Categories
गोठ बात

बाबा के सात सिद्धांत अउ सतनाम मनइया

हमर छत्तीसगढ़ के भूइंया हा पबरित अउ महान हे जेमा बड़े बड़े ग्यानिक अउ बिद्वान मन जनम धरीन।जौन देस अउ समाज ल नवा रद्दा बताइन।छत्तीसगढ़ बीर मन के भुइंया हरे फेर इही भुइंया मा गहिरागुरु, स्वामी आत्मानंद जइसन समाज सुधरइया अउ रद्दा बतइया मन जनम धरीन। इही मा एक नाव गुरु बाबाघासीदास घलो हे। जौन छत्तीसगढ़ के माटी मा बच्छर 1756 मा महंगूदास अउ अमरौतिन के कोरा ला धन्य करिन।

गुरु घासीदास के जनम जौन बखत होइस ओ बेरा समाज हा जातिभेद, टोनहा टोनही,ऊंचनीच, गरीबी, दरिद्री ले जुझत रहिस।छुआछूत के मानता बाढ़े रहिस। कहिथंय उंच जात अउ पूजेरी मन धरम के ठेकादार बनके सोसन करत रहिन। घासीदास नानपन ले इही सब ला देख के बिरोध करय। भगवान के भक्ति मन मा होय के पाछू घलो मंदिर मा ओला जायबर नइ देवय। ओकर नान्हे मन मा घिना होय लागय। बड़का बाढ़िन तब सत के रद्दा ल धरिन।अपन समाज के मनखेमन के गरीबी मेटायबर, उंकर जिनगी मा अंजोर करेबर,सोसन के बंधना ल छोरेबर उदिम करिन।



अपन समाज के मनखेमन ल सात सिद्धांत के सिच्छा देइस।पहिली-सतनाम मा बिस्वास अउ भरोसा करव। दूसरा-मूरती के पूजा झन करव।तीसर-बड़े छोटे जात पात मा झन पड़व।चउंथा-जीव के हइता मत करव।पूजवन मत देवव।पांचवा-चोरी झन करव, मंद मउहा झन पियव, मास घलो मत खावव।छेटवा-दूसर के सुवारी,बहू ,बेटी उपर गलत निगाहा झन रखव।सातवां-मंझनिया के खेत जोतेबर झन जावव। ओकर संदेस ला सुनके ओ बखत के लाखो मनखे ओकर बताय रद्दा मा रेंगे लगीन।गुरु बाबा अपन आतमग्यान ले एक अउ सीख देईन “मनखे मनखे एक समान”। बाबा ल सतनाम धरम के संस्थापक माने जाथे।आज संसार करोड़ो मनखे ये धरम ल मानत हे अउ बताय रद्दा मा रेंगत हे।हर बच्छर गिरौदपुरी मा 18 दिसम्बर के लाखो मनखे बाबा के पबरित भुइंया छाता पहाड़, औवरा धंवरा के पेड़ के दरसन करेफर जाथे।पंथी गीत मा गुरु महिमा के बखान करथे।

फेर कहे जाथे जब संख्या बाढ़थे अउ दिन बहुरथे तब सिद्धांत के मनइया मन उल्टा रेंगे लागथे।गुरु बाबा जौन सिद्धांत ल मनखेमन के जिनगी सुधारेबर बताय रहिस आज ओला भीतरी कुरिया मा धांध के राखे हावय। बहिरी कुरिया अउ परछी मा काय करत हे यहू गुने के आय। सतनाम मा भरोसा तो करत हे फेर मास मछरी के खवाई घलो चलत हे। मंद महुआ के बेचइ अउ पियइ मा कमती नइ करत हे। पढ़ई लिखई के संगे संग नउकरी घलो करत हे फेर अपन आदत अउ सुभाव ल नइ बदलत हे। “मनखे मनखे एक समान” अब 18 दिसम्बर के नारा होगे हावय। भाई भाई मा झगरा, इरखा, मारपीट ह मन ले नइ निकलत हे।सत्, अहिंसा, धीरज, लगन, करुना,करम, सिधवापन अउ बेवहार पुस्तक कापी मा लिखे आखर होगे हावय।आज समाज अउ देस मा जौन बिगड़े रुप दिखत हे ओकर जिम्मेदार हमीमन हावन।हमर देवता समान गुरुमन के बताय बात ला नइ मानत हन।जौन दिन ये सात सिद्धांत हमर अंतस मा उतर जाही तभे भाईचारा अउ मनखे मनखे एक समान ह फलित होही।

हीरालाल गुरुजी ” समय”
छुरा, जिला-गरियाबंद
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]