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व्यंग्य

व्यंग्य : पहिचान

पिरथी के बढ़ती जनसंखिया ला देख के, भगवान बड़ चिनतित रहय। ओहा पिरथी के मनखे मनला, दूसर गरह म बसाये के सोंचिस। पिरथी के मन दूसर गरह म, रहि पाही के नहि तेकर परयोग करे बर, हरेक देस के मनखे कस, डुपलीकेट मनखे के सनरचना करीस। इंकर मन के रेहे बर घर, बऊरे बर समान, खाये बर अनाज, पहिरे बर कपड़ा उपलब्ध करा दीस। अलग अलग देस के डुपलीकेट मनखे मन बर, अलग अलग जगा, निरधारित कर दीस। देस के हिसाब से, ऊंकर संसकार अऊ रीत रेवाज ला ऊंकर दिल, दिमाग अऊ देंहे म डार दीस। यहू मन उही हिसाब से, असानी से ढलगे अऊ अपन अपन रेहे के, स्टेंडर बना डरीन।
दूसर गरह म, पिरथी कस डुपलीकेट मनखे मनला, मन लगाके रहत देखिस त, भगवान ला लगिस के, पिरथी के भार उतारे बर, इहां के सहींच के मनखे मनला, बसाना उचित हे। अपन जोजना के बिगियापन करत, भगवान बतइस के, जइसे इहां हव तइसनेच, उहां रेहे बर मिलही। मनखे मन ला बिसवास नी होइस। ओमन डेमो देखाये बर किहीस। बिगन लेगे, इहां कइसे डेमो देखा डरे भगवान घला। ओहा हरेक देस के कुछ मनखे मनला, दूसर गरह म, अपन बसाये जगा ला, देखाये बर लेगिस। भगवान किथे – पिरथी के जम्मो देस के नागरिक मन कस, डुपलीकेट मनखे इहां बसा डरे हंव। तूमन अपन अपन देस ला चिनहव अऊ कुछ कमी बेसी बतावव। दूसर गरह के बसावट देखाये के, भगवान के अभियान सुरू होगे।




चिक्कन चांदर सड़क, साफ सुथरा गली मोहल्ला अऊ नावा नावा फेसन के कपड़ा पहिरे मनखे ला देख के, फ्रांस के मनखे, अपन देस के मनखे आय कहिके बता दीस अऊ ओ जगा ला बड़ पसंद करीस। थोकिन आगू गीस त उहां के मनखे मनला, दूसर देस म बियापार के बहाना, राज करे के कलपना म लगे देखीस, दुनिया के सरी भगोड़ा अपराधी मनला इहां के सरन म परे देखीस त, इंगलैंड के मनखे अपन देस ला चिन डरीस। भूख ले तलफत, करिया करिया लइका मनला, किलबिल किलबिल करत अऊ मरत देखीस त, युगांडा के मनखे हा अपन देस, बता दीस। बड़े जिनीस मीनार, नहर के दूनो कोत सुनदर सुनदर घर ला देखके, इटली के मनखे, अपन भुंइया ला चिन डरीस। बड़े बड़े माल, बड़े बड़े बिजनिस एमपायर अऊ हथियार बेंचत मनखे मन ला देख अमेरिका के मनखे, अपन देस ला पहिचान डरीस। अपनेच समसिया ला हल करे म बियस्त मनखे मन, कोन आवत कोन जावत अऊ कोन का करत हे तेकर, गम नी पइन, रसियन मनखे येला अपन देस बतइस। थोकिन अऊ आगू अइस त उहां के हाल देख के एक झिन मनखे किथे – ये हमर पाकिसतान आय भगवान। भगवान किथे – कइसे चिनहेस जी ? ओ मनखे किथे – खाये बर भूरी भांग निही, सुलताना मांगे बर जवइया मनखे, हमरेच देस म होथे भगवान। उहां के मन, जतका खाये बर मरथे तेकर ले जादा, लड़ाये बर मरथे। अपन भुंइया ला समहाले नी सके, दूसर के भुईंया म नजर गड़इया, पाकिसतान आय भगवान। थोकिन आगू म, नकली नकली समान ला, ससता बताके बेंचइया, नान नान नाक नकसा, अतेक जनसनखिया के पाछू भी बहुतेच अनुसासन अऊ दूसर ला मदत के बहाना, अपन उल्लू सिधा करइया ला चीनी मनखे अपन देस बता दीस।
थोकिन अऊ आगू गिन, पूरा मोहल्ला का, गांव निकलगे, कन्हो कुछ नी किहीस। भगवान किथे – ये काकर देस आय जी, कन्हो हूंकव न भुंक्कव …? सबे मनखे के देस निकल गे रहय, सिरीफ भारत के मनखे बांचे रहय। जम्मो झिन उही ला देखीन तब, ओहा धिरलगहा किहीस – हमरे देस कस लागथे भगवान येहा ….। भगवान किथे – तोला कइसे पता चलीस ? ओ किथे – येती ले जब नहाकेन न तब देखेन के, चारों खुंट साफ सफई चलत हे, घर घर म अंजोर बगरे हे, मनदिर म पूजा, मसजिद म नमाज चलत हे। भाई भाई परेम से रहत हे। चारों मुड़ा म समरिद्धि छाये हे। गरीब ले गरीब मनखे मन, अपन खाता म जमा लाखों सरकारी पइसा पाके खुस हे। मेहनतकस के पछीना के, भारी सराहना होवत हे। सत्ता सुख के पाछू कन्हो नी दउंड़त हे। कन्हो बाबा हा, नोनी मनला बहलाके सोसन नी करत हे। गांव गांव म बिकास के गंगा बोहावथे। भरस्टाचार के तो नामोनिसान निये। डाकू ते डाकू, चोरहा तको नी दिखत हे अऊ कतका बतावंव तोला भगवान ……।




दूसर देस के मनखे मन ओकर बात ला सुन के हांसत रहय। भगवान किथे – इहींचो आके लबारी मारे बर नी छोंड़ेस रे …..। काबर लबारी मारथस रे …? तैं जतका केहे, वोहा सच हे का …….? का बात के सेती तेंहा लबारी मारे ….? वो किथे – भगवान कसम गो, लबारी नी मारत हंव। भगवान पूछथे – सत्ता पारटी के सदस्य आवस रे …? वो किथे – नोहन भगवान, वइसन होतेन ते, हमर राज म देख कतेक सुघ्घर बनगेहे हमर भारत हा कहितेन ..। अऊ बिपकछी होतेस त …- भगवान जानना चाहिस। ओ किथे – येकर उलटा कहितेन। भगवान किथे – न तेहा बिपछ के आस न पछ के, तभो ले जेला देखे तेला, काबर सही सही नी बता सके …..। येहा दूसर गरह आय, तोर भारत नोहे, डर्रा झिन, इहां तोर कुछ नी उखाड़ सकय…….। ओ मनखे किथे – मीडिया ले जुरे मनखे आवंव भगवान, लबारी मारे के, मोर आदत परगे हे, चोरी करइया ला जानथंव जरूर फेर बोल नी सकंव, बलातकार होवत देख के आंखी मूंद लेथंव, लुटइया ला देख टरक देथंव, गारी गल्ला सुनके कान ला चपक लेथंव। भगवान किथे – काबर …..? ओ मनखे किथे – लबारी मारथंव तभे तो, जिनदा रहिथंव भगवान। सच बोलहूं त कोन मोला भारत म रहन दिही …..। भारत कस इंहींचो के माहोल ला देख के, परान बचाये बर, लबारी मारेंव भगवान। भगवान किथे – तैं मोर संग हाबस तोला कोन मार सकही ? वो किथे – तोर संग गांधी, सुभास नी रिहीस का …..? भगवान करा जवाब नी रिहीस। वो मनखे किथे – येकर सेती घला लबारी मारेंव भगवान के, मोर देस के मन, महू ला देख के, अपन देस के मनखे आय कहिके, चिन डरय। भगवान किथे – ओमन चिन डरही त तोला का फायदा …? ओ किथे – बहुत फायदा हे भगवान, मोर कस खमाखम लबारी मरइया ला, सत्ता म जगा मिल जथे। भगवान किथे – इहां मेंहा हमेसा उपलब्ध रहूं, तोला बिन लबारी मारे, सब कुछ मिल सकत हे….। ओ मनखे किथे – हमर पहिचान खतम हो जही त, इहां रेहे के कायेच मतलब हे। हमन ला भारतेच म रहन दव, तुंहर नाव अऊ काम हमर देस ला सबले जादा बरबाद करे हे भगवान, जिंहा सऊंहत रहत होहू तिंहा, को जनी, का होवत होही …..। अपन देस के अलग पहिचान ला कायम राखे बर, भारत के मनखे हा, दूसर गरह म बसे के आफर ला ठोकरा दीस ………..।

हरिशंकर गजानंद देवांगन, छुरा
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