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कमरछठ कहानी : बेटा के वापसी

– वीरेन्द्र ‘सरल‘
एक गांव में एक झन मालगुजार रहय। ओखर जवान बेटा ह अदबकाल में मरगे रहय। मालगुजार ह अपन ओ बेटा ला अपन पूर्वज मन के बनाय तरिया जउन ह गांव के बाहिर खार में रहिस उहींचे ओला माटी दे रिहस।
उहीच गांव में एक गरीब पहटिया रहय जउन ह मालगुजार घर के गाय-भंइस ला चराय। जेखर एक झन मोटीयारी बेटी रहय। जउन ह घातेच सुघ्घर रिहिस। फेर काय करे बपरी ह गरीबी के सेती उही तरिया के तीर में रोज गोबर अउ लकड़ी बिने बर जाय।
एक दिन मंझनिया के बेरा निचट सुनसनहा समें मे ओ नोनी ह गोबर बिनत रहिस। तभे ओला कोन्हो नौजवान टुरा ह हांक पारिस, नोनी ह डर्रागे। लहुट के देखिस तब एक झन बड़ा सुघ्घर टुरा ला देख के दंग रहिगें ओ लड़का कहिस-तै डर्रा झन नोनी, मैंहा तुहंर गांव के मालगुजार के बेटा अवं। मोला गजब पियास लागत हे। पानी-कांजी धरे होबे ते थोकिन दे। मालगुजार के बेटा ह मरगे हे कहिके नोनी ह जानत नइ रिहिस। ओहा पानी ला दिस। अब तो रोज के इही बात होगी। दुनो झन एक दूसर के रूप रंग ला देख के मोहागे। ओमन में परेम होगे। मिले बिना उखर मन नइ माढ़े। दिन ते दिन अब रतिहा घला मालगुजार के बेटा के आत्मा ह जियत जागत मनखे अस पहटिया के नोनी के कुरिया म पहुंच जाय। फेर उखर परेम ला कोन्हो जानबे नइ करय। नोनी के छोड़ मालगुजार के बेटा कोनहो ला नइ दिखय।
अइसने-अइसने गजब दिन बीतगे। पहटिया के नोनी अम्मल में रहिगे। जब ये बात के पता गांव वाला मन ला चलिस तब गांव में बइठका होय लगिस। नोनी ला लइका के बाप के नाव पूछे जाय तब ओहा मालगुजार के बेटा के नाव ले। गांव के मनखे मन ओला समझावय कि ओहा तो मरगे हावे फेर नानी ह मानबे नइ करय। गांव वाले मन ओला बही-भूतही समझे लगिन। मालगुजार घला अचरज में पड़गे रहय। गांव वाले मन के ताना के मारे ओ नोनी के जीव हलाकान होगे।
बिहान दिन ओहा जब तरिया तीर मालगुजार के बेटा संग भेंट होईस तब सब बात ला बता के रोय लगिस। मालगुजार के बेटा किहिस-अरे बही! गांव के मन मोला मरगे हे समझथे। मोर देहे ह मरे हावे, आत्मा तो जियत हे। काली कमरछठ के तिहार आय। इहां ले जाके मोर दाई ला कहिबे कि वोहा कमरछठ के उपास रहिके षिव जी के पूजा पाठ करही अउ उहां ले आके पिंवरी पोतनी में मोला मारही तहन मैहा सउंहत जीं जाहूं। पहटनीन नोनी घर आके मालगुजारिन ला सब बात ला बता दिस। कमरछठ के दिन मालगुजारिन ह तरिया पार में खड़े अपन बेटा के कनिहा में पोतनी मारिस। तहन बेटा ह राम राम कहत जींगे। गांव भर में खुषी हमागे। जइसे मालगुजारिन के दिन बहुरिस तइसने सब के बहुरय। बोलो कमरछठ भगवान की जय।