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कहानी

नान्हें कहिनी : तीजा के लुगरा

सुकलू के एकेच झन बहिनी रहिस सुखिया।तीजा-पोरा आवय त रद्दा जोहत राहय कि मोर भइया ह मोला लेगे बर कब आही,फेर सुखिया के भउजी ह सुकलू ल पोरा के बाद भेजय सुखिया ल लाय बर।भउजी ह थोकिन कपटीन रहिस हे,सुखिया ल तीजा मं लुगरा देवय तेन निच्चट बिहतरा राहय,पहिरत नइ बनय तइसने ल देवय।एको साल बने लुगरा नइ देवत रहिस तभो ले सुखिया ह खुस राहय,कभू कुछु नइ काहत रहिस,खुसी-खुसी लुगरा ल पहिरय अउ बासी खावय।
गरमी के दिन मं सुखिया के ननंद के बिहाव रहिस त सुखिया के भउजी ह सुखिया के घर बिहाव माने बर आय रहिस।सुखिया के सास,काकी सास,बड़ी सास,मामी सास,फूफू सास,कका-बड़ा के ननंद मन सुखिया के भउजी ल अड़बड़ मया करय अउ काहय हमर सुखिया ल अड़बड़ मया करथस, मयारू भउजी हरव,कतेक सुघ्घर तीजा के लुगरा देथव सुखिया ल,तोर मया ह तीजा के लुगरा मं झलकथे।भउजी ह गुनय कि मोला ठेसरा देथे का कहिके काबर कि चेंदरा असन लुगरा ल देवय।फेर सबो झन के आंखी मं मया दिखय कोनो घिनहा नजर से नइ देखय त मने मन मं सोचे बर धरलिस कि का बात हो सकथे।कुरिया मं सुखिया अकेल्ला रहिस त भउजी ह पूछिस,सुखिया तोर ससुराल के मन ल तीजहा लुगरा ल देखाथस का,मोला ठेसरा मारथे का सबो झन।सुखिया ह कहिस,हव भउजी तीजाही लुगरा ल ससुराल के मन अउ हमर पारा के मन देखाय बर कहिथे त देखायच ल परथे,फेर रद्दा मं आवत-आवत मय लुगरा लेथंव तेन ल सबो झन ल देखाथंव काबर कि मइके के सनमान के सवाल हरे ओला माटी मं कइसे मिलाहूं,मइके के लाज रखना तो मोर धरम आय,अपन भउजी के चारी कइसे कराहूं।मोला लुगरा के कोनो लालच नइ हे भउजी,मोला पूछत हस,एक लोटा पानी देवत हस,संगी-जहूंरिया करन भेंट होवत हे उही मोर बर बहुतेच हे।भउजी के आंखी ले आंसू अइसे गिरत रहिस,जइसे मंउहा ह टप-टप टपकथे।
दिन ह बीतत गिस अउ फेर भादो के तीजा-पोरा आगे।भउजी ह पोरा के पहिली सुकलू ल भेज दिस सुखिया ल लाय बर।असो सुखिया ह मइके मं पोरा ल पटकिस अउ तीजा के दिन भउजी ह अड़बड़ सुघ्घर लुगरा दिस।सुखिया ह कहिस,भउजी लुगरा के मोला जरूरत नइ हे,मोर बर मइके के पसिया अमोल हे।भउजी ह कहिस,हव बहिनी ये ह लुगरा नोहय मोर परेम हरे,अतका दिन ले नइ जानत रहेंव परेम करे बर।भउजी के मया ल पाके आज सुखिया ल महतारी के सुरता आगे।तीजा के लुगरा ह लुगरा नोहय महतारी के मया हरे।

सदानंदनी वर्मा
ग्राम-रिंगनी (सिमगा)



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