा घला परसाद पा डारथे, इही का कहिथे गा “आंजत-आंजत कानी होगे “
कईसे लागिस संगी हो हमर पटवारी भईया के गोठ-बुता हा,जरा बटन ला चपक के बतावव मयारू हो
आप मन के
गंवईहा संगवारी
ललित शर्मा
अभनपुरिहा