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कहानी

नानकिन किस्सा : प्याऊ

गाँव के गरीब किसान के लइका सुजल बी ए के परीक्षा ला प्रथम श्रेणी ले पास कर डारिस। गाँव के गुरुजी हा ओला यूपीएससी के परीक्षा देवाय के सुझाव देइस। परीक्षा के फारम भरेबर ओला बड़े शहर मा जायबर परिस। सुजल बिहनिया ले सायकिल मा सड़क तीर के गाँव आइस अउ साइकिल ला उहींचे छोड़ बस मा बइठ के शहर आ गे। फारम लेवत, भरके डाकघर मा जमा करावत ओला अड़बड़ बेरा होगे।मंझनिया के अढ़ई बजगे रहय। ओला घर घलावलहुटना रहिस।फारम भरे के सुध मा पानी तक पीये के समय नइ मिलिस। टोंटा सुखाय लगिस।मई महिना के मंझनिया होय के सेती सबके कपाट ओधाय रहय।दुकानवाला मन दुकान मा ऊँघात बइठे रहय। इखरो तीर पानी के कोनों साधन नइ दिखत रहय। होटल मा पानी कुछु खाय के पाछू मिलतीस ता बस छुटे के डर रहय। डाकघर के आजू बाजू पानी के कोनों बेवस्था नइ दिखिस ता रेंगत रेंगत चऊँक मा आगे। बस टेसन ले निकले पाछू इही चऊँक करा थोकिन रुक के अउ सवारी बइठारके आघू जाथे। चढ़े मंझनिया मा ये चऊँक मा दर्जन भर ले जादा नर नारी, लइका पिचका सवारी खड़े रहय।

सबोझन इही गोठियात रहय कि अतिक बड़े शहर मा पानी के कोनों बेवस्था नइ हे।लइकामन पानी पानी कहिके सियानमन ला तँगात रहय।बस आ गे तहान सुजल चढ़के घर आगे। फेर ओकर मन मा ओ पानी के कमती हा बइठ गे। अपन परीक्षा के तैयारी मा लगगे। सात बच्छर बीत गे। अब सुजल नायब तहसीलदार बन गे हावय। अप्रैल महिना मा ओखर तबादला उही बड़े शहर के तहसील मा होय हे। जिहाँ फारम भरे के बेरा मा पियासे रहेबर पड़े रहिस। सात बच्छर मा शहर तो बनेच बदल गे हावय। बड़े बड़े तीन मजिल, पाँच मंजिल बेल्डिंग बनगे हावय। फेर नइ बनिस ते पानी के बेवस्था।आज घलाव पानी के बेवस्था मा कमती ला देख के ओखर मन भरभरा गे। एक दिन चरबज्जी मुख्य नगर पालिका अधिकारी ला बुलावा के अपन मन के बात ला फोरिया के बताइस अउ जनता के सुविधा बर चऊँक चऊँक प्याऊ खोलेबर कहिस। सीएमओ साहब हा पाइसा के कमती बता के दू तीन चऊँक मा बेवस्था कराय के बिस्वास दे के चल दिस। दूसर दिन फेर चरबज्जी शहर के सामाजिक, धार्मिक अउ व्यापारिक संस्था मन के पदाधिकारी मन ला बुलाके गर्मीभर प्याऊ खोले अउ जनता के सेवा करके पुण्य कमाय के गोठबात करीस। बने काम मा भगवान के घलाव असीस मिलथे। सबो संस्था अपन अपन पसंग के जगा मा प्याऊ लगाय बर राजी होगे। पन्द्रही होय पाय रहिस एक दिन मंझनिया सुजल अपन सरकारी गाड़ी मा बइठे उही चऊँक ले निकलत रहय कि मनखेमन के भीड़ ला देख गाड़ी रोकवा दीस। देखिस ता चऊँक मा लगे फ्रीजर मा पानी पियइया के लइन लगे रहय। अपन आप ला रोक नइ सकिस। गाड़ी ले उतर के अपनो हा लइन मा खड़े होगे। पारी आइस ता सोसन भर के पानी पी डारिस। ओखर आँखी ले खुशी के आँसू ढर गे। आज ये पानी ला पी के सुजल के सात बच्छर के पियास बुझागे। ओखर आँखी ले खुशी के आँसू ढर गे।

हीरालाल गुरुजी
छुरा, जिला गरियाबंद