वीरेन्द्र ‘सरल‘ गंवई-गाँव म बियारा ह ओ ठउर आय जिहां किसान चार महीना ले अपन जांगर तोड के कमाय के पाछू उपजे फसल ला परघा के लानथे अउ जिनगी के सपना ला सिरजाथे। इही फसल के भरोसा म कोन्हों अपन नोनी के बिहाव के सपना देखथे तब कोन्हों अपन बेटा बर दुकान खोले के। कोन्हों […]
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वीरेन्द्र ‘सरल‘ मनखे के काया में जउन महŸाम हिरदे के हे उही महŸाम साहित्य में कहानी के। कहानी कहंता के भाव अउ ढंग ह सुनइया के मन ला अइसे रमा देथय कि कहानी पूरा होय के पहिली मन ह अघाबे नइ करय। एक कहानी सिराथे तब मन ह दूसर कहानी सुने बर होय लागथे। फेर […]
वीरेन्द्र ‘सरल‘ जिनगी के व्यथा ह मनखे बर कथा होथे। सबरदिन ले कथा-कंथली ह मनखे के जिनगी के हिस्सा आय। मनखे जब बोले-बतियाय ल नइ सिखे रिहिस मतलब जब बोली-भाखा के विकास घला नइ होय रिहिस तभो मनखे अपन जिनगी के अनुभव ला भितिया में रूख-रई, चिरई-चिरगुण, साँप-डेरू, हिरू-बिच्छू के चित्र ला छाप के परगट […]
वीरेन्द्र ‘सरल‘ संसार में हर विवहित महिला के लिए मातृत्व का सुख वह अनमोल दौलत है जिसके लिए वह कुबेर के खजाने को भी लात मारने के लिए सदैव तत्पर रहती है। माँ अर्थात ममता की प्रतिर्मूत, प्रेम का साकार स्वरूप, त्याग और बलिदान की जीवन्त प्रतिमा। माँ षब्द को चाहे जितने उपमान देकर अलंकृत […]
कमरछठ कहानी : मालगुजार के पुण्य
-वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव में एक झन मालगुजार रहय। ओहा गाँव के बाहिर एक ठन तरिया खनवाय रहय फेर वह रे तरिया कतको पानी बरसय फेर ओमे एक बूंद पानी नइ माढ़े। रद्दा रेंगईया मन पियास मरे तब तरिया के बड़े जान पार ला देख के तरिया भीतरी जाके देखे। पानी के बुंद नइ दिखय […]
कमरछठ कहानी : देरानी-जेठानी
वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गाँव में एक देरानी अउ जेठानी रहय। जेठानी के बिहाव तो बहुत पहिलीच के होगे रहय फेर अभी तक ओखर कोरा सुनना रहय। अड़बड़ देखा-सुना इलाज-पानी करवाय फेर भगवान ओला चिन्हबे नइ करय। मइनखे मन ओला बांझ कहिके ताना मारे। जेठानी के जीव ताना सुनई में हलाकान रहय। सास-ससुर अउ ओखर गोसान […]
कमरछठ कहानी – सोनबरसा बेटा
-वीरेन्द्र सरल एक गांव में एक झन गरीब माइलोगन रहय। भले गरीब रिहिस फेर आल औलाद बर बड़ा धनी रिहिस। उहींच मेरन थोड़किन दूरिहा गांव में एक झन गौटनीन रहय। ओखर आधा उमर सिरागे रहय फेर ओहा निपूत रहय। एक झन संतान के बिना ओखर जिनगी निचट अंधियार रहय। ओहा गरीबिन के किस्मत ला सुने […]
कमरछठ कहानी – दुखिया के दुःख
-वीरेन्द्र सरल एक गाँव में दुखिया नाव के एक झन माइलोगन रहय। दुखिया बपरी जनम के दुखियारी। गरीबी में जनम धरिस, गरीब के घर बिहाव होइस अउ गरीबीच में एक लांघन एक फरहर करके जिनगी पोहावत रिहिस। उपरहा में संतान के सुख घला अभी तक नइ मिले रिहिस। जिनगी के आधा उमर सिरावत रहिस फेर […]
कमरछठ कहानी – सातो बहिनी के दिन
-वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में सात भाई अउ एक बहिनी के कुम्हार परिवार रहय। सबो भाई के दुलौरिन बहिनी के नाम रहय सातो। एक समे के बात आय जब आशाढ़ के महिना ह लगिस। पानी बरसात के दिन षुरू होईस तब कुम्हार भाई मन पोरा के चुकी-जांता, नंदिया बइला अउ गणेष भगवान के मूरती बनाय […]
कमरछठ कहानी : बेटा के वापसी
– वीरेन्द्र ‘सरल‘ एक गांव में एक झन मालगुजार रहय। ओखर जवान बेटा ह अदबकाल में मरगे रहय। मालगुजार ह अपन ओ बेटा ला अपन पूर्वज मन के बनाय तरिया जउन ह गांव के बाहिर खार में रहिस उहींचे ओला माटी दे रिहस। उहीच गांव में एक गरीब पहटिया रहय जउन ह मालगुजार घर के […]