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कविता

गीत-नवा बछर के

नवा बछर के नवा बिहनिया,हो…..
नवा सुरुज अब आगे।
आवव संगी जुरमिल चलबो,
अँधियारी हा भगागे।।
नवा बछर के……..

सुरूर सुरूर पुरवईया चलतहे,
मन मा आस जगावत हे।
नवा काम बर नवा सोंच लव,
नवा भाग लहरावत हे।।
मन हरियागे तन हरियागे….हो…..
मन हरियागे तन हरियागे,
खुशहाली अब छागे।
नवा बछर के………..

दिन दुगुना अब महिनत कर लव,
पथरा फोर कमा लव।
नवा जमाना देखत रहि जाय ,
दुःख पीरा बिसरा लव।।
जाँगर पेरव छींचव पसीना….हो….
जाँगर पेरव छींचव पसीना,
गंगा एमा समागे।
नवा बछर के………..

बिसरे गोठ ला झन सोरियावव,
रद्दा आगू बढ़व गा।
करम के खेती धरम के बोनी,
सुघ्घर सपना गढ़व गा।।
धरती अउ अगास मा गुँजही…..हो….
धरती अउ अगास मा गुँजही,
सोर सबो बगरागे।
नवा बछर के………

बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.)
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