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व्यंग्य

चुनावी घोसना पत्र

हमर देस म जतेक खबसूरत चीज हे तेमा, चुनावी घोसना पत्र के नाव पहिली नमबर म गिने जाथे। एकर खबसूरती अतेक के, येमा कोन नी मोहाये। सुनदर ले सुनदर अऊ जवान ले जवान हिरवइन ला, येकर आगू म खड़ा करा दव। हिरवइन ले जादा ले जादा मोहाइच जही त, जवनहा मन, या पइसा वाला सियान मन, या नाव वाला अधेड़ मन। फेर भगवान घला, का गड़हन के बनइस होही, बइरी चुनावी घोसना पत्र के थोथना ला के, का लइका का सियान, का मजदूर का किसान, का अमीर का गरीब, का करमचारी का अधिकारी, का दानी का भिखारी, का चोट्टा का डाकू, का लबरा का कबरा, का अंधरा का कनवा ………….. जम्मो मोहा के झपा जथे।
घोसना पत्र के अतेक बखान सुनके, मोला घोसना पत्र सकेले के सऊंक उमिहागे। जतका अकन सकलइस तेला, कन्हो अऊ झिन नंगाले सोंचके, सनदूक म भर के, थाथी राख देंव। तीजा पोरा म मइके जाये बर, हमर बई हा उही सनदूक के सरी समान ला उलदके, अपन लुगरा पाटा जोरत रहय, तिही समे घर म, मोर खुसरती होगे। धकर लकर ओकर तिर पहुंचके, घोसना पत्र ला धरे बर हाथ लमायेंव तइसने म, मोर बई हा ओला जुन्ना काकरो परेम पत्र होही कहिके, न धरन दिस न देखन दिस। भलुक एको अकछर नी पढ़हे रिहीस फेर, मोर आंखी के चमक म, ओला घोसना पत्र म कुछ अऊ दिखगे। अपन दई ददा के कसम खाके बतायेंव के, तोर हाथ के कागज हा, बीते चुनाव के, चुनावी घोसना पत्र आये कहिके, तब, ले दे के बिसवास करिस अऊ पूछे लगिस – बीते चुनाव के घोसना पत्र ला काये करबे तेमा ……? मे मजाक करत बतायेंव – येकर सुनदरई ला देखथंव त मोर छाती जुड़ाथे या ………। अपन बई के आगू म काकरो सुनदरता के बड़ई करके देख …….. मोर कस पता चलिच जही …….। कागज ला चिरे बर धरिस अऊ केहे लगिस – अई, येहा कागज के फकत लोंदा आय अऊ येला सुनदर किथव तूमन। इही घोसना पत्र ला देख देख के, ओकरे कस मोटा गे हव तहूं मन …..। में खी खी खी खी, हाँसे लगेंव। ओहा फेर किथे – येकर काये काम हे तेमा, का जारी करइया ले हिसाब लेहूं कथव …….? कती मनखे अभू तक, सही सही हिसाब दिस तेमा ……। अतेक पइसा तुंहर खाता म जमा होही केहे रिहीस, चरन्नी नी अइस। पइसा आही तहन, नौ लखा हार के लालच दे रेहेव, का होइस ओकर ……..? फेंकव येला निही ते, आगी बारत हंव येला। ये कती तिर सुनदर हे तेमा …….. छाती म लगाये बर मरत हव। इही बैरी हा, लबरा मनला जिता दिस अऊ तूमन येकरे गुन गाथव। में मजाके मजाक म कहि पारेंव – तहूं तो बिहाव के पहिली, अइसनेच सुंदर रेहे या, जइसे चुनाव के पहिली, ये घोसना पत्र ………। ओहा तुनकगे, अऊ तुरते बाहिर म किंजरत, रद्दी बेंचइया ला बला डरिस अऊ जुन्ना अखबार म मिलाके, बेंचे बर निकाल दिस।
रद्दी बिसइया हा, घोसना पत्र ला अलग कर के, अखबार ला तउल दिस। घोसना पत्र ला, अलग बाजू म मढ़हावत देखिस त, मोर बई किथे – अई यहू ला तउलना गा ……..। वो किथे – येला काये करबो भऊजी, येकर कोई किमत निये, येला कंन्हो नी राखय। ये उही मनला फबथे अऊ किमत देथे भऊजी, जेमन येला जारी करथे। तोर हमर बर, येकर का किमत अऊ का मतलब ….. ? में अपन बई कोती निहार नी सकेंव। मोर बई किथे – फोकट म लेग जा बाबू, झिन देबे कुछू …….। रद्दी वाला किथे – येहा फोकट म, तभो महंगा रिहीस जब, चुनाव नी होय रिहीस। अभू तो चुनाव निपट चुके हे अब तो येला कुकुर तक नी सूंघय …………। रद्दी वाला पूछथे – कोन तूमन ला, अइसन चीज ला सकेल के, राखे बर किहीस होही भऊजी ? मोर कोती, मोर बई एकदमेच, हिकारत ले देखिस। मोर घेंच गड़ियाये गड़ियाये पिरागे। गारी बखाना करे बर, में मने मन तलासे लगेंव, अइसन लिखइया पेन अऊ अइसन बोलइया मुहुं ल, जे मन, घोसना पत्र के सुनदरता के, बखान करे रिहीस हे। मोर सोंचत ले, घोसना पत्र ला चुलहा म फूंक, बई मइके चल दिस। चुनाव फेर आगे। रंग बिरंग के घोसना पत्र, येती वोती, फर फर फेर उड़ियाये लगिस। झिन मोहावंव सोंचथंव, फेर को जनी, येकर सुनदरता के मोहो ले, चुनाव तक बांच पाहूं के निही ………..।

हरिशंकर गजानंद देवांगन
छुरा .