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व्यंग्य

भूख के जात

मरे के जम्मो कारन के कोटा तय रहय, फेर जब देखते तब, सरकारी दुकान ले, दूसर के कोटा के रासन सरपंच जबरन लेगय तइसने, भूख हा, दूसर कोटा के मउत नंगाके, मनखे ला मारय। यमदूत मन पिरथी म भूख ला खोजत अइन। इहां अइन त देखथे, भूख के कइठिन जात। सोंच म परगे भगवान कते भूख ला लाने बर केहे हे। सबे भूख ला लेगे अऊ भगवान के दरबार म हाजिर कर दीस।
भूख जइसे भगवान के आगू म खड़ा होइस, भगवान बरस गीस ओकर बर। कस रे तोला कहीं लागथे ? जब पाये तब, जेला पाये तेला ढनगा देथस। अऊ उहां के मनखे कस, दूसर के कोटा ला नंगा लेथस। तोर सेती कतका समसिया पइदा होगे हे। तैं जनता ला अइसने मारबे त, हमर नियम धरम के काये आवसकता ? भूख किथे – ये मन मोर मारे नोहे भगवान। निरधारित कोटा ले उपराहा, एक ठिन मनखे नी मारे हंव। मनखे मनला मारे बर, कतेक उदिम लगाये परथे तेला, मिही जानहूं। भगवान किथे – लबारी मारथस रे ? भूख किथे – दईकुन गो, लबारी नी मारंव भगवान, पिरथी म एक रूपिया किलो म चऊंर, पिये बर सरकार कोती ले दारू अऊ रेहे बर घर मिलत हे। कोन मरही मोर ले भगवान ? अऊ अब तो जनता के पेट भरे बर नावा किसिम के मोबाइल आगे हे जेकर बटन चपकतेच साठ, अनाज के दाना झरझर झरझर गिरही अऊ मनखे के पेट ल भरही। चित्रगुप्त कोती देखीस भगवान ….. …….. वहू अपन कम्प्यूटर म देखत, हां म हां मिलइस। पेट के भूख ला सममान सहित वापिस लहुंटे के आगिया मिलगे। फेर, कोन येकर नाव ले पाप करत हे ? भगवान हा, परस्नवाचक मुहूं बनाके चित्रगुप्त कोती देखीस त, दूसर भूख ला खड़े कर दीस आगू म।
चित्रगुप्त बताये लगीस के पिरथी म भूख के कतको धरम जात अऊ समाज बन चुके हे, काकर बूती बिन पारी के मनखेमन मरत हे तेला, मोर कम्प्यूटर बता नी सकत हे, तेकर सेती, सबो जात के मुखिया मनला लाने गेहे। भगवान किथे – जात …….? येमन मनखे कस बिगड़ गेहे का रे …..? येमन ला जात बनाये के कोन आगिया दीस ? चित्रगुप्त किथे – भगवान, जात बनाये बर कनहो ला केहे नी लागे, चार झिन जुरियइन तहन नावा समाज अऊ नावा धरम खड़ा हो जथे। जेकर सुआरथ पूरती नी होये तिही मन राजनीतिक पारटी कस अपन जात खड़ा कर लेथें। ये जात हा मनखे के उपज आय, हमर सिरीस्टी नोहे भगवान। भगवान किथे – येहा कोन जात के भूख आये ? भूख खुदे केहे लागीस – मोर सेती मनखे मरथे कहां भगवान तेमे मोला हथकड़ी पहिरा के ले आने हव। मेहा तो अइसे जगा म रहिथंव जेला तोपे बर पिरथी के हरेक मनखे ला उदिम करे लागथे। भगवान पूछिस – का…… पेट म नी रहस तेंहा ? भूख किथे – मेंहा पेट म नी रहंव भगवान, पेट के खालहे म रहिथंव। भगवान मुहूं फार दीस। चित्रगुप्त किथे – भूख के रेहे बर पेट म जगा बनाये हाबन, तोला कोन पेट के नीचे रेहे के आगिया दीस। भूख किथे – हमर जात के भूख ला रेहे बर काकरो अगिया के आवसकता निये। पेट के खालहे म जगा दिखीस त, हमूमन अपन छेत्र के पटवारी के जेब गरम करके, अपन नाव म, रजिसटरी करवा डरे हाबन। भगवान, चित्रगुप्त कोती कननेखी देखीस। चित्रगुप्त किथे – येहा मनखे के वासना के भूख आय भगवान, येकर ले मरथे तो बहुत कम फेर, येकर बर कितको झिन मरथे …….। येला मेटाये बर, कतको धरमगुरू साधु संत मन, हसपताल खोल के बइठे हाबय। फेर अपने हसपताल म, उही मन, इही भूख के सिकार हो जथे ………।
सुसकत खड़े भूख ला पूछत रहय भगवान – तैं कोन अस जी अऊ कते तीर रहिथस ? काबर रोवथस ? निच्चट दुब्बर पातर भूख, सरम के मारे मुनडी गड़ियाये रिहीस। हूंकिस ना भूंकिस। चित्रगुप्त किथे – ये भूख मनखे के कभू आंखी अऊ कभू दिल म रहिथे। ये परेम के भूख आय। येला दुनिया म जम्मो झिन अपन सुआरथ के सेती चाहथें, फेर येकर मरम ला ना कनहो जानय, ना येकर करम ला कनहो निभावय। ये खुदे तरसत मरत हे, कनहो ला काये मारही। ये भूख अपन परजाति ला बचाये के गोहार करत रो डरिस।
अगला भूख, सुघ्घर पहिरे ओढ़हे रहय। खुसरतेच साठ, दरबार महर महर महमहाये लगीस। कतको झिन हाली मोहाली संग अइस। इही दोसी होही कहिके, आते आत जमदूत के सोंटा परीस, सेवा करइया मन भाग गीन। चित्रगुप्त किथे – येहा पइसा के भूख आय भगवान। येला मेटाये बर जतको खाबे, येहा ततके बाढ़थे। येहा अपन बलबूता म बहुतेच काम कर सकत हे। दूसर के पछीना ला अपन देहें म चुपरके, महकत मजा मारत किंजरत हें येमन। इही भूख के सेती मनखे मनखे म दूरी बाढ़त हे। इही भूख हा मनखे ला अपन नता रिसता के तियाग करे बर मजबूर कर देथय। येकर बर जे जादा मरथे, तिही ला निपटाथे येहा ……..।
दूसर भूख, जइसे दरबार म खुसरिस, कितको झिन हाथ जोर के खड़ा होगे। ये भूख, नाव के भूख आय। येला कोन नी जानय। अपन नाव चलाये बर उलटा सुलटा कहत रहिथे। एके ठिन बात ला घोर घोर के, केऊ ठिन मीडिया म बगरा के अपन नाव ला जनाये के उदिम लगावत रहिथे। ये भूख बहुत झिन उप्पर सवार होथे फेर बहुत कमती मन ला पार लगाथे। कितको झिन मरत ले नी छोंड़य येला। येहा मनखे ला मारय निही फेर, अपन नाव के उप्पर म या बरोबरी म कनहो ला झिन आय कहिके, कतको उदिम म लगे रहिथे। इही भूख हा, दूसर के नाव मेटाके अपन नाव ला जगजाहिर करे के, डिगरी अऊ पी एच. डी. देवाथे। कतको कस पदम पुरूसकार इही भूख के सहारा अऊ भरोसा म मिलथे।
खूनाखून दिखत भूख ला आवत देखीस त भगवान समझगे, इही आय मउत के असली जुम्मेवार। हाथ म गोला बारूद बनदूक तलवार धरे रहय। भगवान खुद डर्रागे। कांपत किथे – तिंही हरस का जी ……….? डर के मारे आरोप घला नी लगा सकत रहय भगवान। चित्रगुप्त ला तीर म बला के किहीस, तिहीं पूछना येला। मेहा कहूं त, मुही ला झिन मार देवय। तैं पूछबे, अऊ तोला मारीच दिही त, मेंहा तोला फेर जिया दुहूं अऊ मोला मार दिही त, तैं भगवान कहां ले लानबे। भगवान के मन म पहिली बेर डर दिखीस। चित्रगुप्त किथे – रावन, कंस अऊ हिरन्यकस्यप कस राकछस मन ला चुटकी म मरइया भगवान के चेहरा म, अइसन डर सोभा नी दय। तूमन काबर डर्राथव भगवान ? भगवान किथे – राकछस मन मोर सनरचना रिहीस अऊ येहा मनखे के आय, तेकर सेती डर लागत हे। चित्रगुप्त किथे – डर्रा झिन, येला जब तक, बड़का भूख आदेस नी देवय तब तक, ये कनहो ला नी मारय। अपन जरूरत बर अभू तक काकरो सिकार नी करे हाबय येहा। ये हिनसा के भूख आय। जब तक कनहो उकसाये निही तभू तक, येकर हाथ ले हथियार नी छूटय। त ये लहू म सनाये कइसे दिखत हे ? भगवान फेर पचारिस। चित्रगुप्त किथे – येकर निवास इसथान लहू आय भगवान तेकर सेती …..।
भगवान किथे – चित्रगुप्त जतका अकन भूख अभू अइस तेमा, कनहो भूख म मारे के छमता निये। तूमन गलत सलत रिपोट देके, भूख ला काबर बदनाम करत हव। चित्रगुप्त किथे – एक ठिन भूख अऊ बांचे हाबय। तभे भूख भइया की जय के नारा सुनई दीस। नारा लगइया मनला बाहिर म रोके नी सकिस यमदूत मन, सनसद कस परिवारसुद्धा अऊ समरथक संग दोरदीर ले खुसरगे। भगवान किथे – तिहीं हरस रे …. अतेक कन मउत के जुम्मेवार। वो किथे – कोन कथे के, मिही अतेक मनखे के मउत के जुम्मेवार आंव कहिके …. पूछ येमन ला, देखा सबूत, जुबान लड़ाये बर धर लीस अऊ बहुमत ले जीते कस खुरसी कोती अमरे लागीस। चित्रगुप्त भगवान के कान म फुसुर फुसुर केहे लागीस – मोला समझ नी आवत हे भगवान, मोर रिकाड म, इही भूख के लेखा जोखा निये। बिगन सुनवई, सबूत के अभाव म नेता कस छूटगे। ओकरे पीछू पीछू भगवान घला पहुंचगे पिरथी म। तलास करीस तब पइस के ये भूख हा, चित्रगुप्त के कम्प्यूटर म वाइरस डार दे हाबय, जेकर सेती पकड़ावय निही। ये भूख, मनखे के दिमाग म रहिथे। मनखे के अकाल मउत के जुम्मेवार, इही आय फेर, येकर ताकत के डर म, येकर खिलाफ, कनहो गवाही देबर खड़ा नी होय। भगवान जान डरीस के, येहा सत्ता के भूख आय, जेहा कतको लास बिछा के सांत नी होय। इही भूख ला सांत करे बर मनखे कतको झिन के, दुरदसा कर देथंय अऊ कतको ला मार के ढनगा देथे। ये अइसे भूख आय, जेकर उप्पर, बिजय पाये के बाद, पहिली ले अऊ जादा तपे लगथे। इही भूख के साथ देवइया मन, भुकुर भुकुर के खाथे अऊ बिरोध करइया मन, भूख म मरथे। भूख के ये जात ला खतम करे बर उही दिन ले, सरग म भगवान, भूख रहिके तपसिया करत हे।

हरिशंकर गजानंद देवांगन
छुरा

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