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गोठ बात

सावन मा बेलपत्र के महिमा

अइसे तो सबो जानत हव, बेलपाना हा हमर हिन्दू धरम मनइया मन बर कतका महत्तम रखथे। भगवान भोलेनाथ ला एक डारा बेलपाना चढ़ा के मनमाफी वरदान पा सकत हन।कथा मा बताय हवय कि जंगल मा भुलाय भील सिकारी हा रतिहा बिताय बर पेड़ मा चढ़गे। ओकर बिन जाने रात भर बेल पाना हा टूट के गिरत रहिस, भगवान भोलेनाथ हा मोर भगत हा बेल पान चढ़ाय हे कहिके असीस धन सम्पति अउ भक्ति दे देइस।कहे जाथे सावन मा सिव ला बेलपत्र चढ़ाय ले तीन युग के पाप के नास हो जाथय।

अइसे तो आधा ले जादा पुरान मा बेल के महिमा बताय जाथे, फेर बेल के जनम ला स्कंधपुरान मा बताय हवय।एक घाँव पार्वती माता हा अपन माथा के पछीना ला पोंछ के फेंकिस।ओकर दू चार बूंद हा मंदार पहाड़ी मा गिरगे। उही हा बेल पेड़ बनगे। कहे जाथे कि बेल के जर मा गिरिजा,पेड़ोरा मा महेस्वरी, डंगाली मा दक्छदायनी,पाना मा पार्वती, फूल मा गौरी अउ फर मा कात्यायनी के रुप माने गय हे।एकर कांटा मा कतको सक्ति माने गय हे। एकरे सेती सिव जी हा बेलपत्र चढ़ाय ले खुस होके असीस अउ बरदान देथयद।महालक्छ्मी के रहवास घलाव बेल पेड़ मा माने जाथे।




बेनपान के महत्तम ला सिव पुरान मा जादा बिस्तार करके बताय हवय। सिव पुरान मा बेल ला सिव के बरोबर माने गय हे। ओकर पूजा अउ जल चढ़ाय के बारे मा बताय हे। देखे मा बेल पाना हा तीन पान एक्के संग रहिथे। सिव पुरान मा एला ब्रम्हा,बिष्णु अउ महेस के रुप माने गय हे। कहे जाथे बेल पेड़ के जर मा सिवलिंग मढ़ा के प्राथना करे ले अउ जल चढ़ाय ले भगत ला सुख मिलथे। परिवार मा आय संकट अउ दुख दुरिहाय बर बेल के तीर मा भोलेनाथ के पूजा करेबर कहे जाथे। बेल के खाल्हे मा भोले भंडारी ला तसमई भोग लगाय ले धन दोगानी के कमती नइ होय।ये सब धारमिक महत्तम आय।
बेल के धारमिक महत्तम के संगे संग आयुर्वेदिक महत्तम हावय।बेल पाना के तासीर हा ठंडा होथय।एला रोग राई मेटाय अउ ताकत देवइया माने जाथे।एकरे सेती एला पबरित घलो मानथँय।बेलपाना ला बरसात मा बुखार, सर्दी, खाँसी आय ले काढ़ा अउँटा के पीये ले खच्चित फायदा होथे।दतिया, मंदरसमाछी अउ भोंगर्रा कीरा चाबे ले बिछियाथे, ओमा बेल पाना ला पीस के रस ला लगाय ले माढ़थे। कहे जाथे सांस के बिमारी बर अमरित आय।अइसने बवासीर, हिरदय के बिमारी बर घलाव बेल पान हा फायदा करथे।आजकल के बिमारी मधुमेह के इलाज मा घलाव फायदा करथे।
बेलपत्ता के सिव पूजा संग बिज्ञानिक महत्व घलाव माने जथे।सिव जी हा प्रकृति ला बचाय बर पान ,फूल, फर ला अपन पूजा मा अपनइस हे। पर्यावरन ला बचाय बर रुख राई ला बचाना जरुरी हे।एकरे सेती हिन्दू धरम बर, पीपर, लीम, बेल , सरई , के पूजा देबी देवता मान के करे जाथे।

संकलन
हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, जिला-गरियाबंद