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कविता

हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे

हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे,
जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे।
इहां हरेली के हरियर लुगरा छत्तीसगढ़ महतारी के सान हे,
भोजली अवईया बने फसल के चिन्हारी हे,
खमरछट म दाई के अपन लईका के परती ममता, त्याग हे
तीजा ले महतारी मन के मान हे,
पोरा म पसुधन के सम्मान हे,
हमर छत्तीसगढ़ म आनी-बानी के तिहार हे,
जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे।
दूबराज, बिसनुभोग अन्न्पूरना दाई के सुघ्घर मम्हई हे,
करमा, सुआ, राऊत नाचा हमनके अभिमान हे,
बांस गीत, पण्डवानी, ददरिया के गुरतुर-गुरतुर तान हे,
चिला-बोबरा, गुलगुल-भजिया, चौसेला-बरा, कुसली-हरफोड़वा,
फरा-अंगाकर, ठेठरी-खुरमी अऊ बिंनसा के मिठास हे,
हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे,
जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे।
देवारी, आंवरा नवमी, देवउठनी, कातिक पून्नी जईसे तिहार हे,
अघहन महिना म लछमी दाई के गुरबारी चऊक पूरे के बेरा हे,
माघी पून्नी के मेला हम सबके जुरे-मिले के सुघ्धर बहाना हे,
हमर छत्तीसगढ़ राज म आनी-बानी के तिहार हे,
जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे।
छेरछेरा दान के महापरब अन्नदाता के निक तिहार हे,
गुड़ी म सियान मन के सीख हे,
हमर छत्तीसगढ़ म आनी-बानी के तिहार हे,
जेखर से हमर देस राज के पहिचान हे।
येखर से हमर मन म सुखी अपार हे।।

प्रदीप कुमार राठौर ’अटल’
ब्लाक कालोनी जांजगीर
जिला-जांजगीर चांपा
(छत्तीसगढ़)